बा खबर असरदार/कब लगेगी लॉटरी

  • हरीश फतेहचंदानी
आईएएस अधिकारी

कब लगेगी लॉटरी
2011 बैच के एक आईएएस अधिकारी पिछले ढाई साल से किसी बड़े जिले में कलेक्टरी का ख्वाब पाले हुए हैं। जब भी प्रशासनिक सर्जरी की हवा चलती है साहब की उम्मीदें जग जाती हैं कि शायद इस बार उनकी लॉटरी लग है। बताया जाता है कि साहब को तो यह पता है कि विधानसभा चुनाव के कारण उनका इस साल तबादला होना ही है। लेकिन सवाल बना हुआ है कि साहब को उनकी मनमाफिक पदस्थापना मिल पाएगी या नहीं। सूत्रों का कहना है की राजधानी में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले इन साहब को कई बार बड़े जिले में कलेक्टरी का आश्वासन देकर उनसे बड़े-बड़े टारगेट अचीव कराए गए हैं, लेकिन उनकी मंशा पूरी नहीं हो पाई है। प्रशासनिक वीथिका में कहा जा रहा है कि सरकार उनके परफॉर्मेंस से संतुष्ट है। इसलिए उनका पूरा उपयोग कर रही है। संभवत: अगली सूची में साहब की लॉटरी लग सकती है।

52 में 3 ही बेस्ट
करीब 3 साल के अंतराल के बाद इस बार जब कलेक्टर्स-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस हुई तो प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर और अन्य अधिकारी पूरी तैयारी के साथ आए थे। कॉन्फ्रेंस में विकास यात्रा, पेसा नियम 2022, मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, नगरीय क्षेत्रों में अनधिकृत कॉलोनियों के विकास, जल जीवन मिशन, सीएम राइज स्कूल, आयुष्मान भारत निरामय मप्र, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मुख्यमंत्री कन्या विवाह, निकाह योजना और संबल-2 योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 52 में से केवल 3 कलेक्टर के कार्यों को सराहा। उन्होंने सबके सामने कहा कि इंदौर कलेक्टर ने जनसुनवाई, सीहोर कलेक्टर ने शिक्षकों के सहयोग से स्मार्ट क्लास शुरू करने और डिंडौरी कलेक्टर ने जनसमस्याओं के प्रति संवेदनशीलता और उनके त्वरित निराकरण में सराहनीय कार्य किया है। वैसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी कलेक्टर अपने स्तर पर नवाचार कर रहे हैं।

साहब का रूखा स्वागत
कहा जाता है आपका अतीत ही वर्तमान का आईना है। लेकिन 2014 बैच के एक आईएएस को इस बात का एहसास उस समय हुआ जब वे कलेक्टर बनकर विंध्य क्षेत्र के एक जिले में पहुंचे। वहां साहब का स्वागत इस रूखे अंदाज से हुआ की साहब को अपना अतीत याद आ गया। दरअसल कलेक्टरी मिलने से पहले साहब जिस जिले में नगर निगम आयुक्त थे, वहां उनके व्यवहार से सभी अधिकारी-कर्मचारी परेशान थे। हालांकि साहब के कार्यकाल में शहर का विकास ख्ूाब हुआ, लेकिन अपने साल भर के कार्यकाल में विवाद में भी खूब रहे। अधिकारी-कर्मचारियों पर सख्ती करने के आरोपों के बीच कर्मचारी नेताओं से उनकी पटरी नहीं बैठ पाई। कई बार अधिकारी-कर्मचारियों ने उन पर मानसिक प्रताडऩा के आरोप भी लगाए और दो बार काम बंद हड़ताल भी कर चुके। लेकिन साहब तबादले के बाद नए जिले में पहुंचे तो वहां उनका अतीत पहले ही पहुंच गया। जिससे वहां के लोग उनसे किनारा करने लगे हैं।

दोहराना पड़ सकता है होमवर्क
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले के नवनियुक्त कलेक्टर इनदिनों असमंजस में फँस गए हैं। दरअसल इनसे पहले वाले कलेक्टर साहब जो 2010 बैच के आईएएस अधिकारी हैं ने जिले में नई कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर जल्दी कामकाज कर लिया, जबकि दूसरे जिलों में अभी काम शुरू नहीं हुआ है। अब शासन की गाइडलाइन जारी होने वाली है कि प्रदेश में जिलों को नई कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर किस तरह काम करना है। ऐसे में 2010 बैच के ही नए कलेक्टर साहब की चिंताएं बढ़ गई हैं। दरअसल जिलेे में उप जिला मूल्यांकन समिति ने पहले एक दो बैठकों में काम निपटा लिया, लेकिन अब शासन के निर्देश आने पर दोबारा काम करना पड़ सकता है।  नई गाइडलाइन में इस बार 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। वहीं सब रजिस्ट्रारों के इनपुट के आधार पर संयुक्त प्रतिवेदन तैयार किया गया है। लेकिन अब सब बेकार हो जाएंगे।

सीएम हेल्पलाइन बिगाड़ रही सीआर
बिजली विभाग हो या कोई दूसरा सरकारी महकमा हर कहीं सीएम हेल्पलाइन का खौफ बना हुआ है। चुनावी साल में सरकार भी जनता को खुश करने में जुटी है। ऐसे में अफसरों के लिए ये सीएम हेल्पलाइन सिरदर्द बन गया है जिसका मन का काम नहीं हुआ उसने फौरन सीएम हेल्पलाइन का नंबर घुमा दिया। कई मामले वाकई परेशानी भरे हैं लेकिन, कुछ ऐसे प्रकरण भी है जिनमें जिद और शरारत प्रदर्शित होती है। अफसरों की गोपनीय चरित्रावली से सीधी सीएम हेल्पलाइन जुडऩे से चिंता और बढ़ गई है। अफसर शिकायतकर्ता को घर घर जाकर मना रहे हैं उनके मन का काम करवा रहे हैं मोबाइल में बैलेंस नहीं होने पर बैलेंस तक डलवा रहे हैं ताकि किसी तरह शिकायत बंद हो जाए। वहीं कुछ अफसर ऐसे भी है जो अपने प्रतिद्वंदी अफसर को परेशान करने अपने परिचितों से सीएम हेल्पलाइन के नंबर पर बेवजह की शिकायत दर्ज करवा रहे हैं।

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