बच्चों की शिक्षा का भी किया जाएगा इंतजाम…
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा की शिवराज सरकार अब प्रदेश में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है, जिसके तहत प्रदेश में देह व्यापार में लिप्त महिलाओं को यह काम छोड़ने पर न केवल रोजगार दिया जाएगा , बल्कि उनके बच्चों की पढ़ाई की भी चिंता की जाएगी। यही नहीं उनको समाज में सम्मान दिलाने के लिए सरकार उनका सम्मान भी करेगी। फिलहाल इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा योजना बनाने का काम किया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में की विमुक्त जनजातियों में देह व्यापार की बेहद पुरानी कुरीति चली आ रही है। सरकार द्वारा तैयार की जाने वाली योजना के तहत देह व्यापार के दलदल से बाहर निकलने वाली युवतियों को जिला उद्योग केंद्र से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा और वैश्यावृत्ति छोड़ने वाली महिलाओं के लिए सरकार सम्मान समारोह भी आयोजित करेगी।
इसी तरह से उनके बच्चों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास और किशोर बालिकाओं को कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में रखकर पढ़ाई की सुविधा भी दी जाएगी। खास बात यह है कि ऐसी जीवदेहाओं के बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा, कोचिंग, कैरियर काउंसलिंग, ट्यूशन और छात्रवृत्ति भी दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है।
इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा योजना तैयार करने का काम किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में बांछड़ा, बेड़िया एवं सांसी जनजातियों में देह व्यापार की कुप्रथा है। खास बात यह है कि इनमें देह व्यापार को सामाजिक मान्यता भी मिली हुई है। यह बात अलग है कि इसे कानून रुप से मान्यता नही है। यही वजह है कि इन जनजातियों की महिलाओं को इस परंपरागत कुरीति से दूर करने के लिए ही सरकार द्वारा नई योजना बनाने की कवायद की जा रही है। योजना के तहत सरकार उन स्वयं सेवी संस्थाओंं की भी आर्थिक मदद करेगी, जो इन जनजातियों में देह व्यापार की प्रथा को समाप्त करने और उनके पुनर्वास का काम कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने का काम करेगीं।
प्रदेश के नौ जिलों की पहचान
प्रदेश में सरकार द्वारा नौ जिलों को चिन्हित किया गया है, जहां पर बढ़े पैमाने पर विमुक्त जनजातियां रहती हैं और उनके द्वारा देह व्यापार की कुरीति का पालन किया जाता है। इनमें सागर, छतरपुर, मुरैना, राजगढ़, बुरहानपुर, गुना, रतलाम, नीमच और रायसेन जिले शामिल हैं। इसके अलावा मंदसौर जिले के मल्हारगढ़, गरोठ, सीतामऊ, पलपुरा, सुवासरा, नीमच जिले के नीमच, मनासा, जावद तथा रतलाम जिले के जावरा, आलोट, सैलाना, पिपलौदा व बाजना में बांछड़ा जनजाति पाई जाती हैं। जबकि बेडि?ा जनजाति सागर जिले के पथरिया, विजावत एवं रायसेन व विदिशा जिले में पाई जाती है। सांसी जनजाति बुरहानपुर एवं छतरपुर जिलों में पाई जाती है।
बच्चों के लिए चलाई जाएंगी विशेष गतिविधियां
नई बनाई जा रही योजना में इस बात का भी प्रावधान किया जा रहा है कि बच्चों के लिए बिशेष गतिविधियां चलाई जाएं, जिससे की उनका हृदय परिवर्तन आसानी से किया जा सके। इसके लिए बच्चों के कल्याण व विकास की गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
आश्रय गृह में मिलेगीं सुविधाएं
खास बात यह है कि इसके लिए तैयार की जाने वाली योजना में आश्रय गृह का भी प्रावधान किया जा रहा है। इनकी स्थापना से लेकर इनके संचालन तक का काम अशासकीय संस्थाओं द्वारा किया जाएगा। यह ऐसे क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे जहां पर देह व्यापार अधिक प्रचलित है। इसके लिए सर्वेक्षण कराया जाएगा। खास बात यह है कि इन आश्रय गृहों में उन्हें भोजन, वस्त्र, चिकित्सा व कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके साथ ही संरक्षण गृह भी स्थापित करने का भी प्रावधान किया जा रहा है।
जबाली योजना तोड़ चुकी है दम
प्रदेश में इसके लिए पूर्व में जबाली योजना शुरू की गई थी , लेकिन राज्य सरकार की उपेक्षा की वजह से यह पहले ही दम तोड़ चुकी है। इस योजना के तहत जनजातियों की देह व्यापार में शामिल महिलाओं को पुनर्वास के लिए तीन जिलों छतरपुर, सागर एवं मुरैना में आवासीय शिक्षा केंद्र खोले गए थे , जिसमें से मुरैना का केंद्र बंद हो चुका है, जबकि शेष दो केंद्रों को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आर्थिक मदद देना बंद कर उन्हें भी बंद करने का फैसला किया जा चुका है। कुछ समय पहले छतरपुर की सत्यशोधन आश्रम की अधीक्षिका ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जाबालि योजना जारी रखने का आग्रह किया था। यही नहीं इसे चालू रखने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।