भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दस अतिरिक्त आईपीएस अफसरों को पदोन्नति देने की मंशा पर केंन्द्र सरकार ने पानी फेर दिया है, जिसकी वजह से प्रदेश के 11 आईपीएस अफसरों का डीआईजी के पद पर पदोन्नत होने का इंतजार बढ़ गया है। दरअसल प्रदेश सरकार की मंशा 2009 बैच के सभी 26 अधिकारियों को एक साथ पदोन्नत करने की है। उन्हें पदोन्नति देने के लिए 26 पदों की जरुरत है। इस बैच में चार सीधी भर्ती के आईपीएस हैं, जबकि 22 अधिकारी एसपीएस कैडर से पदोन्नत होकर आईपीएस बने हैं। फिलहाल डीआईजी के 11 पद रिक्त हैं, जबकि चार पद और जनवरी 2023 की स्थिति में रिक्त होने वाले हैं। इनमें दो पद डीआईजी के पदोन्नत होने से और दो पद डीआईजी के सेवानिवृत्त होने से भी रिक्त हो रहे हैं, जिन्हें मिला कर कुल डीआईजी के रिक्त पदों की संख्या 15 हो रही है। इस तरह से एसपी स्तर के पंद्रह अफसर ही डीआईजी बन पाएंगे, जिसकी वजह से बचे हुए 11 अफसरों की पदोन्नति पर तलवार लटक गई है। राज्य सरकार ने इस बैच के सभी अफसरों को एक साथ पदोन्नत करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति मांगी थी। इसको लेकर राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर एसपी स्तर के अफसरों को पदोन्नति देने के लिए रिक्त पदों के विरुद्ध एक बार छूट दिए जाने की मांग की थी। राज्य सरकार चाहती थी कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से छूट मिल जाने पर बचे हुए 11 एसपी भी पदोन्नति पाकर डीआईजी बन जाएं । राज्य सरकार की ओर से केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव में डीआईजी के 16 पद रिक्त बताए गए थे, जबकि दस पदों को भरने के लिए छूट देने की केंद्र सरकार से मांगी थी , लेकिन केन्द्र ने छूट प्रदान करने से साफ इनकार कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अवर सचिव डीके घोष ने मुख्य सचिव को जिस अंदाज में पत्र लिखा है, उससे साफ है कि केंद्र छूट देने के मूड में कतई नहीं है। घोष ने पत्र में लिखा, यह स्पष्ट किया जाता है कि उपरोक्त पदोन्नति भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाए और इसकी एक प्रति इस मंत्रालय (केंद्र गृह) को रिकॉर्ड के लिए भेजी जाए। राज्य सरकार को सलाह दी जाती है कि राज्य प्रतिनियुक्ति रिजर्व की निर्धारित सीमा से अधिक उपयोग करने के बजाय रिक्त कैडर पदों को अधिकतम करने के लिए उपरोक्त सहमति का उपयोग करें। डीआईजी ग्रेड में 16 रिक्तियों के समक्ष 26 अधिकारियों को पदोन्नति के लिए एक बार छूट देने के राज्य सरकार के अनुरोध के संबंध में यह प्रस्तुत किया जाता है कि आईपीएस (वेतन) नियम 2016 में छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है। मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसरों को पदोन्नति देने के लिए डीपीसी 25 नवंबर 2022 को हुई थी।
डीपीसी में 1998 बैच के अफसरों को एडीजी, 2005 बैच के अफसरों को आईजी, 2009 बैच के अफसरों को डीआईजी बनाने और 2010 बैच के अफसरों को सलेक्शन ग्रेड प्रदान करने की मंजूरी प्रदान की गई है। वर्ष 1998 बैच के आईपीएस विवेक शर्मा, साजिद फरीद शापू और अंशुमान यादव आईजी से एडीजी बनाए जाएंगे। यादव केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ है। इसलिए दो पदों की जरूरत है। वर्ष 2005 बैच के आईपीएस अफसर सुशांत सक्सेना और डा. आशीष आईजी बनाए जाएंगे। आईजी और डीआईजी स्तर के अफसरों को पदोन्नति देने के लिए पद रिक्त हैं। दिक्कत एसपी से डीआईजी बनाने में आ रही है।
यह बनेंगे डीआईजी
जो अफसर डीआईजी बनेंगे उनमें तरुण नायक, नवनीत भसीन, रूडोल्प अल्वारेज, अमित सिंह, शशिकांत शुक्ला, संतोष सिंह गौर, मुकेश कुमार श्रीवास्तव, सुनील कुमार पांडे, ओमप्रकाश त्रिपाठी, मोनिका शुक्ला, मनोज कुमार सिंह, सुनील कुमार जैन, अवधेश कुमार गोस्वामी, महेशचंद्र जैन, सविता सोहाने शामिल हैं।
इनकी पदोन्नति पर लटकी तलवार
मनोज कुमार श्रीवास्तव, डालूराम तेनीवार, अनीता मालवीय, साकेत पांडे, अमित सांघी, टीके विद्यार्थी, सत्येंद्र कुमार शुक्ला, वीरेंद्र कुमार सिंह, प्रशांत खरे, अतुल सिंह, मनीष कुमार अग्रवाल की पदोन्नति पर तलवार लटक गई है, क्योंकि केंद्र ने मंजूरी नहीं दी है।
29/11/2022
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