मालवा-निमाड़ बन रहा है आंतकियों का नया ठिकाना

मालवा -निमाड़

कई और युवकों के बारे में मिली अहम जानकारी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मालवा के बाद अब निमाड़ भी आंतकियों की पसंदीदा जगह बनती जा रही है। अब तक उज्जैन व उसके आसपास के इलाकों से ही आंतकी पनाह लेते रहे हैं या पनपते रहे हैं , लेकिन वे अब  खंडवा क्षेत्र को नया ठिकाना बना रहे हैं। इस बात का खुलासा पंश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा बीते रोज गिरफ्तार किए गए अब्दुल रकीब कुरैशी से हुआ है। उसे राजफाश खानशाहवली से पकड़ा गया है। पेशे से व्यवसायी कुरैशी के पास निमाड़ इलाके में आंतकी संगठन को खड़ा करने का जिम्मा था। वह इंटरनेट के इस्तेमाल करने का माहिर है। बंगाल पुलिस को उसके बारे में हाल ही में पकड़े गए दो आंतकी सद्दाम और सईद अहमद से पता चला था। इन दोनों को बंगाल एसटीएफ ने राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दरअसल खंडवा सिमी का गढ़ माना जाता है। भोपाल जेल से फरार हुए आंतकियों की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद से आतंकियों द्वारा उज्जैन और उसके आसपास के इलाके को छोड़कर खंडवा क्षेत्र को नया ठिकाना बनाना शुरू कर दिया गया था। रकीब की गिरफ्तारी गैर कानूनी गतिविधियां  (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत की की गई है। रकीब पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट मूवमेंट आॅफ इंडिया सिमी के लिए काम करता रहा है , लेकिन सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद वह अन्य आंतकी संगठन से जुड़ गया था। दरअसल जिन दो युवकों से रकीब के बारे में जानकारी मिली है उन युवकों के प्रदेश में कई युवाओं से संबध होने की भी जानकारी सामने आयी है। रकीब की गिरफ्तारी धारा 121, 121ए, 122, 123 और 120बी में दर्ज प्रकरण में की गई  है। पश्चिम बंगाल की एसटीएफ टीम दो दिन पहले खंडवा आ गई थी। रकीब के पास से एसटीएफ ने एक मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और जरूरी दस्तावेज बरामद किए हैं। मध्यप्रदेश पुलिस के अफसरों की माने तो रकीब के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के साक्ष्य पश्चिम बंगाल की एसटीएफ के पास के पूरे साक्ष्य मौजूद हैं। सोशल मीडिया ग्रुप के जरिए वह आतंकियों नेटवर्क जुड़ा था। उसके पास निमाड़ में संगठन का नेटवर्क बढ़ाने की जिम्मेदारी के चलते इस अभियान में वह तेजी से लगा हुआ था। वह सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को जोड़ने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए वह देश विरोधी गतिविधियों के लिए युवाओं को उकसाता था।
सिमी का गढ़ माना जाता है निमाड़  इलाका
प्रदेश का निमाड़ इलाका सिमी का गढ़ माना जाता रहा है। 33 वर्षीय अब्दुल रकीब कुरैशी की गिरफ्तारी से एक बार फिर देश विरोधी संगठन सिमी के सक्रिय होने  की चर्चा शुरू हो गई है। इस मामले में आतंकवाद निरोधी जांच एजेंसियां और गुप्तचर विभाग भी उनका  नेटवर्क खंगाल रही हैं। गौरतलब है कि 2013 में खंडवा की जेल से सिमी के तीन सदस्य भाग गए थे, जिन्हें सेंधवा  से गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह से भोपाल जेल से भी 2016 में सिमी के आठ सदस्य भागे थे, जिन्हें पुलिस ने उसी दिन एनकाउंटर में मार गिराया था। बीते साल प्रतिबंधित संगठन पीएफआई का सक्रिय नेटवर्क भी मध्य प्रदेश के आठ जिलों में मिला था। इसमें खंडवा भी शामिल था।
पहले से दर्ज हैं तीन मामले
रकीब का आतंकी गतिविधियों में लिप्त युवकों से पुराना कनेक्शन है। रकीब पहले सिमी के लिए काम करता था। सिमी में रहते हुए उसके खिलाफ तीन मामले दर्ज हुए थे। दो मामलों में वह सजा काट चुका है। एक मामले में वह जमानत पर चल रहा था। रकीब के साथ उसका भाई भाई रशीद भी सिमी से जुड़ा था। सिमी के लिए काम करने के आरोप में दोनों गिरफ्तार हुए थे और गिरफ्तारी के बाद सात साल तक जेल में रहे। हैं। ये साल 2013-14 में जेल से बाहर आए थे। उसके बाद रकीब आटो मोबाइल का कारोबार करने लगा था।
सेना की जानकारी जुटाता था
पुलिस सूत्रों के अनुसार रकीब  गिरफ्तारी से पहले खंडवा के बांबे बाजार क्षेत्र स्थित एक साइबर कैफे में घंटों बैठा रहता था। यहां वह अधिकांश समय सेना की वेबसाइट को खंगालता रहता था। पुलिस अब उसके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट खंगाल रही है। उसके पास से पुलिस ने एक मोबाइल और पेन ड्राइव जब्त की है।

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