दूसरे हफ्ते में होगा शिव कैबिनेट का विस्तार!

शिव कैबिनेट

प्रदेश के कई प्राधिकरणों को मिल जाएगा राजनैतिक नेतृत्व

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अब प्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव होने में महज दस माह का ही समय रह गया है। ऐसे में एक बार फिर से प्रदेश में चुनावी फायदे के लिए समीकरण साधने के लिए मंत्रिमंडल के विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई हैं। माना जा रहा हे कि कैबिनेट में रिक्त चल रहे चारों पदों को भर दिया जाएगा।
यह विस्तार इसी माह के दूसरे हफ्ते में होना संभावित है। इसके साथ ही कई सालों बाद सूबे के कई विकास प्राधिकरणों को भी राजनैतिक नेतृत्व मिलना तय है। दरअसल सरकार इन नियुक्तियों से क्षैत्रीय एवं जातिगत समीकरण साधना चाहती है। प्राधिकरणों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के अलावा सदस्यों की भी नियुक्तियां की जाना हैं। इन राजनैतिक नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री की संगठन के बड़े नेताओं के साथ प्रारंभिक रुप से चर्चा हो चुकी है। माना जा रहा है कि दस फरवरी के बाद इनकी घोषणा हो जाएगी। शिव मंत्रिमंडल में अभी चार मंत्रियों को और शामिल किया जा सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें भी लंबे समय से चल रही हैं पर किसी न किसी कारण से यह विस्तार संभव नहीं हो पाया। उपचुनाव में पराजित हुए मंत्रियों के विभागों के काम भी सीएम को देखना पड़ रहा है। यह विभाग अभी सीएम के पास ही हैं। इसकी वजह से ही माना जा रहा है कि चुनावी साल में सीएम अब जल्द एक छोटा विस्तार कर सकते हैं।
इस विस्तार में किसी भी मंत्री को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जाएगा, तीन से चार विधायकों को जरूर मंत्री पद दिया जाएगा। जिन नेताओं को मंत्री पद मिल सकता है उनमें जोबट से उपचुनाव में जीती सुलोचना रावत का नाम पहले स्थान पर बना हुआ है। संगठन सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव के समय उन्हें भाजपा इसी वादे के साथ ही पार्टी में लायी थी, कि उन्हें जीतने पर मंत्री पद दिया जाएगा। इस वजह से इस आश्वासन को अभी पूरा किया जाना है। इसे लेकर सुलोचना रावत पिछले दिनों संगठन नेताओं से भी मुलाकात कर चुकी हैं। गौरतलब है कि इसी क्षेत्र से विधायक रहे माधौ सिंह डाबर को पार्टी ने हाल ही में वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया है।
डाबर उपचुनाव में टिकट के प्रमुख दावेदार थे पर रावत के आने के बाद पार्टी ने उन्हें जल्द सम्मानजनक पद देने का भरोसा दिया था। अब रावत के भी जल्द मंत्री बनने की उम्मीद है। इसके अलावा महाकौशल से संजय पाठक, विंध्य से राजेन्द्र शुक्ला के नाम भी संभावित दावेदारों में शामिल हैं। दोनों विधायक पिछली सरकार में मंत्री थे पर इस बार सियासी समीकरणों के चलते इन्हें अब तक मौका नहीं मिल पाया है। इसके अलावा बुंदेलखंड से प्रदीप लारिया और हरिशंकर खटीक के नाम भी दावेदारों में शामिल हैं। दोनों नेता तीसरी बार के विधायक हैं। खटीक पूर्व में राज्यमंत्री रह चुके हैं।
इन प्राधिकरणों में भी नियुक्तियों का इंतजार
चौथी बार सरकार बनने के बाद से शहरों के अधिकांश विकास प्राधिकरण अब तक खाली पड़े हुए है। भाजपा ने अपने संगठन मंत्रियों को पद से हटाने के बाद उनका राजनीतिक पुनर्वास निगम मंडल अध्यक्षों के रूप में किया था। तब इंदौर के संभागीय संगठन मंत्री जयपाल सिंह चावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया था। भोपाल, देवास, जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों के विकास प्राधिकरण अब तक खाली पड़े हैं। स्थानीय नेता इनमें नियुक्ति की लंबे समय से बांट जोह रहे हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड और विंध्य विकास प्राधिकरणों में भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्ति होनी है सूत्रों की माने तो संगठन ने इन विकास प्राधिकरणों में अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए तीन-तीन नामों का पैनल तैयार कर लिया गया है। अब इन नामों पर अंतिम चर्चा संगठन व सीएम के बीच होना है।

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