भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा केन्द्र भारत भवन एक बार विवादों में आ गया है। इसकी वजह है यहां पर 13 जनवरी से होने वाला एक आयोजन। इदस आयोजन के लिए तमाम नियमों व पंरपराओं को ताक पर रखकर संस्कृति विभाग ने आयोजकों को स्वीकृति प्रदान की है। नियमानुसार भारत भवन को किसी भी निजी आयोजन के लिए नहीं दिया जा सकता है, लेकिन इस आयोजन के लिए दे दिया गया है। खास बात यह है कि इस आयोजन के पीछे एक पूर्व प्रदेश के नौकरशाह है, जो भाजपा की सरकार में बेहद पावरफुल रह चुके हैं। उनके द्वारा ही पर्दे के पीछे से भारत भवन में भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। इसमें जिस लेखक उनीर की पुस्तक पर चर्चा की जानी है उस पुस्तक को नाम ही है आईएम उनीर एंड आईएम गे। यानि की संस्कृति विभाग किस तरह की संस्कृति को प्रतिपादित करने जा रही है। खास बात है कि विमर्श के लिए जिन पुस्तकों का चयन किया गया है उसके बारे में जानने तक की जहमत नहीं उठाई गई है। यह सब ऐसे समय हो रहा है जबकि संघ का पूरा जोर संस्कृति पर रहता है और उसे संघ को भाजपा की मातृ स्ंस्था माना जाता है। मप्र में भाजपा की ही सरकार है और सरकार में भी उषा ठाकुर के पास संस्कृति विभाग का जिम्मा है, जिन्हें संघ का ही माना जाता है। खास बात यह है कि प्रदेश में बीते दो दशक से भाजपा की सरकार होने के बाद भी इस महकमे में वामपंथियों का बोल बाला बना हुआ है। इसकी वजह से अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि संस्कृति विभाग सरकार व देश की संस्कृति का दुश्मन बन गई है। खास बात यह है कि यह उनीर वही लेखक हैं , जो अपने ट्वीटर हैंडल से भाजपा के केन्द्र की सरकार व मप्र सरकार के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनके कदमों की खिल्ली उड़ाने में भी पीछे नहीं रहते हैं। इसकी बानगी उनके ट्वीटर हैंडल पर मौजूद विभिन्न सामग्री से मिल जाती है। वे अपने ट्वीट में बजंरग दल कार्यकर्ताओं को गुंडा बताने में भी पीछे नहीं रहते हैं , तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के वीडियो भी जारी करते रहते हैं।
हाल ही में इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन की भी खिल्ली उड़ाने में वे पीछे नही रहे हैं। तमाम संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों द्वारा इसे बुद्धिहीनता व बदमाशी की पराकाष्ठा माना जा रहा है। अगर इस आयोजन की सूची पर आगे नजर डाली जाए तो उसमें गौतम आर राजू की एक अन्य पुस्तक को भी विमर्श के लिए शामिल किया गया है। इस पुस्तक का नाम है आ साईटिंक विजन फॉर इंडिया, जिस पर चर्चा के लिए बुलाया गया है कनीज रिजवी को। यह रिजवी वे हैं जो अपने ट्विटर हैंडल पर जेहाद को परिभाषित कर चुकी हैं। खास बात यह है कि अब प्रदेश में संस्कृति यानी की सरकारी पैसे से लोग इस तरह की चीजें बता रहे हैं। ऐसा नहीं की पहली बार प्रदेश का संस्कृति विभाग इस तरह का आयोजन कर रही हो, बल्कि इसके पहले भी एक आयोजन में विभाग ने वाराणसी से आप पार्टी के एक कार्यकर्ता अभय शर्मा को बुलाया था , जिसमें उनके द्वारा न केवल भाजपा बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी जमकर खिल्ली उड़ाई गई थी। यानि की प्रदेश सरकार के पैसों से यह सब कुछ किया गया था। हद तो यह है कि पैसा सरकारी और आलोचना भी सरकार की। दरअसल संस्कृति विभाग का काम होता है संस्कृति का प्रचार प्रसार करना और विचारों को आगे ले जाने का , लेकिन सवाल यह खड़ा हो रहा है कि विभाग किस तरह के विचारों को आगे ले जाना चाहता है। इस आयोजन पर राष्ट्रवादी लेखक विजय मनोहर तिवारी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि साहित्य की सेवा में केवल यही रह गया है। यह बुद्विहीनता और बदमाशी की पराकाष्ठा है। इसके पीछे के इरादे क्या हैं और वे कौन लोग हैं जो इन विषयों के सूत्रधार हैं।