
- पुलिस कमश्रिर प्रणाली भी नहीं सुधरवा पा रही पुलिसकमीर्यों की कार्यप्रणाली
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए भले ही सरकार ने भोपाल व इंदौर जैसे शहरों में कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी है, लेकिन उसके अच्छे परिणाम अब तक जनता को नहीं मिल पा रहे हैं।
यही वजह है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा हर माह जारी की जाने वाली जिलों की ग्रेडिंग में भोपाल व इंदौर जिले की रैंकिंग में सुधार नहीं हो पा रहा है। इसके उलट प्रदेश के छोटे जिलों में हालात बेहतर है, जिसकी वजह से छोटे जिले बड़े शहरों की पुलिस कार्यप्रणाली पर भारी पड़ रहे हैं। दरअसल भोपाल व इंदौर जैसे शहरों में अधिकांश पुलिस अफसरों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचरियों की पदस्थापना उनके रसूख के आधार पर होती है , जिसकी वजह से यह अफसर व उनका अधीनस्थ अमला अपनी हिसाब से ही काम करता है। प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन में आमजन द्वारा की जाने वाली शिकायतों के निराकरण तक में अफसर लापरवाह बने रहते हैं। यही वजह है कि इस मामले की समीक्षा में सूबे के पचास फीसदी से अधिक यानी कि 28 जिलों को बी-ग्रेड मिला है। इस मामले में खरगोन सहित 23 जिलों में अच्छा काम किया गया है जिसकी वजह से उन्हें ए श्रेणी में रखा गया है।
सीएम हेल्पलाइन में होने वाली शिकायतों के निराकरण की पुलिस मुख्यालय द्वारा हर माह समीक्षा की जाती है। इसी समीक्षा में खुलासा हुआ है कि बड़े शहरों की पुलिस जनता की शिकायतों के समाधान करने में रुचि नहीं ले रही है। ऐसा नही कि सिर्फ बड़े जिलों में ही ऐसा हो रहा है बल्कि, बड़े शहरों वाले पुलिस रेंजों के भी सही हालात बनें हुए हैं। इनमें भोपाल , इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर रेंज भी शामिल है। समीक्षा के बाद रिपोर्ट संबंधित जिलों को भी भेजी जाती है। अधिकारियों के मुताबिक रैंकिंग शिकायतकर्ता के फीडबैक के आधार पर तैयार की जाती है। शिकायतकर्ता के संतुष्ट होने पर ही शिकायत को बंद किया जाता है। इसी तरह से कई इस तरह की शिकायतें भी आती है , जिनमें पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है, जिसकी वजह से उन्हें बंद करने का भी प्रावधान है। इस समीक्षा में सामने आया है कि छोटे जिलों में शिकायतों के निराकरण में सुधार हो रहा है , जबकि बड़े शहरों में जस की तस स्थिति बनी हुई है। यही नहीं बड़े शहरों सहित अधिकांश जिलों में तय 50 दिनों में महज 40 फीसदी शिकायतों का निराकरण किया गया है।
खास बात यह है कि जिन जिलों को ए ग्रेड दिया गया है उसमें खरगोन, निवाड़ी, नरसिंहपुर, डिंडोरी, झाबुआ, बैतूल शाजापुर श्योपुर, बुरहानपुर, अलीराजपुर, अनूपपुर, सिवनी, पन्ना, अशोक नगर, टीकमगढ़, आगर मालवा, दतिया देवास, उमरिया, रतलाम, खंडवा, मंडवा, बड़वानी, हरदा जैसे छोटे जिले शामिल हैं।
पब्लिक फीडबैक व्यवस्था भी बेअसर
थाना स्तर पर लोगों की सुनवाई के लिए भोपाल सहित अन्य जिलों में फीडबैक की नई व्यवस्था भी बनाई गई है। इसके बाद भी लोगों को अपनी सुनवाई के लिए भटकना पड़ रहा है। परेशान होने के बाद ही आमजन पुलिस के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने को मजबूर होते हैं। इसके बाद भी पुलिस अपनी कार्यप्रणाली सुधारने को तैयार नजर नहीं आ रही है। यही वजह है कि बड़े जिलों में सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में पुलिस फिसड्डी साबितहो रही है।
यह जिले बी और सी ग्रेड वाले जिले
नीमच, बालाघाट जबलपुर, गोपाल, इंदौर, मिड, मुरैना, विदिशा सीहोर, होशंगाबाद रायसेन, रीवा, सतना, सीधी, शहडोल, सागर, कटनी, उज्जैन, शिवपुरी, मंदसौर, गुना, सिगरौली छतरपुर, खरगोन, दमोह, झाबुआ छिंदवाड़ा और सिवनी वे जिले हैं, जहां पर सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायतों के निकराकरण में भी पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई है। इसकी वजह से इन जिलों को बी और सी ग्रेड ही मिला है।