![शिवप्रकाश व जामवाल](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2023/01/ssssssss-1.jpg)
हरीश फतेहचंदानी//बिच्छू डॉट कॉम। देश के चुनावी साल में अब भाजपा के दो केन्द्रीय नेता जल्द ही टिकट के दावेदारों की नब्ज टटोलने का काम शुरू करने वाले हैं। यह दोनों नेता हंै क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश। यह दोनों नेता मैदानी स्तर पर जिलों में जाकर इसके लिए न केवल कार्यकर्ताओं की बल्कि स्थानीय पदाधिकारियों की भी बैठक लेंगे। इसमें उनके द्वारा नेताओं से चर्चा कर जीत की रणनीति पर भी बात की जाएगी। इस दौरान उनका मुख्य फोकस विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी करने वाले नेताओं की पूरी नब्ज पर भी रहेगी। इसके आधार पर उनके द्वारा एक रिपोर्ट तैयार कर पार्टी आलाकमान को दी जाएगी। दरअसल बीते आम विधानसभा में भाजपा 109 सीटों पर सिमट गई थी। यह बात अलग है कि उसके बाद हुए उपचुनावों में मिली जीत के बाद उसकी सीटों की मौजूदा संख्या 126 तक पहुंच गई हैं। उधर, 116 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास अब महज 96 सीटें ही बची हैं। इसके अलावा सपा के राजेश शुक्ला और बसपा के संजीव सिंह भी अब भाजपाई हो चुके हैं। इसी साल में अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी अभी से पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है। भाजपा संगठन चुनाव से पहले ही सभी तरह की तैयारियां पूरी कर लेना चाहती है। इसमें संभावित उम्मीदवारों तक के पैनल तैयार करना भी शामिल है। उधर, प्रदेश संगठन ने तय किया है कि , इस साल होने वाले विस चुनाव के मद्देनजर अगले छह माह तक संगठन के नेता प्रदेश के सभी जिलों का दौरा कर हर विधानसभा सीट की कवर करेंगे। इसके बाद नेताओं का चुनावी कैम्पेन शुरू किया जाएगा। इसके अलावा संगठन ने तय किया है कि एक बार फिर से प्रदेशभर में विधानसभा वार विकास यात्राओं को निकालने का क्रम भी शुरू किया जाए। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा सभी मंत्रीगण और विधायक भी अपने-अपने इलाकों में शामिल रहेंगे। दरअसल यह पूरी कवायद चुनाव के मद्देनजर की जा रही है। इसके साथ ही संगठन को भी मजबूत करने की कवायद की जाएगी। इसके लिए भाजपा ने संगठन गढ़े चलो के अपने मंत्र पर अमल करना तय किया है।
समन्वय पर रहेगा जोर
प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी अपने दौरे में जिलों में नेताओं के बीच आपसी समन्वय बनाने पर भी जोर देंगे। जिन सीटों पर जनप्रतिनिधियों और संगठन से जुड़े नेताओं में समन्वय नहीं है, वहां पर ऐसे नेताओं को साथ लेकर उनमें समन्वय स्थापित कराया जाएगा। संगठन की चिंता खासतौर पर ग्वालियर-चंबल अंचल को लेकर अधिक है। दरअसल इस अंचल में बीते आम विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। यह नुकसान तब हुआ था , जबकि भाजपा के कई बड़े पदाधिकारी इसी अंचल से आते हैं। यह बात अलग है कि उप चुनाव में श्रीमंत के साथा होने से भाजपा को कई सीटों का फायदा हुआ है। इसके बाद यहां चुनौती अधिक है। इसकी वजह है कांग्रेस से आए नेता और उनका उपचुनाव में जीत जाना। इस वजह से चुनाव जीतने वाले पूर्व कांग्रेसी नेता तो स्वाभाविक रूप से टिकट के दावेदार हैं ही साथ ही पिछली बार चुनाव हारे चुके भाजपा नेता भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी ने अभी से इस अंचल की हर विधानसभा सीट को लेकर अभी से चिंता करना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि ग्वालियर में संगठन के शीर्ष नेताओं की बैठक भी हो चुकी है। इस अंचल में अब पार्टी नेताओं के सघन दौरे शुरू होंगे और कार्यकर्ता बैठकों में सभी को साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम किया जाएगा। इसकी वजह है अब तक मूल भाजपा व कांगे्रेस से भाजपाई बनने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय नहीं बन पाना है।
योजनाओं की होगी ब्राडिंग
भाजपा की विकास यात्राएं जल्द शुरू होने वाली हैं। सीएम ने विधायकों के साथ हुए वन टू वन में इन यात्राओं को जोर शोर से निकालने की बात कही है। मुख्यमंत्री खुद भी कई यात्राओं में शामिल होंगे। इन यात्राओं का मकसद केन्द्र और राज्य की हितग्राहीमूलक योजनाओं का जन जन तक प्रचार प्रसार करना और जिन्हें अब तक इनका लाभ नहीं मिल रहा है उन्हें इसका लाभ दिलाना है। सरकार का मकसद इसके पीछे हितग्राहियों को पार्टी के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करने का है।
हारी हुई सीटों पर विशेष फोकस
इस बार भाजपा संगठन उन सीटों पर विशेष रुप से अभी से ध्यान देने जा रही है, जिन पर उसे बीते चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था या फिर मामूली अंतर से चुनाव जीत सकी थी। ऐसी सीटों की गहन समीक्षा कर वहां युवाओं को बूथ स्तर तक जोड़ने का काम किया जाएगा। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा अगले छह संगठन नेता अपने जिलों के दौरे में बूथ स्तर तक गठित की गई समितियों को सक्रियता को परखेंगे और त्रिदेव की भूमिका पर भी फोकस करेंगे। हारी हुई सीटों पर खासतौर पर इस बार अभी से प्रदेश के साथ ही पार्टी के केंद्रीय नेताओं के दौरे बनाए जा रहे हैं। इन सीटों के लिए संगठन ने अलग से बिशेष रणनीति भी तैयार की है। दरअसल बीते आम विधानसभा में भाजपा 109 सीटों पर सिमट गई थी। यह बात अलग है कि उसके बाद हुए उपचुनावों में मिली जीत के बाद उसकी सीटों की मौजूदा संख्या 126 तक पहुंच गई हैं। उधर, 116 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास अब महज 96 सीटें ही बची हैं।