मालवा निमाड़ बना जंग का मैदान

मालवा निमाड़
  • कांग्रेस व भाजपा का पूरा जोर अब इसी इलाके पर

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल का समय है, लेकिन इसके पहले ही प्रदेश में पूरी तरह से राजनैतिक बिसात बिछनी शुरू हो गई है। इस बिसात का केन्द्र बिन्दु अब पूरी तरह से सूबे का मालवा निमाड़ अंचल बन चुका है। इसकी वजह है इस अंचल का वो इलाका जो आदिवासी समाज का प्रभाव वाला माना जाता है। इस इलाके से जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा निकलने जा रही है तो  उनके प्रभाव को कम करने के लिए भाजपा ने पूरी तरह से कमर कस ली है।
यही वजह है कि राहुल गांधी की यात्रा के पहले भाजपा ने इसी अंचल से गौरव यात्रा शुरू कर दी है। इस यात्रा की वजह से ही अब यह अंचल राजनीति का नया केन्द्र बन चुका है। राहुल गांधी की यात्रा के प्रभाव को नाकाम करने के लिए ही स्वंय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमान सम्हाल रखी है। उनकी इस कवायद में संगठन भी वीडी शर्मा के नेतृत्व में उनके साथ पूरी तरह से खड़ा दिख रहा है। यही वजह है कि सरकार ने न केवल हाल ही में पैसा एक्ट लागू करने की घोषाणा की है , बल्कि स्वयं शिवराज मैदानी स्तर पर आदिवासी समुदाय के बीच पहुंचकर इस एक्ट के प्रावधानों की जानकारी दे रहे हैं। उधर, कांग्रेस में इस यात्रा को लेकर उत्साह दिख रहा है , लेकिन यही यात्रा पार्टी के दो दिग्गज नेताओं के बीच जारी गुटबाजी को सामने भी ला रहा है।
दरअसल  दोनों दल एससी और एसटी वोटों के सहारे सत्ता के रथ पर सवार होना चाहते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 23 नवंबर को मध्यप्रदेश में प्रवेश कर रही है तो इससे पहले रविवार से भाजपा ने आदिवासी गौरव यात्रा शुरू कर दी है। यह यात्रा प्रदेश के सभी 89 आदिवासी ब्लाक में जाएगी। वहीं राहुल गांधी की यात्रा का रूट भी ऐसा तय किया गया है जिसमें यह यात्रा ज्यादा से ज्यादा उंन क्षेत्रों से गुजरे जहां अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता अधिक हैं। भाजपा ने अपनी यात्रा का नाम टंटया भील गौरव यात्रा रखा है। खास बात यह है कि भाजपा इस यात्रा के जरिए आदिवासी मतदाताओं को पेसा एक्ट की खूबियां तो बताएगी ही इसके अलावा पार्टी का फोकस इस बात पर भी है कि आदिवासी मतदाताओं को केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा उनके हित में किए गए कार्यों से भी अवगत कराया जाए। यात्रा प्रदेश के सभी 89 आदिवासी ब्लाक में जाएगी।
 तीन दिसम्बर को यात्रा टंटया भील की कर्मस्थली पहुंचेगी और चार दिसम्बर को इंदौर में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया है। वहीं राहुल गांधी की यात्रा 23 नवंबर को बुरहानपुर के बोरदली गांव से प्रदेश में प्रवेश करेगी। राहुल की यात्रा खंडवा, इंदौर समेत उन विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी जहां एससी और एसटी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। राहुल गांधी भी टंटया भील के गांव में जाएंगे। वे इसके अलावा महू भी जाएंगे। आदिवासी बाहुल्य आगर मालवा से होती हुई यह यात्रा 12 दिन बाद राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर जाएगी।  इन यात्राओं के साथ कांग्रेस और भाजपा का सीधा फोकस आदिवासी और अनुसूचित जाति मतदाताओं पर है। प्रदेश में एसटी की 47 और एससी की 34 सीटें हैं। पिछली बार कांग्रेस ने तीस  एसटी सीटों पर कब्जा करते हुए भाजपा को सत्ता से दूर कर दिया था। जबकि 2018 के चुनाव में भाजपा इन सीटों पर बढ़त लेने में कामयाब रही थी। इसके साथ प्रदेश की अस्सी से अधिक सीटें ऐसी हैं जिन पर आदिवासी मतदाता ही जीत हार का फैसला करते हैं। यही वजह है कि दोनों दल इस वर्ग के मतदाता को लुभाने में लगे हैं।
गुटबाजी आयी सामने
राहुल गांधी की इस यात्रा के की वजह से एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। प्रदेश में इस यात्रा को लेकर कमलनाथ व दिग्विजय गुट के बीच कसमकस देखी जाने लगी है। यात्रा के मार्ग को लेकर यह गुटबाजी खासतौर पर देखी जा रही है। इंदौर में निकलने वाली यात्रा के मार्ग को एक बार इसके चलते परिवर्तित कर दिया गया है। इसकी वजह दिग्विजय सिंह को माना जा रहा है। यही नहीं इस यात्रा का प्रभार भी दिग्विजय सिंह ने अपने खास पूर्व मंत्री पीसी शर्मा को पहले ही दिला दिया गया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मप्र में बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन और धार जिले के आदिवासी क्षेत्रों से होकर निकलेगी  कोशिश है कि राहुल गांधी को आदिवासी क्षेत्रों में पहुंचाकर आदिवासी वोटरों को रिझाया जाए। भील आदिवासी सबसे ज्यादा पश्चिमी मध्यप्रदेश में हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा यहां से भी गुजरेगी।
कांग्रेस लगा रही पूरी ताकत
राहुल गांधी की यात्रा को सफल बनाने के साथ ही आदिवासियों को जोड़े रखने व पूरे प्रदेश में चुनावी साल से पार्टी के पक्ष में अच्छा संदेश देने के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ पूरी ताकत झोंक रहे हैं। यही वजह है कि वे स्वयं ही इस पूरे मामले की कमान सम्हाले हुए हैं। उनके द्वारा पार्टी नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जा चुकी है और खुद भी तैयारियों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस यात्रा के बहाने प्रदेश में चुनाव का आगाज करने जा रही है।
बताई पैसा एक्ट की विशेषताएं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते रोज धार जिले के कुक्षी तहसील मुख्यालय पहुंचे। मंडी प्रांगण में आयोजित सभा में वनवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं भाषण देने नहीं आया हूं। आप लोगों के हित के पेसा नियम की क्लास लेने आया हूं। यह सभी को सशक्त बनाएगा। जल, जमीन, जंगल और खदान पर आपका अधिकार है। अब शराब दुकान के बारे में आप खुद निर्णय ले सकेंगे। शराब की दुकान गांव से हटाना है तो महिलाएं निर्णय ले सकेंगी। कलेक्टर के बजाय ग्राम सभा खनिज के बारे में निर्णय लेगी। उन्होंनें कहा कि हर साल गांव की जमीन, उसका नक्शा, वनक्षेत्र का नक्शा, खसरे की नकल, पटवारी या बीट गार्ड को गांव में लाकर ग्रामसभा को दिखानी होगी, ताकि जमीनों में हेर-फेर न हो। नामों में गलती है तो ग्राम सभा को उसे ठीक कराने का अधिकार होगा। किसी भी प्रोजेक्ट, बांध या किसी काम के लिए हमारे गांव की जमीन ली जाती है, लेकिन अब ग्राम सभा की अनुमति के बिना ऐसा नहीं हो सकेगा। पेसा कानून के जरिये ग्राम सभाओं को और अधिक अधिकार मिले हैं। तेंदुपत्ता तोड़ने और बेचने का अधिकार भी ग्राम सभाओं को दिया जाएगा। गांव में मनरेगा और अन्य कामों के लिए आने वाले धन से कौन-सा काम किया जाएगा, इसे पंचायत सचिव नहीं बल्कि ग्राम सभा तय करेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शराब की नई दुकानें बिना ग्रामसभा की अनुमति के नहीं खुलेंगी। शराब या भांग की दुकान हटाने की अनुशंसा का अधिकार भी ग्राम सभा को होगा। यदि 45 दिन में ग्राम सभा कोई निर्णय नहीं करती है, यह मान लिया जाएगा कि नई दुकान खोलने के लिए वह सहमत नहीं है, फिर दुकान नहीं खोली जाएगी। ग्राम सभा किसी स्थानीय त्योहार पर पूरे दिन या कुछ समय के लिए शराब दुकान बंद करने की अनुशंसा कलेक्टर से कर सकती है। हर गांव में शांति एवं विवाद निवारण समिति होगी।

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