- नई खदानें शुरु होते ही राजस्व में हो जाएगी दोगुना वृद्धि
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के लिए अब कोयला काले हीरे का रुप लेता जा रहा है। इसकी वजह है इससे होने वाली कमाई। अच्छी खबर यह है कि इसी काले सोने से अब प्रदेश सरकार का खजाना भरने वाला है। मध्यप्रदेश कोयला उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। प्रदेश में सालाना 239 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है। जिससे प्रदेश को 2 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है, लेकिन अब नई खदानों से प्रदेश की आय में करीब सत्रह सौ करोड़ की वृद्धि होने वाली है। इसके अलावा आठ नई खदानों में भी आने वाले दिनों में उत्पादन शुरू होगा तो प्रदेश को मिलने वाले राजस्व में करीब दो हजार करोड़ रुपए की और वृद्धि हो जाएगी। इसकी वजह है कोयला खनन में प्रदेश ऊंची छलांग के लिए तैयार हो रहा है। सरकारी कोल कंपनियां जहां पांच कोयला खदानें लगाने की तैयारी कर रही हैं, वहीं 29 कोल ब्लॉक नीलामी में शामिल किए गए हैं। 15 ब्लॉक का पहले ही आवंटन हो चुका है और इनमें सात में कोयला उत्पादन जल्दी ही शुरू होने वाला है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो मध्यप्रदेश कोयला उत्पादन में झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को पीछे छोड़ देगा। दरअसल अभी मप्र का कोयला उत्पादन में चौथा स्थान है। इसकी बड़ी वजह है सरकार द्वारा सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के लिए कोयले का भंडार खोल दिया जाना। सरकारी कंपनियां पांच कोयला खदानें खोलने की तैयारी में हैं। इनमें वेस्टर्न कोलफील्ड्स की गांधीग्राम, धनकसा जमुनिया, तवा-3 अंडर ग्राउंड और गौरी पौनी ओपन कास्ट माइनिंग शामिल हैं। महाराष्ट्र से लगी इन खदानों का शिलान्यास वर्ष 2020 में ही किया जा चुका है। वहीं, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड रामपुर बटुरा शहडोल की अंडर ग्राउंड माइनिंग खोली जाएगी। प्रदेश अभी कोयला उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। जिस तरह से ब्लॉकों की नीलामी और खनन की प्रक्रिया जारी है। मध्यप्रदेश कोयला उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। प्रदेश में सालाना 239 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है। जिससे प्रदेश को 2 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है। अधिकांशत: मध्य प्रदेश के भाग पूर्वी भाग में कोयला खदान है। जिसके अंतर्गत उमरिया, कोरार, सोहागपुर, सिंगरौली और जोहिला नदी क्षेत्र की खदाने आती हैं। इसमें सोहागपुर कोयला क्षेत्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण व बड़ा कोयला क्षेत्र है, जबकि उमरिया सबसे छोटा कोयला क्षेत्र है।
इससे सालाना राजस्व के रूप में ही शासन को 398.27 करोड़ रुपए की राजस्व कमाई होने लगेगी। केंद्रीय कोयला मंत्रालय से प्रदेश के सात कोल ब्लॉक की नीलामी हुई थी। इसमें सिंगरौली के धिरौली कोल खान को अडाणी ग्रुप ने सबसे ज्यादा 12.5 फीसदी राजस्व की बोली लगाकर लिया था। अडाणी ग्रुप की स्ट्रेटाटेक मिनरल रिसोर्स प्राइवेट लिमिटेड कोल खदान चलाएगी। सिंगरौली की धिरौली कोल खान से 398.27 करोड़ रुपए का सालाना राजस्व मिलेगा। यहां से 586 मिलियन टन कोल निकलने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा सीधी के बांधा कोल ब्लॉक से 799 करोड़ का सालाना राजस्व मिलेगा।
यह खदानें निजी क्षेत्र की
निजी कंपनियों को मप्र में 15 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। सात खनन के लिए तैयार हैं। 8 कोल ब्लॉक जमीन अधिग्रहण और जरूरी अनुमतियों की प्रक्रिया में हैं। सरकार ने निजी कंपनियों को कोल देने की तैयारी कर ली है। इसके लिए दो माह पहले नवंबर 2022 से बोली लगाने वालों से ऑफर मंगवाए जा चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा मप्र के 29 कोल ब्लॉक शामिल हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के 27, ओडिशा के 26, झारखंड के 16 और महाराष्ट्र के 11 कोल ब्लॉक नीलाम किए जाने हैं।
1700 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिलेगा
दो साल पहले प्रदेश की जिन कोयला खदानों का आंवटन हुआ था ,उनसे अब राज्य सरकार को 1700 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिलने लगेगा। प्रदेश के कोल ब्लॉक की नीलामी के साथ ही राज्य में अंबानी ग्रुप के बाद अब अडाणी ग्रुप की भी इंट्री दो साल पहले हुई थी। इनमें से सिंगरौली की खदान से 586.39 मिलियन टन कोयला सालभर में निकलेगा।
10/01/2023
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