हर समिति में पांच किसानों की समिति करेगी सलाह देने का काम
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी /बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिव सरकार अब किसानों को सहकारी समिति प्रबंधन में साझेदारी देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रत्येक सहकारी समिति के लिए एक पांच सदस्यीय सलाहकार समिति का गठन किया जाएगा। सूबे में फिलहाल चार हजार 536 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां हैं। इसके लिए शिवराज सरकार सहकारी अधिनियम में यह प्राविधान करने जा रही है। खास बात यह है कि इस समिति के पांच सदस्यों में से तीन किसान वे होंगे जो संचालक बनने की पात्रता रखते हैं। दरअसल इस पूरी कवायद के पीछे की वजह है सहकारी समितियों में बीते चार साल से चुनाव नहीं कराया जाना जिसकी वजह से समितियों की कमान पूरी तरह से सरकारी कर्मचरियों के हाथों में बनी हुई है। इसकी वजह से किसान तो नाराज हैं ही साथ हीं विपक्ष भी निशाना साधता रहता है। इसकी वजह से सरकार पर पूरी सहकारी व्यवस्था को सरकारी नियंत्रण में देने के आरोपों का भी सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में 58 लाख से ज्यादा किसान सहकारी समितियों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। लगभग 30 लाख किसान प्रतिवर्ष खरीफ और रबी फसलों के लिए खाद-बीज सहित अन्य कृषि से जुड़ी हुई सामग्री समितियों से ही लेते हैं। खेती की लागत घटाने के लिए ब्याज रहित कृषि ऋण भी समितियों के माध्यम से दिया जाता है। खाद के अग्रिम भंडारण के साथ गेहूं, धान, चना, सरसों, मूंग आदि फसलों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन का काम भी समितियां करती हैं। नियमानुसार समितियों के चुनाव संचालक मंडल का कार्यकाल समाप्त होने के पहले हो जाना चाहिए। विशेष परिस्थिति में कार्यकाल छह माह बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद चुनाव होने चाहिए पर प्रदेश में ऐसा नहीं हो पा रहा है। शीघ्र चुनाव होने की कोई संभावना भी नजर नहीं आ रही है क्योंकि, अभी तक सदस्यता सूची ही तैयार नहीं की गई है। चुनाव न कराने और समितियों का संचालन अधिकारियों से कराने को लेकर कांग्रेस सरकार पर सहकारी व्यवस्था को समाप्त करने का आरोप लगाती रही है। विधानसभा में कई बार यह मामला उठ चुका है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सहकारिता विभाग ने समितियों में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सलाहकार समिति बनाने का प्रस्ताव बनाया है, जिसे विभागीय मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया द्वारा सैद्धांतिक सहमति दी जा चुकी है। इसके बाद विभाग द्वारा सहकारी अधिनियम की धारा 58 और 49 में संशोधन के लिए विधेयक का प्रारूप तैयार करके विधि एवं विधायी विभाग को भेज दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि प्रयास किया जा रहा है कि इस संशोधन विधेयक को शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत कर दिया जाए ताकि जनवरी में प्रक्रिया पूरी करके फरवरी में सलाहकारों का मनोनयन किया जा सके।
22 हजार किसानों को मिल सकता है मौका
समितियों में किसानों को सलाहकार मनोनीत करने से उनमें चल रही नाराजगी समाप्त हो जाएगी। दरअसल इन चुनाव को लेकर किसानों में बेहद नाराजगी देखी जा रही है। वहीं, मुख्य विपक्षी दल भी आरोप नहीं लगा पाएगा कि पूरी सहकारी व्यवस्था सरकारी नियंत्रण में हैं। प्रत्येक समिति में अगर पांच किसानों को शामिल किया जाता है तो 22 हजार किसानों को सलाहकार बनने का मौका मिल सकेगा। इनका काम समितियों की व्यवस्थाओं को देखने के साथ कामकाज को लेकर प्रशासक को सलाह देने का रहेगा।