आधी से अधिक बिजली हो जाती है चोरी, भिंड, मुरैना , रायसेन व हरदा में हालात बेहद खराब
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मध्यप्रदेश में बिजली चोरों की जहां पौ बारह है, तो वहीं ईमानदार उपभोक्ताओं की जेब पर जमकर यह महकमा डाका डाल रहा है। सूबे में कई जिले ऐसे हैं जहां पचास फीसदी से अधिक बिजली की चोरी हो रही है , लेकिन विभाग व प्रशासन इसे रोकने के लिए कदम तक उठाने को तैयार नजर नहीं आता है। लिहाजा इससे होने वाले घाटे की भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं की जेब काट कर की जा रही है। इस मामले में सबसे खराब हालात भिंड और मुरैना जिले में बने हुए है। इसके अलावा राजधानी से सटे दो जिले भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में बिजली चोरी खुलेआम की जाती है, लेकिन न तो उन पर एफआईआर दर्ज कराई जाती है और न ही उनके खिलाफ किसी अन्य तरह की कोई कार्रवाई ही की जाती है। इसकी वजह है बिजली चोरों का राजनैतिक रसूख और उन्हें मिलने वाला प्राश्रय। अप्रैल-मई-जून यानि की तीन माह के आंकड़ों से हुआ है। इन आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में भिंड जिला बिजली चोरी के मामले में पहले स्थान पर है। इस जिले में सर्वाधिक 65.23 प्रतिशत बिजली चोरी होना पाया गया है। यह हाल तब हैं जबकि भिंड जिले में बिजली थाने के साथ ही बिजली चोरी रोकने के लिए इनाम देने का भी प्रावधान किया गया है। अगर आंकड़ोंं पर नजर डालें तो प्रदेश में कम होने की जगह बिजली चोरी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। अगर अन्य जिलों की बात की जाए तो हरदा में 53.50 प्रतिशत, रायसेन में 54 प्रतिशत, ग्वालियर शहर में 50.43 प्रतिशत, मुरैना सर्किल में 58.68 प्रतिशत, भिंड में 65.23 प्रतिशत बिजली की चोरी होना पाया गया है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक उनके प्रभार में 4 संभाग आते हैं, इसमें कई जिले ऐसे हैं, जहां लगातार बिजली चोरी के मामले बढ़ रहे हैं, उनमें भिंड और मुरैना जिला सबसे आगे हैं। उधर, तमाम आला अफसरों व पूरी सरकार के मौजूदगी वाले भोपाल शहर में भी बिजली चोरी जमकर होती है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस मामले में भोपाल शहर के उत्तरी शहर में सर्वाधिक 46.79 प्रतिशत बिजली की चोरी होना पाया गया है। भोपाल सिटी (साउथ) में 35.39 प्रतिशत ,भोपाल सिटी पूर्व में 49.47 , भोपाल सिटी पश्चिम में 27.57 और कोलार क्षेत्र में 38.74 प्रतिशत बिजली की चोरी होना बताया गया है। दरअसल जिन इलाकों में झुग्गी बस्तियां अधिक हैं उनमें बिजली चोरी अधिक होना पाया गया है। इन बस्तियों में खुलेआम खंभों से तार डालकर चौबीस घंटे बिजली का उपयोग किया जाता है। वोट बैंक की राजनीति की वजह से इस तरह के इलाकों में बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल बना रहता है।
इस तरह के उठाए जा रहे कदम
बिजली चोरी रोकने के लिए अब आर्म्ड केबल डाली जा रही है,अभी ऑटो कट ट्रांसफार्मर का प्रयोग नर्मदापुरम, सीहोर में किया जा रहा है, दोनों जिलों में प्रयोग सफल होने पर भिंड, मुरैना, ग्वालियर में भी आर्म्ड ट्रांसफार्मर लगाए जाने की योजना है। अवैध बिजली कनेक्शन वालों पर कार्रवाई के लिए इसमें विभिन्न धाराओं के तहत जुमार्ने का भी प्रावधान तो है ही साथ ही बिजली चोरी के आरोपी को एक साल जेल का भी प्रावधान है।
प्रदेश की दो बिजली कंपनियां फिसड्डी
मध्य प्रदेश की सियासत मेंभले ही बिजली बड़ा मुद्दा रहता है , लेकिन फिर भी इस मामले में प्रदेश की स्थिति अच्छी नही हैं। अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट ने प्रदेश की बिजली कंपनियों की हकीकत सामने ला दी है। मंत्रालय की एनुअल रेटिंग एंड रैंकिंग में प्रदेश की दो बिजली कंपनियों को सर्वाधिक फिसड्डी बताया गया है। इसमें जिन दो कंपनियों को फिसड्डी बताया गया है उनमें मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी और पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी शामिल हैं। देश की 52 बिजली कंपनियों के लिए जारी केंद्र सरकार की एनुअल रिपोर्ट में पूर्व क्षेत्र कंपनी को 47 और मध्य क्षेत्र कंपनी को 48 रेटिंग दी गई है, जो नीचे से टॉप फाइव में शामिल हैं।
लाइन लॉस ने बिगाड़े कंपनियों के हालत
दूसरी तरफ केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी इस बात को मानते हंै कि लाइन लॉस और घाटे में कंपनियोंं की सेहत बिगड़ रही हैं, लेकिन सुधार कार्यक्रमों के जरिए कंपनियों की व्यवस्था बदलने की कोशिश की जा रही है। ट्रिपिंग में कमी आई है, मेंटेनेंस के समय में भी कमी आई है। सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। बिजली कंपनियों में गुजरात मॉडल लागू करने की मांग पर ऊर्जा मंत्री ने कहा तकनीकी अमले की कमी को पूरा किया जाएगा, ताकि प्रदेश की बिजली कंपनियों की रेटिंग में सुधार हो सके।
11/09/2022
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