
- तीन पूव उद्यानिकी डायरेक्टरों के खिलाफ चल रही हैं जांचे
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का उद्यानिकी विभाग पहले से ही चर्चा में बना रहता है, लेकिन इस बार चर्चा में आने की वजह है संचालक के पद पर आईएफएस अफसर की पदस्थापना की राह खुलने से। दरअसल इस महकमे के कर्मचारी और अफसर नहीं चाहते हैं कि उनके संचानालय की कमान किसी वन विभाग के अफसर को दी जाए। यही वजह है कि वन अफसर की पदस्थापना की राह खुलने की संभावना के चलते पहले से ही यह कर्मचारी न केवल लामबंद हो रहे हैं , बल्कि उनके विरोध में भी उतरना शुरू हो गए हैं। इसकी वजह है पूर्व में पदस्थ रहे आईएफएस अफसरों की कार्यशैली जिसकी वजह से विभाग की जमकर बदनामी होती रही है। दरअसल हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा उद्यानिकी डायरेक्टर के लिए आईएएस कैडर को समाप्त करने का फैसला कर लिया गया है, जिसके बाद विभाग में दोबारा आईएफएस अफसर के संचालक बनने का रास्ता खुल गया है। इस कैडर के समाप्त होने की वजह से अब उद्यानिकी विभाग में संचालक पद पर आईएएस अफसरों की पदस्थापना नहीं की जा सकेगी। इसकी जानकारी लगने के बाद से ही मप्र राज्य कर्मचारी संघ के उद्यानिकी प्रकोष्ठ ने विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि उद्यानिकी विभाग के गठन के साथ डायरेक्टर पद के लिए कैडर बनाया गया था।
डायरेक्टर के लिए विभागीय, आईएएस और आईएफएस के तीन कैडर तय किए गए थे। जीएडी ने 20 सितंबर को उद्यानिकी विभाग के एसीएस को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र के कार्मिक विभाग ने आइएएस कैडर समाप्त कर दिया है। इसकी वजह से अब वहां पदस्थ आईएएस अफसर की पदस्थापना दूसरी जगह करनी होगी। कर्मचारियों का कहना है कि विभाग में आईएफएस डायरेक्टर रहते सबसे ज्यादा घोटाले सामने आए थे। पिछले तीन डायरेक्टरों के खिलाफ तो जांच तक चल रही है। उनका आरोप हैं कि बीते एक दशक में आईएफएस अफसरों के संचालक बनने की अवधि में भ्रष्टाचार, प्रताड़ना के मामलों में वृद्धि हुई है।
विरोध में केंद्र को लिखेंगे पत्र
उद्यानिकी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पीएस बुंदेला ने कहा है कि संगठन आईएएस कैडर खत्म नहीं करने के लिए केंद्र को पत्र लिखेगा। आईएएस कैडर खत्म करने से आईएफएस को बनाया जा सकेगा। विभाग में आईएफएस डायरेक्टर रहते सबसे ज्यादा घोटाले सामने आए थे। पिछले तीन डायरेक्टर जांच में घिरे हुए थे। दस साल से आईएफएस के रहने से भ्रष्टाचार, प्रताड़ना के मामले बढ़े है।
ये डायरेक्टर विवादों में आए
ईओडब्ल्यू ने प्याज बीज घोटाले की जांच शुरू की थी। आईएफएस मनोज अग्रवाल उस समय बतौर संचालक पदस्थ थे। उस समय 2300 रुपये किलो में खरीदे गए बीज का मामला सितंबर 2020 का है। उद्यानिकी विभाग ने जिस प्याज बीज की बाजार में 1100 रुपये प्रति किलो कीमत थी। उसी को टेंडर बुलाए बगैर 2300 रुपये किलो की दर पर नेशनल हार्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) इंदौर से खरीद लिया था। यह बीज एमपी एग्रो की जगह दूसरी संस्थाओं से खरीदा गया। राष्ट्रीय बागवानी मिशन में उसी साल पहली बार खरीफ फसल में प्याज को शामिल किया गया था । इसके बाद विभाग ने दो करोड़ रुपए में 90 क्विंटल प्याज बीज को खरीद लिया। उद्यानिकी को एमआईडीएच योजना में संकर सब्जी बीज के नाम पर केन्द्र सरकार से 2 करोड़ रुपए मिले थे। इस राशि से नियमों को ताक पर रखकर निम्न गुणवत्ता के अप्रमाणित प्याज बीज की किस्म एग्री फाउंड डार्क रेड की खरीदी कर ली गई थी।
एम कालीदुरई पर यह हैं आरोप
मप्र में आईएफएस एम कालीदुरई के दौरान यंत्रीकरण घोटाला, सीधी में 5 करोड़ का पैक हाउस, 10 करोड़ का प्लास्टिक क्रेट, 7.8 करोड़ का गेंदा बीज और 2 करोड़ का नमामि देवी नर्मदे घोटाला , 5 करोड़ का प्लास्टिक मलचिंग और 2 करोड़ के स्टेविया घोटाले सामने आए थे। कालीदुर्रई ने उद्यानिकी संचालक रहते हुए कोल्ड स्टोरेज के लिए कंपनियों और पालीहाउस निर्माण एवं स्प्रिंकलर के लिए किसानों को अनुदान दिया था। जिसमें घोटाला किया गया था। वर्ष 2019-20 में उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन आयुक्त एम कालीदुर्रई सहित कुछ अधिकारियों ने किसानों को पावर टिलर के स्थान पर पावर विडर व पावर स्प्रेयर वितरित कर दिए। पावर टिलर की कीमत लगभग 1.50 लाख रुपए होती है।