किसानों पर अब खाद संकट, हो रहे परेशान

किसानों

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य बन चुका है जहां पर हर बार फसल की बुवाई के बाद किसानों को खाद के बड़े सकंट का सामना करना पड़ता है।  इस मामले में खुद को किसान पुत्र कहने वाले सूबे के कृषि मंत्री कमल पटेल इसके बाद भी बेफिक्र नजर आते हैं। अब जबकि प्रदेश में रबी सीजन की बुवाई शुरू हो गई है ।  चना, मसूर, सरसों के साथ गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी और यूरिया खाद की बेहद जरुरत किसानों को बनी हुई है, जिसके लिए वे कामकाज छोड़कर सोसायटी के चक्कर काटने पर मजबूर बने हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के कई जिलों में भारी खाद का संकट बना हुआ है। इसके गंभीर हालात इससे ही समझे जा सकते हैं कि अकेले गुना जिले में ही 10 हजार टन डीएपी खाद की कमी बनी हुई है।
इसी तरह से विदिशा में अब तक 2917 टन यूरिया वितरित किया गया है और 2188 टन का स्टॉक होने का दावा किया जा रहा है, फिर भी किसान परेशान बना हुआ है। इसी तरह डीएपी खाद की 7847 टन उपलब्धता का दावा है, जबकि 4667 टन वितरित किया गया है। अशोकनगर जिले में यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी चारों खाद मिलाकर 70 हजार मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता की तुलना में 37,200 मीट्रिक टन ही मिला है। रायसेन जिले के बेगमगंज में गोदाम पर खाद लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। सागर जिले में मार्कफेड के गोदाम में यूरिया खत्म हो चुका है, डीएपी का दो दिन का ही स्टॉक बचा है।
जिले में रबी सीजन की बुवाई के लिए 21 हजार टन यूरिया और 12500 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है। यहां पिछले दो दिनों में 1900 मैट्रिक टन खाद ही आया है।  मार्कफेड की नई गल्ला मंडी और मकरोनिया स्थित गोदामों में यूरिया नहीं बचा है।  छतरपुर में अभी 8 हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, लेकिन उपलब्धता मात्र 100 टन है। जिले की सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है।  कहा जा रहा है कि इस बार खाद की ज्यादा डिमांड होने की वजह बरसात ज्यादा दिन तक हुई है।  बुवाई के लिए जमीन में बतर नहीं आई, जिससे चना, मसूर, सरसों के साथ गेहूं की बुवाई एक साथ शुरू हो गई है।  वहीं, हर साल चना और मसूर की बुवाई पहले हो जाती है, जबकि गेहूं की बुवाई बाद में होती है।
बाजार में अधिक दामों पर उपलब्ध
मध्य प्रदेश में खाद संकट कोई  नया नहीं है, लेकिन इस बार  किसानों को रबी सीजन की बुवाई में ही संकट का सामना करना पड़ रहा है।  प्रदेश के कई  जिलों में किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इनमें ग्वालियर, भिंड, मुरैना समेत कई जिलों की स्थिति बेहद खराब है। इन जिलों में सहकारी समितियों और मार्कफेड के गोदामों में डीएपी, यूरिया और एनपीके उपलब्ध नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ बाजार में खाद की जमकर कालाबाजारी हो रही है। हालात यह है कि किसानों को घंटों-घंटों  खड़े रहने के बावजूद खाद नहीं मिल पा रहा हैं।
किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया
प्रदेश में खाद की मारामारी और शिकायतों के बीच उपलब्धता बनाने के लिए नया रास्ता निकाला गया है। यही वजह है की समय से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश की 422 डिफॉल्टर प्राथमिक साख सहकारी समितियों को राज्य सरकार द्वारा एडवांस चेक (पोस्ट डेटेड चैक) देने के बाद  25 टन खाद देने का निर्णय किया गया था। इसकी बिक्री का पैसा तुरंत मार्कफेड को लौटाना होगा, तभी दूसरी खाद मिलेगी।  उधर, इसी माह के पहले पखवाड़े में समीक्षा बैठक के दौरान  विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी ने बताया था कि प्रदेश में खाद र्प्याप्त है।  उन्होंने बताया था कि अप्रैल से लेकर 11 अक्टूबर तक यूरिया 19.09 लाख टन, डीएपी 9.80 लाख टन, एनपीके 3.42 लाख टन और एसएसपी 8.58 लाख टन मिला है। पिछले साल ज्यादा खाद का भंडारण हुआ था। अभी यूरिया 2.51 लाख टन, डीएपी 1.98 लाख टन, एनपीके 1.31 लाख टन, एसएसपी 3.50 लाख टन का स्टॅक है ।

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