हर साल करोड़ों खर्च के बाद भी छात्रों को नहीं मिल पा रही खेल सुविधाएं

खेल सुविधाएं

– खेल के नाम पर हर साल वसूली जाती है छात्रों से राशि…

भोपाल/रवि खरे /बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के कई खिलाड़ी हैं जो राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं, फिर भी प्रदेश सरकार स्कूलों में खेल की सुविधाएं देने में नकारा साबित हो रही है। यह हाल प्रदेश में तब बने हुए हैं, जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत खेल को अनिवार्य किया जा चुका है।
प्रदेश के स्कूलों के हालात यह हैं कि न तो खेल शिक्षक हैं और न ही खेलने का सामान ही है। इसी तरह से किसी स्कूल में सामान है तो खेल शिक्षक नही है और जहां पर खेल शिक्षक हैं, उस स्कूल में खेल का सामान नही है। यह बात अलग है कि स्कूल शिक्षा विभाग इसके बाद भी प्रदेश में हर साल खेलों के नाम पर छह करोड़ रुपए खर्च कर देता है। हद तो यह है कि अधिकांश सरकारी स्कूलों में खेल मैदान तक नही हैं। अगर भोपाल जिले की बात कि जाए तो जिले में कुल 991 सरकारी स्कूलों में से महज तीन में ही बड़े खेल मैदान हैं, लेकिन वह भी रखरखाव के अभाव में बदहाल का शिकार बने हुए हैं। इसी तरह महज 11 स्कूलों में ही खेल शिक्षक पदस्थ हैं लेकिन जिन में वे पदस्थ हैं उनमें से अधिकांश में खेल का सामना ही नहीं है। यह बात अलग है कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का खेलकूद सामान भेजा गया है , लेकिन इतनी कम राशि में कितना व कौन सा सामाना भेजा गया होगा समझा जा सकता है, जबकि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की संख्या करीब एक लाख है। खास बात यह है कि इसके बाद भी हर साल स्कूलों में बच्चों से खेल के नाम पर करोड़ों रुपए का शुल्क वसूल किया जाता है। इसमें नौवीं व दसवीं के विद्यार्थियों से 120 रुपये और 11वीं व 12वीं से प्रति छात्र सलाना 200 रुपये वसूले जाते हैं। अगर विभाग चाहे तो इस वसूली जाने वाली राशि को ही सिर्फ खेलों पर खर्च कर दे तो सभी सरकारी स्कूलों में खेल की बेहतर सुविधाएं जुटाई जा सकती हैं।
यह हैं राजधानी के हाल  
सरोजिनी नायडू कन्या उमावि में पहली से 12वीं तक करीब 1400 विद्यार्थी हैं। खेल शिक्षक भी हैं, लेकिन खेलकूद के सामान पर्याप्त नहीं है। इस कारण सभी छात्राएं एक साथ नहीं खेल पाती हैं। स्कूल में जूडो, खो-खो, वाली बाल, ताइक्वांडो, हाकी, क्रिकेट ही होता है। कुछ ऐसा ही हाल राजा भोज स्कूल का है। जहां का खेल मैदान बदहाल है और शिक्षक भी नहीं है। इसी तरह राजीव गांधी हाईस्कूल में भी खेल मैदान बदहाल है और शिक्षक भी नहीं है। खेलकूद का सामान भी नहीं है। वहीं शासकीय उमावि जहांगीराबाद और शासकीय उमावि बागसेवनिया में खेलकूद के शिक्षक भी नहीं है और खेलकूद के सामान भी नाम के लिए ही है।
खेल कैलेंडर में शामिल हैं आधा सैकड़ा खेल
कहने को तो शिक्षा विभाग ने खेल कैलेंडर में 50 प्रकार के खेलों को शामिल किया है, लेकिन स्कूलों में सिर्फ 10 खेल ही होते हैं। यह भी वे खेल होते हैं जिनमें सामान व खेल प्रशिक्षक की जरुरत कम ही रहती है। यही कारण है कि यहां के खेलों में विविधता की कमी बनी रहती है।
सिर्फ इन स्कूलों में खेल शिक्षक
सरोजिनी नायडू कन्या स्कूल, महारानी लक्ष्मीबाई कन्या स्कूल, महात्मा गांधी स्कूल, शासकीय कन्या उमावि गोविंदपुरा, शासकीय कन्या उमावि बैरागढ़, बालक बैरागढ़, शासकीय उमावि कन्या स्टेशन, शासकीय माडल स्कूल शाहजहांनाबाद,  महाराणा प्रताप स्कूल, शासकीय उमावि पड़रिया काछी, शा. उमावि आनंद नगर का नाम शामिल है।

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