वाणिज्यिक कर विभाग में सफेद हाथी साबित हो रहा एंटी इवेजन ब्यूरो

वाणिज्यिक कर विभाग
  • एसजीएसटी के कर चोरी रोधी ब्यूरो को खत्म करने  को तैयार नहीं मंत्री

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। वाणिज्य कर विभाग में कर चोरी निरोधक ब्यूरो यानी एंटी इवेजन ब्यूरो सफेद हाथी साबित हो रहा है। दरअसल, इन दस्तों को लंबे समय से कार्रवाई के अधिकार नहीं दिए गए। इस पर विभाग के अफसर एंटी इवेजन ब्यूरो को बंद करना चाहते हैं। लेकिन मंत्री इसके लिए तैयार नहीं हैं। उधर, वाणिज्य कर विभाग के कर चोरी निरोधक ब्यूरो को खत्म करने के प्रस्ताव की शहर के व्यापारियों ने सराहना की है। उन्होंने राज्य के वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा से इसे जल्द से जल्द करने को कहा है, क्योंकि इससे व्यापारियों का उत्पीड़न खत्म होगा और विभाग में पारदर्शिता आएगी।  जानकारी के अनुसार वाणिज्यिक कर कमिश्नर लोकेश जाटव विभाग में एंटी इवेजन ब्यूरो (एईबी) या कर चोरी रोकने के लिए गठित दस्ते को बंद करना चाहते हैं। इन दस्तों को लंबे समय से कार्रवाई के अधिकार नहीं दिए गए। पिछले दिनों कमिश्नर ने वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा और विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी की उपस्थिति में दिए प्रेजेंटेशन में यह प्रस्ताव रखा। कमिश्नर ने दो प्रमुख तर्क दिए। पहला- जीएसटी और ई वे बिल आने के बाद इन दोस्तों का औचित्य नहीं रहा। दूसरा- इस विंग के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं। हालांकि मंत्री के सहमत न होने से बात आगे नहीं बढ़ी। अलबत्ता मंत्री ने सवाल जरूर उठाए कि लंबे समय से छापामार दस्ते को अधिकार नहीं दिए जाने से राजस्व को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कैसे होगी। जब पड़ोसी राज्यों में इस तरह के दस्ते काम कर रहे हैं तो केवल मप्र में इन्हें अनुपयोगी बताना किस हद तक सही है।
प्रदेश में छह एंटी इवेजन ब्यूरो
मप्र में इन दिनों छह एईबी विंग काम कर रहे हैं। इन सभी में संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी के साथ टैक्स इंस्पेक्टर होते हैं। मंत्री ने कहा, लंबे समय से दूसरे राज्यों से आए वाहन बिना जांच के प्रदेश से पार हो रहे हैं। देवड़ा ने यह भी कहा कि राज्य कर विभाग अगर छापामार कार्रवाई बंद कर देगा तो प्रदेश में मौजूद सेंट्रल जीएसटी विभाग यह कार्रवाई कर लेगा। ऐसे में राजस्व उनके पूल में चला जाएगा। आयुक्त को लगता है कि एईबी में भ्रष्टाचार है तो उन्हें ऐसे अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस शासनकाल में वाणिज्यिक कर मंत्री रहे दिवंगत बृजेंद्र सिंह राठौर ने मार्च-19 में एईबी को खत्म करने का अल्टीमेटम दे दिया था। उनका तर्क था कि जीएसटी आने के बाद एईबी का कोई महत्व ही नहीं रह गया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा था कि एईबी सरकार को सालाना राजस्व के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करता है तो उसे जारी रखने पर विचार हो सकता है।
एईबी को लेकर असमंजस की स्थिति
दरअसल, वाणिज्य कर विभाग में ही एईबी को लेकर असमंजस की स्थिति है। पिछले दिनों मंत्रालय में हुई बैठक के पहले चरण में सभी एईबी के प्रमुखों को बुलाया गया था। उसमें प्रेजेंटेशन में जाटव ने कहा कि वे राज्य कर विभाग का पुनर्गठन करना चाहते हैं। इसके तहत विभाग का डेटा एनालिसिस एंड रिसर्च विंग एईबी के साथ मर्ज किया जाएगा। इससे छापा मारने से पहले एईबी ज्यादा जानकारी जुटा सकेगी। दूसरे चरण में कमिश्नर ने मंत्री-पीएस को जो प्रेजेंटेशन दिया, उसमें छापामार विंग को ही खत्म करने की बात कही। वाणिज्यिक कर विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी का कहना है कि एईबी को अधिकार नहीं मिलने से विभाग को कोई राजस्व हानि नहीं हुई। शासन के पास अब तक एईबी को खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। चर्चा तो हर तरह के विषयों पर होती है।
एईबी को खत्म करने का व्यापारियों का समर्थन
उधर, वाणिज्य कर विभाग के कर चोरी निरोधक ब्यूरो को खत्म करने के प्रस्ताव की व्यापारियों ने सराहना की है। उन्होंने राज्य के वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा से इसे जल्द से जल्द करने को कहा है, क्योंकि इससे व्यापारियों का उत्पीड़न खत्म होगा और विभाग में पारदर्शिता आएगी। अहिल्या चैंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मंत्री का दृष्टिकोण हमेशा व्यवसाय के हित में निर्णय लेने का रहा है ताकि व्यवसाय चलाने में न्यूनतम कठिनाई हो, साथ ही सरकारी राजस्व में वृद्धि हो। 

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