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– आजीविका मिशन में 1 अरब से अधिक का घोटाला…
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 100 करोड़ रूपए से ज्यादा के हुए घोटाले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि अब तक मिशन डायरेक्टर ललित मोहन बेलवाल पर क्या कार्रवाई की गई? कोर्ट ने इसमें 6 फरवरी को अगली सुनवाई में घोटाले मामले में लिए गए एक्शन पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कोर्ट में यह भी तथ्य रखा गया कि ग्रामीण आजीविका मिशन में सीनियर आईएएस को पदस्थ करने का प्रावधान है, लेकिन सरकार ने नियम विरुद्ध, एक पूर्व आईएफएस ललित मोहन बेलवाल को संविदा आधार नियुक्ति की है। दरअसल, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में बीमा, नियुक्ति, अगरबत्ती मशीनों की खरीदी और स्कूल ड्रेस खरीदी में 100 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था। अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन और एनआरएचएम की संचालक आईएएस प्रियंका दास, मिशन डायरेक्टर आईएफएस ललित मोहन बेलवाल समेत अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। हाईपावर जांच कमेटी ने भी जांच कर मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी। लेकिन जांच रिपोर्ट पर सरकार ने एक साल से कोई कार्रवाई नहीं की है। इसकी वजह से हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है।
कई स्तर पर घोटाले
आजीविका मिशन में बेलवाल ने नियुक्तियों से लेकर हर स्तर पर घोटाले किए हैं। बेलवाल ने सुषमा रानी शुक्ला को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियम विरुद्ध राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर नियुक्ति दिलाई। इस मामले में आईएएस नेता मारव्या की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में पेश की जा चुकी है। हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि नियम विरुद्ध नियुक्ति मामले में आईएएस प्रियंका दास की भूमिका भी संदिग्ध है। बेलवाल पर आरोप है कि आजीविका मिशन से जुड़े साढ़े तीन लाख से ज्यादा समूहों से जुड़ी करीब 45 लाख महिलाओं के बीमा के नाम पर घोटाला किया है। इसके बाद प्रदेश के 22 जिलों में स्कूली बच्चों के ड्रेस के नाम पर बंदरबांट किया गया। कपड़ा व्यापारियों को ठेका देकर 200/- रु। मूल्य की ड्रेस के 800/-रु। का भुगतान करवाया गया।
बेलवाल की नियुक्ति नियम विरुद्ध
दरअसल आजीविका मिशन में प्रमुख के पद पर किसी सीनियर आईएएस को नियुक्त करने का प्रावधान है। प्रदेश सरकार ने नियम विरुद्ध इसमें एक पूर्व आईएफएस ललित मोहन बेलवाल को संविदा के आधार नियुक्ति कर दी। इसके बाद घोटाले का खेल शुरु हो गया। बेलवाल ने सबसे पहले प्रदेश के लाखों स्व सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं का बीमा कराने के नाम पर प्रत्येक सदस्य से 300 रुपए प्रतिवर्ष वसूल किए। व्हिसिल लोअर भूपेंद्र प्रजापति ने दस्तावेजों सहित शासन को शिकायत की थी। जिसकी जांच सीनियर आईएएस नेहा मराव्या ने की थी। नेहा मराव्या ने शिकायत को प्रमाणित पाते हुए 2600 पेज की जांच रिपोर्ट सहित 57 पेज का प्रतिवेदन राज्य शासन को कार्रवाई के लिए भेजा था। नेहा मराव्या द्वारा आईएएस प्रियंका दास, ललित मोहन बेलवाल, सुषमा रानी शुला सहित, हैदराबाद के एक बड़े अधिकारी तथा 5 अन्य अधिकारियों के विरुद्ध भारतीय दंड सहिता की धारा 420,467,468,469,472,406,409 120-बी तथा भ्रष्टाचार निवारण नियंत्रण अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही करने की अनुशंसा की गई थी। लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। सतना से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने सदन में ध्यानाकर्षण के दौरान प्रश्न भी किया था। यही नहीं पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने भी भ्रष्टाचारी ललित मोहन बेलवाल को तत्काल हटाने एवं आईएएस के प्रतिवेदन के अनुसार दोषियों पर कार्यवाही किए जाने का आग्रह किया गया फिर भी सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की।