नए समीकरण बना रहीं हैं दीदी मां

दीदी मां

भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। देश की राजनीति में भाजपा की फायरब्रांड नेत्री की तासीर को कोई नहीं समझ पाया है। इसका ताजा परिणाम है उनका राजनीति से सन्यास लेने के बाद भी राजनीति करना। राजनीति से सन्यास की घोषणा कर चुकी उमा भारती के तेवर कम होने का नाम नहीं ले रहे, पहले शराबबंदी के समर्थन में सरकार के खिलाफ कड़े तेवर दिखाई दिए और अभी भी वह लगातार चेतावनी देती आ रही हैं, लेकिन प्रीतम लोधी से मुलाकात के बाद अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या उमा भाजपा के एक वर्ग पर हमला कर रही हैं या फिर किसी विशेष को टारगेट कर रही हैं या वे 2024 की तैयारी के लिए कहीं नए समीकरण तो नहीं बना रही हैं?
 जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, उमा भारती की सक्रियता बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों ग्वालियर दौरे पर गई पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का भाजपा से निष्कासित प्रीतम लोधी पर जिस तरह का दुलार उमड़ा है, उसे देखकर सियासी पंडितों के कयास सच साबित होते नजर आ रहे हैं। पहले ही जानकारों का कहना था कि, निष्कासन के बाद प्रीतम लोधी ने जो मुहिम छेड़ी है उसके पीछे उमा भारती का दिमाग है। उमा भारती के कदम भाजपा के लिए भारी पड़ सकते हैं, लेकिन इन सबसे एक बात खुले तौर पर सामने आ रही हैं कि उमा भारती का अभियान भाजपा की मुश्किलें ही बढ़ाएगा।
उमा दिखा रही हैं अपनी ताकत
भाजपा से निष्कासन के बाद प्रीतम लोधी ने अपनी जाति के जनाधार के साथ ओबीसी और एससी वर्ग को एकजुट करने के लिए पूरे प्रदेश में मुहिम चला रखी थी। खासकर ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड अंचल में लोधी जाति के जनाधार को केंद्र में रखकर ओबीसी और अनुसूचित जाति के मतदाताओं को एकजुट करने की मुहिम चलाई जा रही थी। फिलहाल उमा भारती ने जो रणनीति अपनाई है, उसको देखकर भी लग रहा है कि हाशिए पर चल रही उमा भारती भी अपनी लोधी जाति के जनाधार के बल पर भाजपा को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती हैं। एक तरफ जहां वह 2024 में चुनाव लड़ऩे की बात कह चुकी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सजातीय बंधुओं से भाजपा नहीं बल्कि अपने हित देखकर मतदान करने की बात कही है। माना जा रहा है कि इसी रणनीति के तहत साध्वी ग्वालियर पहुंची और प्रीतम लोधी के गांव जाकर उनकी खूब तारीफ गांव वालों के सामने की। इस दौरान उमा ने प्रीतम लोधी और उनकी पत्नी को पास बुलाया और दोनों को अपने साथ बैठा लिया। उमा ने कहा था कि भाजपा से निष्कासित होने के बाद प्रीतम पहले से कई गुना लोकप्रिय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रीतम को आज से नहीं, बल्कि उस समय से जानती है, जब 1989 में वह मेरे लिए चुनाव प्रचार करने आए थे। उमा भारती ने कहा कि ये मतभेद तुम्हारी असंमियत भाषा से हो गया, इसको तुमने माफी मांगकर ठीक कर लिया, माफी नहीं देना ही अब अपराध है। माफी मांगकर इसने अपना धर्म पूरा कर लिया। हाथ जोड़कर माफी मांगी, पांव पकड़कर माफी मांगी। अब अगर माफी नहीं दी गई तो ये बड़ी भारी भूल है। इसके बाद भी माफ नहीं करोगे तो आप चाहते हैं कि लोग गलतियां करते ही रहें। अगर लोग उनकी गलतियों का प्रायश्चित करते हैं तो उनको पूर्ण सरंक्षण प्राप्त होना चाहिए।
इसलिए मैं प्रीतम को पूरी तरह से आर्शीवाद देने आई हूं । बता दें कि उमा भारती भी लोधी समाज से आती हैं। कुछ दिन पहले ही उमा ने लोधी समाज के सम्मेलन में ये कहकर भाजपा को चौका दिया था कि मेरे कहने पर भाजपा को वोट देने की जरूरत नहीं, मैं नहीं कहती कि लोधियों, तुम भाजपा को ही वोट दो। हम प्यार के बंधन में बंधे हैं पर राजनीति के बंधन से आप मेरी तरफ से स्वतंत्र हैं। आप अपना वोट खुद का मान-सम्मान और हित देखकर देना। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने ग्वालियर के नेता प्रीतम लोधी को पार्टी से निष्कासित करने पर ओबीसी/एससी/एसटी और भीम आर्मी के द्वारा आयोजित संयुक्त कार्यक्रमों में उमड़ रही भीड़ को लेकर पूर्व में पूछे गए एक सवाल पर जवाब दिया था  कि प्रीतम लोधी के पिता जनसंघ में थे एवं राजमाता विजयराजे सिंधिया के करीबी सहयोगियों में से थे। भारती ने कहा कि 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ही प्रीतम लोधी की ड्यूटी खजुराहो संसदीय क्षेत्र में लगाई थी। तब से उनसे परिचय है। भारती ने कहा कि वह मेरे ताकतवर सहयोगी रहे। भाजपा से मुझे निकालने पर प्रीतम लोधी ने भी भाजपा छोड़ दी। उमा भारती ने कहा कि भारतीय जनशक्ति पार्टी के समय उनको माफिया और अपराधी घोषित कर दिया गया।
बता चुकी हैं क्षेत्रीय और जातिगत अंसतुलन
उमा भारती इसके पहले भी मध्य प्रदेश की सत्ता और प्रशासन को लेकर बड़ा बयान दे चुकी हैं। उनका कहना था कि प्रदेश की सत्ता और प्रशासन में क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन बिगड़ा हुआ है। ग्वालियर, सागर, रीवा संभाग में संतुलन बिगड़ा हुआ है। यह ठीक नहीं है। इससे कभी भी असंतोष बिगड़ सकता है। मैंने यह इशारा पहले ही कर दिया था कि सत्ता में, शासन, और प्रशासन में भागीदारी में असमानता नहीं दिखनी चाहिए। स्वास्थ्य संस्थाओं में शिक्षण संस्थानों में भी बहुत असमानता आ चुकी है। यह असमानता विभिन्न रूपों में उभरकर अराजकता उत्पन्न करेंगी। अभावग्रस्त समाज और सुविधायुक्त समाज। उमा ने कहा था कि सत्ता, शासन, प्रशासन, आर्थिक उत्थान, सामाजिक सम्मान सब में बराबरी की भागीदारी की मांग एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इसके लिए संयत भाषा का प्रयोग हो ।
किया जा रहा है लामबंदी का प्रयास
दरअसल उमा भारती के करीबी प्रीतम लोधी भाजपा से निकाले जाने के बाद से पिछड़े वर्ग और दलितों को लामबंद करने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा सागर जिले के बंडा में की गई रैली में इन वर्गों की राजनीति करने वाले नेता भी शामिल हुए थे। यही नहीं पीछोर में भी उनके कार्यक्रम में सपा के पिछड़े वर्ग के नेता शामिल हो चुके हैं। यह प्रदर्शन एक पीड़ित लड़की को न्याय दिलाने के लिए आयोजित किया गया था , लेकिन उसमें  पीड़िता को इंसाफ दिलाने के नाम पर ओबीसी और एससी वर्ग को इकट्ठा किया गया था। उसमें सभी ने औबीस  और दलित एकजुटता को हो विकल्प बताते हुए  सत्ता परिवर्तन की बात कही थी।

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