सरकार को दे रहे आंदोलन की चेतावनी, कोरोना का बनाया जा रहा बहाना …
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
जिस प्रदेश की सरकार से लेकर विपक्ष तक में अधिकांश नेता छात्र राजनीति से आए हैं, उस प्रदेश में एक दो साल से ही नहीं बल्कि करीब दो दशक से छात्रसंघ चुनाव ही नहीं कराए जा रहे हैं। बीच में अधिक दबाव बना तो प्रत्यक्ष की जगह एक दो बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से जरुर चुनाव कराए गए हैं। इसके बाद से सरकार फिर इस मामले में उपेक्षा का रुख अपनाए हुए हैं, लिहाजा अब एक बार फिर भाजपा के छात्र संगठन माने जाने वाले अभाविपा व कांग्रेस के एनएसयूआई ने सरकार से प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की मांग को लेकर मोर्चा शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि इस मांग को लेकर यह दोनों ही छात्र संगठन एक साथ खड़े नजर आना शुरू हो गए हैं। उधर, लगभग अधिकांश उच्च शिक्षा के छात्र भी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाने के पक्ष में हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि उनके प्रतिनिधि नहीं होने से समस्याओं का समाधान ही नहीं हो पाता। छात्रों का कहना है कि राजनीतिक कारणों से 2017 के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं।
उनका कहना है कि जल्द ही विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रसंघ चुनाव कराने की घोषणा नहीं करता है तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे। छात्र नेताओं ने छात्र संघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली के तहत करवाने की मांग की है। 2017 के चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से हुए थे। पहले डिपार्टमेंट स्तर पर या क्लास के स्तर पर सीआर यानी कि क्लास रिप्रजेन्टेटिव चुना जाता है। फिर चुने हुए सीआर छात्रसंघ की बॉडी को चुनते हैं। इसके विपरीत प्रत्यक्ष प्रक्रिया में सभी छात्र सीधे अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महामंत्री, पुस्तकालय प्रमुख जैसे पदों के लिए वोट करते हैं। प्रदेश में पांच साल पहले अप्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव हुए थे। वहीं प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए हुए 19 साल हो गए हैं। लंबे समय से छात्र संगठन प्रदेश के कॉलेजों में प्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
इस साल भी सत्र आधा हो चुका है, लिहाजा छात्र संघ चुनाव होना असंभव दिख रहा है। इस सत्र में भी चुनाव नहीं कराने के पीछे सरकार ने कोरोना का हवाला दिया है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि कोरोना का अभी तीसरा दौर चल रहा है। कोविड की स्थिति सामान्य होने के बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस बारे में बात कर कोई फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में सरकारी आठ यूनिवर्सिटी हैं। 1327 प्राइवेट और सरकारी कॉलेज हैं। छात्रसंघ चुनाव नहीं होने से छात्र निराश नजर आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कॉलेजों में 2017 में अप्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव कराए गए थे। उस समय छात्र संगठनों ने राज्य सरकार से चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की मांग की थी। तब इसे खारिज कर दिया गया था। प्रत्यक्ष प्रणाली से आखिरी बार 2003 में छात्र संघ चुनाव हुए थे। तब से अब तक लगातार छात्र संगठनों के नेता प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
छात्रों के सामने इस तरह की परेशानियां
छात्र नेताओं का कहना है कि चुनाव न होने की वजह से छात्रों को कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है , जिनमें डिपार्टमेंट में बैठने की व्यवस्था नहीं होना, तकनीकी विभाग में प्लेसमेंट का अभाव , स्मार्ट क्लासों की कमी, पानी की उचित इंतजाम नहीं, दस्तावेज सेल में डिजिटलाइजेसन की कमी, लाइब्रेरी को 24 घंटे के लिए न खोलना, स्कॉलरशिप प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव शामिल हैं। उनका कहना है कि इस तरह की समस्याओं के निराकरण में दिक्कतें आना आम बात है। बीयू के अभाविप इकाई के अध्यक्ष प्रभाकर मिश्रा का कहना है कि संगठन ने सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा है, जिसमें चुनाव कराने को लेकर अपनी बात रखी है। अब चुनाव होने चाहिए। लेकिन कोरोना का बहाना लेकर इसे टाला जा रहा है। उनका कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव हो सकते हैं तो छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं। उधर, एनएसयूआई नेता आशीष शर्मा ने कहा कि युवा नेतृत्व को आगे लाने के लिए चुनाव जरूरी हैं। बीजेपी चुनाव न कराकर नए लीडरों की राजनीतिक हत्या करना चाहती है। हम प्रदर्शन करते हैं तो सरकार हम पर लाठीचार्ज करती है। एबीवीपी को चुनाव पर बात करनी चाहिए क्योंकि उनकी पार्टी सत्ता में है।
11/09/2022
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