– बैंस को मिलेगा एक्सटेंशन या किसी और को मिलेगी कमान?
-28 को मुख्यमंत्री दिल्ली में करेंगे प्रधानमंत्री से मुलाकात
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का अगला मुख्य सचिव कौन होगा इस पर संशय अभी भी बरकरार है। संभवत: कल यानि की 28 नवंबर को इस पर से पर्दा हट सकता है कि वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन (सेवावृद्धि)मिलेगा या फिर किसी अन्य अधिकारी को मप्र को मुख्य सचिव बनाया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के सेवाकाल के अब मात्र तीन दिन बचे हैं। वे 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि मप्र का अगला मुख्य सचिव कौन होगा? आमतौर पर मुख्य सचिव के सेवानिवृत्त होने के 15 दिन पहले नए मुख्य सचिव को वर्तमान मुख्य सचिव के ओएसडी के रूप में पदस्थ कर दिया जाता है, लेकिन अब तक किसी अधिकारी को मुख्य सचिव का ओएसडी पदस्थ नहीं किया गया है। ऐसे में ब्यूरोक्रेट्स से लेकर राजनेता तक सभी इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटे हैं कि क्या मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन मिलेगा या प्रदेश को नया मुख्य सचिव मिलेगा, लेकिन सियासी गलियारों में अब तक किसी को भी इस सवाल का जवाब तो दूर संकेत तक नहीं मिला है।जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 28 नवंबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अपने पसंदीदा सीएस को एक्सटेंशन दिलाना चाहते हैं। इस संबंध में वे प्रधानमंत्री से चर्चा के लिए दिल्ली जाएंगे। दिवाली के मौके पर जब आईएएस अनुराग जैन के मुख्यमंत्री से पौन घंटे की मुलाकात की थी, तो उसके बाद प्रशासनिक गलियारों में इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि अनुराग जैन मप्र के नए प्रशासनिक मुखिया होंगे, लेकिन जब 20 नवंबर तक जैन को वर्तमान मुख्य सचिव के ओएसडी के तौर पर पदस्थ नहीं किया गया, तो उसके बाद जैन के मुख्य सचिव बनने को लेकर संशय की स्थिति बन गई। अनुराग जैन वर्तमान में सचिव प्रमोशन आफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के पद पर भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं।
बैंस को मिल सकता है एक साल का एक्सटेंशन
माना जा रहा है कि वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस इस पद पर बने रहेंगे, उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दिया जाएगा, ताकि वे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक पद पर बने रहें। छह माह की सेवावृद्धि मिलने पर जून, 2023 में फिर नया मुख्य सचिव बनाना पड़ेगा, उस समय चुनाव के मात्र पांच माह बचेंगे। ऐसे में फिर नए मुख्य सचिव के लिए चुनौतियां अधिक होंगी। यदि बैंस को सेवावृद्धि पर सहमति नहीं बनती तो अनुराग जैन को प्रदेश वापसी करने का भी अनुरोध कर सकते हैं। केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अजय तिर्की के नाम की भी चर्चा शुरू हो गई है। तिर्की अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। हालांकि वर्तमान हालात में बैंस को सेवावृद्धि दिए जाने की पूरी संभावना नजर आ रही है। यदि ऐसा नहीं होता, तो अब तक सरकार भावी मुख्य सचिव को वर्तमान मुख्य सचिव के ओएसडी के रूप में पदस्थ कर चुकी होती। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस 1985 बैच के आईएएस अफसर हैं। इकबाल सिंह बैंस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं। वे उनके साथ मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव, प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव रह चुके हैं। बैंस जुलाई 2013 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर संयुक्त सचिव बनकर चले गए थे तो उन्हें सरकार बनने के बाद अगस्त 2014 में मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह करके वापस बुलाया और अपना प्रमुख सचिव बनाया था। 2020 में शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभालते ही मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी को हटा कर 1985 बैच के आईएएस अफसर इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बना दिया था। इसके लिए छह अफसरों की वरिष्ठता को नजर अंदाज किया गया था। इकबाल सिंह बैंस मुख्यमंत्री के बेहद भरोसेमंद अफसर माने जाते हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने उन्हें अपना प्रमुख सचिव बनाने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई थी। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के हस्तक्षेप के बाद बैंस की प्रतिनियुक्ति समय से पहले खत्म कर उन्हें मध्य प्रदेश भेजा गया था।
इनको मिल चुका है एक्सटेंशन
अगर एक्सटेंशन मिलता है तो इकबाल सिंह प्रदेश के चौथे मुख्य सचिव होंगे जिन्हें एक्सटेंशन मिलेगा। इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन मुख्य सचिव बीपी सिंह और आर परशुराम को 6-6 माह का एक्सटेंशन दिया था। यह महज संयोग ही है कि शिवराज के राजनीतिक गुरु सुंदरलाल पटवा इसकी शुरुआत की थी । उन्होंने 1958 बैच के आरपी कपूर को 6 माह का एक्सटेंशन दिया था। स्वर्गीय कपूर का कार्यकाल मार्च 1991 में समाप्त होना था पर वे 22 सितंबर 1991 तक मुख्यसचिव रहे। बैंस के एक्सटेंशन की एक वजह यह भी है कि सीएस पद के कई दावेदार हैं। केंद्र में प्रतिनियुक्ति में पदस्थ अफसरों की चुनावी वर्ष में लौटने की रुचि भी नहीं दिख रही है। ऐसे में किसी एक को चुनना, अन्य दावेदारों को निराश कर सकता है। सरकार भी वरिष्ठ अधिकारियों को सुपरसीड कर किसी और को यह जिम्मेदारी देने से उपजने वाले विवादों से बचना चाहती है। इस निर्णय के पीछे सीएम की यही मंशा दिख रही है कि वे अपने सबसे भरोसेमंद अफसर के साथ कुछ महीने और काम करें। शिवराज विकास से जुड़े जिन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना चाहते हैं, उन्हें मौजूदा मुख्यसचिव ही अमलीजामा पहनाएं। इस समय सीएम और सीएस के बीच समन्वय अच्छा है। केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद बैंस मुख्यसचिव बने रहेंगे। केंद्र सरकार मुख्य सचिव के कार्यकाल में वृद्धि अखिल भारतीय (डेथ -कम- रिटायरमेंट) नियम 1958 के नियम 16 ( 3 ) के तहत करती है।
ये हैं दावेदार
अतिवश्वसनीय सूत्रों के अनुसार यदि इकबाल सिंह बैंस को सेवावृद्धि नहीं मिलती है तो अनुराग जैन, मोहम्मद सुलेमान या अजय तिर्की में किसी एक को मध्यप्रदेश का मुख्य सचिव बनाया जा सकता है। वरिष्ठता के आधार पर वीरा राणा नंबर वन पर हैं, ऐसे में देखना यह होगा कि क्या निर्मला बुच के बाद वीरा राणा मध्यप्रदेश की दूसरी महिला मुख्य सचिव बनेगी। निर्मला बुच को शिवराज सिंह चौहान के राजनैतिक गुरु स्वर्गीय सुंदर लाल पटवा ने मुख्य सचिव बनाया था। सूत्रों का यह भी कहना है कि यदि बैंस को सेवावृद्धि नहीं मिलती तो उन्हें एनवीडीए का चेयरमैन के साथ मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया जा सकता है। इनके अलावा 1989 बैच के अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार, अपर मुख्य सचिव पशुपालन जेएन कंसोटिया और 1990 बैच के अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा और अपर मुख्य सचिव जल संसाधन व नर्मदा घाटी विकास एसएन मिश्रा के नाम भी मुख्य सचिव के दावेदारों में शामिल हैं।