-41 जिलों में महिला वोटर की संख्या पुरुषों के मुकाबले बढ़ी
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में नवंबर में चुनाव होंगे। इसके लिए पार्टियों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बार पार्टियों का सबसे अधिक फोकस महिला मतदाताओं पर है। क्योंकि 5 करोड़ 39 लाख 87 हजार 876 मतदाताओं में 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार 711 महिला वोटर हैं। यानी चुनाव में इस बार नारी शक्ति का दम दिखेगा। इसलिए भाजपा और कांग्रेस ने महिलाओं को साधने का प्रयास शुरू कर दिया है। मप्र में पुनरीक्षण कार्य के बाद जारी मतदाता सूची में 5,39,87,876 मतदाता हैं। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,79,6 2,711 है। महिला मतदाताओं की संख्या 2,60,23,733 है। थर्ड जेंडर 1432 मतदाता हैं। 80 प्लस मतदाताओं की संख्या 7,40,261 है। दिव्यांग मतदाता 5, 07, 865 हैं। 18 से 19 साल के युवा मतदाता 11, 81 हजार, 447 हैं। यानी इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महिलाएं निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। हार जीत का फैसला महिलाओं के हाथ में होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश के 41 जिलों में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा हो गयी है। वहीं 18 विधानसभा सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा है। इस बार महिला वोटर जिस भी पार्टी की तरफ अपना रुख करेंगी उस पार्टी की जीत आसान होगी।
41 जिलों में महिला वोटर्स का दबदबा
प्रदेश में कुल महिला मतदाताओं की संख्या 2,60,23,733 है। 41 जिलों में पुरुष वोटर्स के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा है। मध्यप्रदेश में चुनाव में महिलाएं बढक़र वोट करने पहुंच रही हैं। यही वजह है कि बीते सालों के मुकाबले महिलाओं के वोट प्रतिशत में भी लगातार इजाफा हुआ है। साल 2018 के चुनाव में 2013 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा महिलाओं के वोट पड़े थे। साल 2013 में पुरुषों का वोट प्रतिशत 73.95 प्रतिशत, महिलाओं का 70.11 प्रतिशत था। वहीं साल 2018 के चुनाव में पुरुषों का वोट प्रतिशत 75.72 प्रतिशत और महिलाओं का 73.86 प्रतिशत है। साल 2018 में महिलाओं के वोट प्रतिशत में 3.75 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। साल 2005 से महिला मतदाता लगातार बढ़ रही हैं। यही वजह है कि सभी दलों की नजर महिलाओं पर है। बीजेपी का कहना है हमारी सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से और हर स्तर पर सशक्त किया है। कांग्रेस का कहना है आधी आबादी का हम सभी प्रतिनिधित्व करते हैं। उन सभी की आवाज विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बनेगी। राजीव गांधी ने ही महिलाओं को आरक्षण देने की शुरुआत की थी।
एससी-एसटी और महिला वोटबैंक है जरूरी
मप्र में जीत की राह आदिवासी और एससी-एसटी वोटबैंक के द्वार से होकर ही गुजरती है। इसके अलावा इस समय राजनीति का केंद्र प्रदेश की महिला वोटबैंक पर भी है। इस समय के ताजा आंकड़े तो यही बताते हैं कि देश की 50 प्रतिशत आबादी यानि महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत में भी भागीदारी बढ़ी है। ऐसे में इन्हें लुभाने के लिए दोनों राजनीतिक दल कमर कस रहे हैं। पहले देखिए सत्ता पर बैठी बीजेपी ने क्या क्या कदम उठाए हैं।
18 विधानसभा सीटों में महिला मतदाता निर्णायक
मध्यप्रदेश में पुनरीक्षण के बाद मतदाता सूची का प्रकाशन हुआ है। जिसमें 18 विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। डिंडोरी, विदिशा, देवास, मंडला, बैहर, परसवाड़ा, बालाघाट, वारासिवनी, बरघाट, पानसेमल, अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, सरदारपुर थांदला, पेटलावद, कुक्षी, सैलाना में महिला मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। विधानसभा चुनावों में महिला मतदाता निर्णायक वोटर भी साबित होंगे, तो वहीं 41 जिलों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं के सबसे ज्यादा नाम जोड़े गए हैं। 41 जिलों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं के सबसे ज्यादा नाम जोड़े जाने से जेंडर रेशो भी बढ़ गया है। मप्र में जेंडर रेशो 926 से बढक़र 931 हो गया है।