एनआरआई छात्रों को नहीं पसंद आ रहा मप्र, एक छात्र ने ही लिया प्रवेश

एनआरआई छात्रों

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कुछ साल पहले तक लगातार इंजीनियरिंग कॉलेज खुल रहे थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। नामचीन कॉलेजों को छोड़ दिया जाए तो बाकी के कॉलेजों को चंद छात्र तक नहीं मिल पा रहे हैं, इसकी वजह से कई कॉलेजों में तो अब तक एक भी एनआरआई छात्र ने प्रवेश तक नहीं लिया है। इनमें राजधानी के अलावा कई अन्य शहरों के कॉलेज भी शामिल हैं। यह हाल प्रदेश में तब बने हुए हैं, जबकि बीते कुछ सालों से हजारों सीटें कम की जा चुकी हैं। इस मामले में तो अब एनआरआई छात्रों तक की पूरी तरह से बेरुखी सामने आने लगी है। हालात यह हैं कि इस बार अब तक महज एक छात्र ने ही इस कोटे में प्रवेश लिया है। इसकी वजह है  इंजीनियरिंग कॉलेजों से नॉन रेजिडेंट इंडियन (एनआरआई) स्टूडेंट्स का मोहभंग होना। अगर पूर्व के वर्षों को देखे तों बीते चार साल से एनआरआई कोटे में लगातार प्रवेश कम होते जा रहे हैं। प्रदेश के  इंजीनियरिंग कॉलेजों में एनआरआई कोटे के तहत 50 सीटें निर्धारित हैं। प्रदेश के 143 इंजीनियरिंग कॉलेजों में इन दिनों प्रवेश के लिए प्रक्रिया चल रही है, जिसके तहत अब तक दो चरणों की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है। यह बात अलग है कि कंप्यूटर साइंस  सहित आधा दर्जन प्रमुख ब्रांचों में छात्रों ने अधिक प्रवेश लिया है, लेकिन एनआरआई कोटे में अब तक केवल एक स्टूडेंट ही प्रवेश लेने आगे आया है। शिक्षाविदों की माने तो मप्र में इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में फैकल्टी की कमी से गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आ रही है, जिसकी वजह से एनआरआई स्टूडेंट्स का मोह भंग होता जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश के महाविद्यालयों में फीस भी अधिक ली जाती है। हालांकि इस मामले में  विभागीय अफसरों का तर्क है कि एनआरआई कोटे में प्रवेश के नियम कुछ शिथिल किए गए हैं। जैसे-विदेश में नौकरी करने वाले का परिवार भारत में है, तो उस आधार पर सामान्य सीट पर भी प्रवेश ले सकता है, जिसकी वजह से एनआरआई स्टूडेंट सामान्य सीटों पर प्रवेश ले लेते हैं, क्योंकि एनआरआई सीटों पर प्रवेश के लिए करीब तीन गुना अधिक फीस देनी होती है।
अब तक 33 हजार से अधिक प्रवेश
52 हजार सीटों के लिए कराई गई दो राउंड की काउंसलिंग में 33,487 स्टूडेंट्स एडमिशन एडमिशन कम हो रहे हैं। ले चुके हैं। सबसे अधिक सीएसई ब्रांच में 12,970 छात्रों ने प्रवेश लिए हैं।
यह कॉलेज छात्रों के लिए परेशान
प्रदेश के 142 कॉलेजों में 35 से अधिक कॉलेज ऐसे हैं, जो छात्रों के प्रवेश के लिए परेशान बने हुए हैं। इनकी हालत ऐसी है कि पहले चरण में  एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया था।  इसमें भोपाल के 16 कालेज शामिल थे। अब जरुर दूसरे राउंड में इन कॉलेजों में प्रवेश को लेकर कुछ छात्रों  ने रुचि दिखाई हैं। जो कॉलेज इसके लिए परेशान है उनमें भोपाल के आल सेंट कॉलेज, बगुलामुखी कॉलेज, भोपाल इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट कॉलेज, भोपाल इंजीनियरिंग एंड साइंस कॉलेज, आइसकाम कालेज, कोपल कालेज, लक्ष्मीपति कॉलेज, मिलेनियम कॉलेज, मित्तल कॉलेज, राधारमण कॉलेज, राजीव गांधी कालेज, श्रीराम कॉलेज, सुरभी कॉलेज, स्वामी विवेकानंद कॉलेज और वीएनएस कॉलेज शामिल हैं। वहीं आदित्य कॉलेज सतना, गिरधर शिक्षा एवं समाज सुधार कॉलेज मंडीदीप, ग्लोबल कॉलेज बड़वानी, गुरूरामदास खालसा कॉलेज जबलपुर, ग्वालियर इंस्टीटयूट आफ इंफार्मेशन टेक्नोलाजी ग्वालियर,चित्रकूट, मथुरा देवी कॉलेज इंदौर, नागाजी कॉलेज ग्वालियर, रीवा इंजीनियरिंग कालेज रीवा, संघवी कॉलेज इंदौर, सरस्वती इंस्टीट्यूट जबलपुर, सतपुड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज बालाघाट, एसजीबीएम कॉलेज जबलपुर, शिवकुमार सिंह कालेज इंदौर, श्रीजी इंस्टीटयूट जबलपुर, श्री रामा कृष्णना कॉलेज सतना, श्री रावतपुर सरकार कॉलेज दतिया, श्री परशुराम कॉलेज खंडवा, विक्रांत इंस्टीट्यूट इंदौर और देवास के अन्य कॉलेज शामिल हैं।

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