
-पार्टी के उपेक्षापूर्ण रवैए से निराश हैं पार्टी के कार्यकर्ता
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस के दिग्गज नेता कार्यकर्ताओं को सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए पे्ररित तो करते हैं, लेकिन जब प्रशासन द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाता है तो पार्टी उन्हें उनके रहमोकरम पर छोड़ देते हैं। इससे पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं में निराशा के भाव भर रहे हैं और पार्टी छोड़ने की मंशा बना रहे हैं। यह स्थिति तब है जब पांच महीने पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं पर सरकार और भाजपा नेताओं की ओर से किए जा रहे अत्याचार का जमीनी स्तर पर विरोध करने और कार्यकर्ताओं की कानूनी मदद करने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की थीं। गौरतलब है कि 2020 में सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकार के खिलाफ आक्रामक तरीके से आंदोलन करने को कहा था। उसके बाद से कांग्रेस कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में अगर प्रशासन द्वारा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो पार्टी उनके साथ खड़ी नजर नहीं आती है।
किए गए थे बड़े-बड़े दावे
गौरतलब है कि अप्रैल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई प्रशासनिक अत्याचार प्रतिरोध समिति की पहली बैठक में कहा गया था कि पार्टी कार्यकर्ता सरकार की ओर से निकाली जा रही राजनीतिक दुश्मनी से जरा भी भयभीत नहीं हों, वे अकेले नहीं है, पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है। कार्यकर्ता और नेताओं को झूठे प्रकरण दर्ज कराकर परेशान किए जाने के खिलाफ कांग्रेस अब न्यायालय से लेकर जमीनी स्तर पर संघर्ष करेगी। वकीलों की टीम बनाकर कोर्ट में पैरवी की जाएगी। ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग में आंदोलन किया जाएगा। मैदानी आंदोलन की शुरूआत दतिया से होगी। कमलनाथ यहां प्रशासनिक अत्याचार विरोधी रैली करेंगे। आज तक कांग्रेस बैठक में हुई इन बातों पर अमल नहीं कर पाई। नतीजा यह हुआ कि दबाव की राजनीति से तंग आकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं को झूठे प्रकरणों में फंसाया जा रहा है। चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आएगा, कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर सरकारी दबाव और बढ़ेगा। ऐसे में यदि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ खड़े नजर नहीं आए, तो आने वाले दिनों में कुछ और नेता व पार्टी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ने को मजबूर होंगे।
शिकायत करने तक सीमित रही पार्टी
उल्लेखनीय है की कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहने और उनके लिए आंदोलन करने के लिए आयोजित बैठक में दतिया में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर दर्ज झूठे प्रकरणों को लेकर पीसीसी चीफ कमलनाथ के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की शिकायत की जाएगी। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुख्यमंत्री की शिकायत की जाएगी। बैठक हुए पांच महीने बीत गए, पार्टी नेता इस दिशा में कार्रवाई करना ही भूल गए। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वरिष्ठ नेताओं. का साथ नहीं मिलने से पार्टी कार्यकर्ता परेशान हैं। वे अपने दम पर आखिर सरकार से कब तक लड़ें। निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी कार्यकताओं पर किस तरह प्रशासनिक दबाव डाला गया, यह पूरे प्रदेश के सामने है। उनका मनोबल न टूटे, इसके लिए जरूरी है कि पार्टी। उनके समर्थन में सरकार के खिलाफ मैदान में उतरे। संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर कहते हैं कि पूरी पार्टी एक-एक कार्यकर्ता के साथ खड़ी है। पिछले महीनों में सभी नेता नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में व्यस्त रहे। इस दरमियान पार्टी कार्यकर्तार्ओं की कुछ शिकायतें पीसीसी आईं, जिन पर कार्रवाई की गई है। वहीं विधायक व सदस्य प्रशासनिक अत्याचार प्रतिरोध समिति विनय सक्सेना का कहना है कि उपाध्यक्ष व संगठन प्रभारी अप्रैल में बैठक के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से उन पर भाजपा नेताओं के दबाव में झूठे प्रकरण दर्ज किए जाने की शिकायतें समिति के पास आई हैं। उन पर कार्रवाई की जा रही है। जमीनी आंदोलन कब तक होगा, इस बारे में वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की जाएगी।