चावल के बाद अब फोर्टिफाइड आटा मिटाएगा कुपोषण

फोर्टिफाइड आटा

17 सेंसटिव जिलों में पीडीएस की दुकानों से बांटा जाएगा  5-5 किलो आटे के पैकेट

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कुपोषण खत्म करने के लिए अब प्रदेश में कुपोषण के लिहाज से सेंसेटिव जिलों में फोर्टिफाइड चावल के बाद फोर्टिफाइड आटा भी बांटा जाएगा।  इसे लेकर प्रदेश सरकार ने तैयारी कर ली है। इसकी शुरूआत प्रदेश के धार, झाबुआ, बैतूल सहित 17 जिलों से की जाएगी। इन जिलों में पीडीएस की दुकानों से 5-5 किलो के आटे के पैकेट दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस आटे से महिलाओं और बच्चों को कुपोषण की समस्याओं से बचाया जा सकेगा। प्रदेश में कुपोषण से निपटने किए जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हाल में तारीफ कर चुके हैं। जानकारी के अनुसार शुरूआत भोपाल, इंदौर सहित 17 जिलों में की जाएगी। प्रस्ताव को अगली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। डबल फोर्टिफाइड आटा से जहां कुपोषण नियंत्रित होगा, वहीं खाद्यान्न की कालाबाजारी भी रुकेगी। आटा तैयार करने तीन से चार जिलों के क्लस्टर बनाए जाएंगे। इसके बाद टेंडर जारी होंगी। फ्लोर मिलों को गेहूं और प्रोटीन-विटामिन खाद्य विभाग उपलब्ध कराएगा, जिसे फ्लोर मिल आटे में मिलाकर पांच-पांच किलो का पैकेट तैयार करेंगे। बताया जाता है कि मप्र के स्थापना दिवस नवंबर से गरीबों को आटा उपलब्ध कराने की शुरूआत की जाएगी।
पोषक तत्व की व्यवस्था सरकार करेगी
गेहूं के बदले फ्लोर मिलर सरकार को आटा देंगे।  इसके लिए सरकार उन्हें प्रति सौ किलो पर पांच किलो गेहूं देगी।  इसी में वे पिसाई और एयर और वाटर प्रूफ बैग में भरकर सिलाई करेंगे।  बैग के बदले सरकार मिलर्स को बारदाना भी देगी। मिल तक गेहूं परिवहन के खर्च का भुगतान सरकार करेगी। प्रदेश में करीब 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं का पीडीएस में वितरण होता है। वितरण करने में दो से तीन रुपए प्रति किलो अतिरिक्त आर्थिक भार आने का अनुमान है। आटा तैयार करने वाली निजी कंपनियों को आयरन, विटामिन डी सहित अन्य पोषक तत्व मिलाना होगा। पोषक तत्व की व्यवस्था सरकार करेगी।
कुपोषण प्रभावित 17 जिलों में बांटा जाएगा:  प्रदेश के कुपोषण प्रभावित जिलों में फोर्टिफाइड चावल बांटना शुरू कर दिया गया है।  अब इसके बाद फोर्टिफाइड आटे का वितरण शुरू किए जाने की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जल्द ही इस पर कैबिनेट की मंजूरी लेने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि फोर्टिफाइड आटा प्रदेश के रीवा, धार, सागर, झाबुआ, छिंदवाड़ा, भोपाल, इंदौर, देवास, उज्जैन, छतरपुर, मंदसौर, बैतूल, दमोह, मंडला, हरदा, अनूपपुर, ग्वालियर में बांटा जाएगा।  इन जिलों में आटे के 5-5 किलो के पैकेट तैयार कर पीडीएस की दुकानों से बांटे जाएंगे।  सरकार ने शुरूआती दौर में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत 6 जिलों में पीडीएस में आटा वितरण करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था।  इसके बाद मंत्री और विधायकों ने सरकार पर दबाव बनाकर अपने-अपने जिले का नाम जुड़वा लिया। इसके चलते सरकार को आटा वितरण का प्रस्ताव 17 जिलों के लिए बनाना पड़ा। 11 जिले बढ़ाए जाने से यह प्रस्ताव 6 माह के लिए और लेट हो गया है।
10 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित
 प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में कुपोषण की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं आया है, हालांकि वर्तमान में प्रदेश सरकार कुपोषण मिटाने के लिए जो प्रयास कर रही है,  उनकी प्रधानमंत्री मोदी भी सराहना कर चुके हैं, लेकिन अभी इस दिशा में और कदम उठाए जाने की जरूरत है।  पिछले विधानसभा सत्र में दिए गए सरकार के जवाब के मुताबिक प्रदेश में 0 से 5 साल की उम्र के 65 लाख 2 हजार से ज्यादा बच्चे हैं, इनमें से 10 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं।
क्या होता है फोर्टिफाइड आटा
फोर्टिफाइड चावल और आटे का मतलब होता है प्रोटीनयुक्त चावल और आटा। इसमें आम आटे और चावल के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन होते हैं। फोर्टिफाइड आटे में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड सहित कई और विटामिन मिलाए जाते हैं, जिससे यह आम आटे की तुलना में ज्यादा पोषक हो जाता है।  इसके सेवन से बच्चों और महिलाओं में विटामिन और खून की कमी (एनीमिया) जैसी समस्याएं नहीं आतीं। जिससे मां और बच्चे कुपोषण के शिकार नहीं होते। फोर्टिफाइड आटा बनाए जाने की प्रक्रिया में गेहूं को पीसकर पहले उसका आटा तैयार किया जाता है। जिसके बाद इसमें पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। इसके बाद इस फोर्टिफाइड आटे के पैकेट तैयार किए जाते हैं। जिन इलाकों से कुपोषण के मामले ज्यादा सामने आए हैं वहां पहले से ही फोर्टिफाइड चावल भी बांटा जा रहा है। फोर्टिफाइड चावल को मिल में तैयार किया जाता है। इसमें पहले सूखे चावलों को पीसकर आटा बनाया जाता है और फिर पोषक तत्वों को मिलकर फिर इन्हें चावल का रूप दिया जाता है

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