यूरोप को जगाने के लिए वेक-अप कॉल की जरूरत: जयशंकर

 जयशंकर

विएना /बिच्छू डॉट कॉम। विदेश मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर ऑस्ट्रिया दौरे के बीच यूरोपीय देशों को नसीहत दी। विएना में एक साक्षात्कार में उन्होंने यूरोप को नई विश्व व्यवस्था, यूक्रेन जंग और चीन की चुनौती को लेकर सलाह दी। इसके साथ ही कहा कि यूरोप को हिली हुई विश्व व्यवस्था को समझने के लिए एक वेक-अप कॉल की जरूरत है। ऑस्ट्रियाई अखबार ‘डाई प्रेसे’ को दिए साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा, ‘यूरोपीय लोगों को यह समझना होगा कि जीवन के कठोर पहलुओं का हमेशा दूसरों द्वारा ध्यान नहीं रखा जाता है, कोई भी क्षेत्र स्थिर नहीं होगा यदि विश्व में एक ही शक्ति का वर्चस्व स्थापित हो जाएगा।’

उन्होंने कहा कि यूरोप सिर्फ अपने क्षेत्र में विकास करना चाहता है और जहां तक हो सके अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से दूर रहना चाहता है। यूरोप ने व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया, बहुपक्षवाद पर जोर दिया और जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर अपनी शर्तों पर दुनिया को आकार देने के लिए आर्थिक ताकत का इस्तेमाल किया। विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप कठिन सुरक्षा मामलों से दूर रहता है। वैश्विक ढांचे में मूलभूत बदलाव का जिक्र करते हुए जयशंकर ने अमेरिका का उदाहरण दिया और कहा कि तमाम मतभेदों के बाद भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप इस बात से सहमत हैं कि अमेरिका अब ज्यादा समय तक वैसी भूमिका नहीं निभा सकता, जैसी की वह पहले निभाता रहा है, इसलिए उसे पीछे हटना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हम पहले से ही खतरनाक दौर में रह रहे हैं। इस संक्रमण काल के कारण नई विश्व व्यवस्था बनाने में लंबा समय लगेगा, क्योंकि बदलाव बड़ा है।

उन्होंने कहा कि अमेरिकियों ने जल्दी यह महसूस कर लिया कि उन्हें अपनी स्थिति को पुन: स्थापित करना होगा, इसलिए उन्होंने हमारे जैसे देशों से सहयोग करना शुरू कर दिया। हालांकि, यूरोपीय लोगों ने भी यूक्रेन जंग के पहले महसूस कर लिया था कि विश्व व्यवस्था बदल रही है। फिर भी यूरोप ने व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया, बहुपक्षवाद पर जोर दिया और जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर अपनी शर्तों पर दुनिया को झुकाने के लिए अपने आर्थिक प्रभाव का उपयोग किया।

इसके बाद यूरोपीय लोगों ने भारत-प्रशांत रणनीति के बारे में बात करना शुरू किया। इससे स्पष्ट था कि वे अब दुनिया के अन्य हिस्सों में विकास पर सिर्फ दर्शक नहीं बनना चाहते। उन्होंने कहा कि विश्व व्यवस्था अभी भी पश्चिम मुखी है और इसे बहुपक्षीय बनाने की जरूरत है, ताकि दुनियाभर के देश अपनी विशेष नीतियों और वरीयताओं और हितों को चुन सकें। जयशंकर ने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि नई दिल्ली ने रूसी आक्रमण की निंदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका  और यूरोप के दबाव को खारिज कर दिया। इसके साथ ही रूस को भारत ने अपने सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ता देश में बदल दिया। पिछले साल 24 फरवरी से छिड़े रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिम के कथित पाखंड को भी ठुकरा दिया गया। 

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