कैसे सुधरेगी भोपाल के स्कूलों की ग्रेडिंग?

स्कूलों की ग्रेडिंग
  • शिक्षक सरकारी आयोजनों में व्यस्त, नहीं हो रही पढ़ाई …
    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन स्कूलों में पढ़ाई नहीं होने से स्कूलों की ग्रेडिंग लगातार गिरती जा रही है। दरअसल, प्रदेश में स्कूलों की ग्रेडिंग सुधारने के लिए भले ही प्रयास हो रहे हैं, लेकिन राजधानी भोपाल में शिक्षकों की लगातार सरकारी आयोजनों में ड्यूटी लगाई जा रही है। इस कारण वे स्कूलों से बाहर रहते हैं। जिसके कारण स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में भोपाल के स्कूलों की ग्रेडिंग कैसे सुधरेगी?
    गौरतलब है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश पांचवें स्थान पर है। इसे पहले स्थान पर लाने के लिए स्कूलों में कई तैयारियां की जा रही हैं। हालांकि, इनमें कुछ तैयारियां ऐसी भी हैं, जो प्रदेश व राजधानी को पहले पायदान पर आने से रोक रही हैं। ये तैयारियां राज्य सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में शिक्षकों के शामिल होने, उन्हें सफल बनाने से जुड़ी हैं। इनका सामाजिक सरोकार तो है लेकिन पढ़ाई से संबंध नहीं है। यह वे कार्यक्रम हैं, जो जिला मुख्यालयों पर आयोजित होते हैं, जिनमें विद्यार्थियों को शामिल होना पड़ता है। और इन्हें शामिल कराने की जवाबदारी शिक्षकों की होती है।
    भोपाल में वर्षभर में 12 से अधिक कार्यक्रम
    प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति क्या है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले भोपाल में वर्षभर के भीतर 12 से अधिक कार्यक्रम हुए हैं, जिनमें विद्यार्थी और बच्चों को शामिल होना पड़ा है। बाकी के अधिकतर शिक्षक बीएलओ ड्यूटी कर रहे हैं और पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बता दें कि भोपाल हाल ही में आई हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों की ग्रेडिंग के आधार पर तैयार रैंकिंग में 19वें पायदान पर रहा। इस जिले से अच्छा प्रदर्शन तो छोटे जिलों का रहा। जबकि प्राथमिक व हाई स्कूल की ग्रेडिंग के आधार पर तैयार होने वाली रैंकिंग में भी भोपाल को 29वीं जगह मिली थी। यह हाल अकेले भोपाल का नहीं है, बल्कि अन्य प्रमुख जिलों का भी है, जो ग्रेडिंग में पिछड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों में मूल काम पढ़ाई पर जोर देना होगा और शिक्षकों की कमी को दूर करना होगा। तभी शैक्षिणक गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। प्राचार्यों का कहना है कि राजधानी में होने वाले कार्यक्रमों में शिक्षकों व विद्यार्थियों को भेजना अनिवार्य हो जाता है।  वहीं, राजधानी के 450 शिक्षक दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति और अटैचमेंट पर हैं।
    12 हजार शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य में लगे
    प्रदेश के करीब 12 हजार शिक्षक पढ़ाना छोड़कर गैर शैक्षिणक कार्य में लगे हैं। कई शिक्षक विभागीय कार्यालयों में बाबूगीरी कर रहे हैं। हालांकि, विभाग की ओर से शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति व अटैचमेंट समाप्त कर उन्हें मूल संस्था में लौटने का आदेश कई बार जारी किया गया है, लेकिन फिर भी पालन नहीं हो रहा है। प्रदेश के 18 हजार सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। आरिफ नगर के शासकीय हाईस्कूल में 18 शिक्षक हैं, लेकिन छह शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ कार्य में है। नवीबाग प्राथमिक शाला में दो शिक्षक पदस्थ हैं और दोनों की ड्यूटी बीएलओ में लगाने से पढ़ाने के लिए कोई नहीं है। शासकीय प्राथमिक शाला द्वारका नगर में नौ में से सात शिक्षकों की ड्यूटी अन्य कार्यों में लगाई गई है। सीएम राइज करोंद के आठ शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ कार्य में लगाई गई है।
    इन कार्यक्रमों में शामिल हुए शिक्षक
    लैपटाप वितरण कार्यक्रम, मेडिकल में हिंदी की किताबों के लांच करने का कार्यक्रम, शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम, सात दिवसीय विश्वरंग कार्यक्रम, सीएम राइजभवनों का भूमिपूजन, लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए आयोजित समारोह, बिरसा मुंडा जयंती समारोह, अनुगूंज चार से पांच दिसंबर, बाल रंग 17 से 19 दिसंबर, नशा मुक्ति कार्यक्रम, उषा एप के लांचिंग कार्यक्रम, मूंग दाल वितरण कार्यक्रम, घर-घर तिरंगा अभियान आदि। शिक्षाविद सुनीता सक्सेना कहते हैं कि देखने में आ रहा है कि स्थानीय कार्यक्रमों में शिक्षकों व विद्यार्थियों को शामिल किया जा रहा है।  ऐसे कार्यक्रमों के लिए स्कूलों में 15-15 दिन पूर्व से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। यह भी ग्रेडिंग में पिछड़ने का एक बड़ा कारण है। शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र कौशल का कहना है कि भोपाल जिले की रैंकिंग इसलिए पिछड़ ऱही है, क्योंकि यहां अधिकांश समय शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों या शासन के बड़े-बड़े कार्यक्रमों में लगे रहते हैं। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है।  साथ ही मूलभूत सुविधाओं को सुधारने का प्रयास- किया जा रहा है।

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