भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सतना जिले के प्रशासन द्वारा ग्रामीण विकास पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है, जिसकी वजह से यह जिला इस मामले में प्रदेश में सबसे फिसड्डी जिलों में बना हुआ है। इसकी वजह से करीब एक साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां के जिला प्रशासन को फटकार भी लगा चुके हैं , इसके बाद भी हालात नहीं बदल पा रहे हैं। शायद यही वजह रही की ग्रामीण जनता परेशान है और उसने रैगांव विधानसभा उप चुनाव में भाजपा सरकार को अपनी नाराजगी का भी अहसास करा दिया था। इस मामले में मुख्यमंत्री की नाराजगी इससे ही समझी जा सकती है कि उस समय मुख्यमंत्री द्वारा सतना जिले के कलेक्टर को फटकार लगाने के बाद हटा तक दिया गया था।
इसके बाद भी यह जिला विकास के मामले में गति नहीं पकड़ पा रहा है। हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विभाग द्वारा जारी की गई अगस्त माह की रैंकिग में इस जिले को प्रदेश में अंतिम पायदान पर स्थान दिया गया है। खास बात यह है कि इस मामले में भले ही दमोह, श्योपुर, अनूपपुर, मंडला, सिवनी, रायसेन, सीधी, हरदा और राजगढ़ खराब परफॉर्मेंस रहा है , लेकिन फिर भी सतना जिले से उच्च पायदान पर रखे गए हैं। अगर इस मामले में बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को देखें तो इस मामले में भोपाल जिले ने बाजी मारते हुए पहला स्थान प्राप्त किया है। इस मामले में दूसरे से लेकर दस स्थान पर क्रमश: इंदौर, नीमच, खरगोन, मुरैना , छतरपुर, ग्वालियर, उज्जैन, उमरिया और रतलाम को रखा गया है।
जनता कर चुकी है सीएम से शिकायत
मुख्यमंत्री चुनावी सभा को संबोधित करने रैगांव विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे। यहां लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने की शिकायतें की थीं। सीएम ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए ग्रामीण विकास में सुधार लाने के निर्देश दिए थे। सीएम ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डॉ. अभिषेक झाडे को बख्श दिया था। इसके बाद भी जिला ग्रामीण विकास में प्रदेश में पिछड़ा है।
किस योजना में क्या है सतना के हाल
बीते माह की रिपोर्ट के अनुसार मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन सतना को 39 वां नम्बर मिला है, जबकि नरेगा में प्रदेश में 33वां स्थान दिया गया है। इसकी वजह है रोजगार सृजन करने, रोजगार देने, मजदूरों को भुगतान करने, वर्क्स मैनेजमेंट, वार्षिक कार्ययोजना में काम ही नहीं किया गया है। इसी तरह से प्रधानमंत्री आवास योजना में सतना को 51 वां स्थान मिला है। इसकी वजह है । 1,14,468 आवासों के टारगेट की तुलना में महज 91,761 ही पूरे हुए हैं। इसी तरह से स्वच्छता मिशन में प्रदेश में 39वां नम्बर। सामुदायिक स्वच्छता परिसर की प्रगति, ठोस अपशिष्ट ग्रामों और तरल अपशिष्ठ ग्रामों की प्रगति ही नहीं पायी गई है। इसी तरह से पंचायत अंतर्गत जल कर स्वच्छता कर, प्रॉपर्टी टैक्स आदि वसूलने में प्रदेश में 49 वें नंबर पर है।
कुछ इंजीनियरों के पास काम ही नहीं
विकास कार्य में पिछड़ने का बड़ा कारण जिले में आला अफसरों की जारी मनमर्जी है। इस मनमर्जी को इससे ही समझा जा सकता है कि मनरेगा के कई इंजीनियरों को कार्यालय में अटैच कर रखा है , जबकि कई चेहेते इंजीनियरों को दो से तीन ब्लॉक का जिम्मा दे रखा है। इसकी वजह से वे काम पर पूरी तरह से ध्यान ही नहीं दे पाते हैं।
09/10/2022
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