दो साल में सरकार को देने होंगे 79 हजार करोड़ रुपए

सरकार

दो सालों में करीब दो लाख कर्मचारी सेवानिवृत्ति का भुगतान अटका …

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। पहले से ही अर्थिक संकट का सामना कर रही मध्यप्रदेश सरकार के सामने अब नया संकट खड़ा होता दिख रहा है। यह संकट है कर्मचरियों को उनकी सेवानिवृत्ति पर किए जाने वाले भुगतान को लेकर है। दरअसल दो सालों में करीब दो लाख कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं जिन्हें सरकार को करीब 79 हजार करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।
दो सालों में इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने से प्रदेश सरकार का अािर्थक संकट और अधिक गहरा सकता है। यही वजह है की अब सरकार एक बार फिर से सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। उधर इतनी भारी संख्या में सरकारी कर्मचारियों के रिटायर्ड होने से विभागों में भी कर्मचारियों को संकट गहरता जा रहा है। इसे बीते तीन दशकों में सरकारी महकमों में सीधी भर्ती न होने का साइड इफेक्ट माना जा रहा है। हर साल कर्मचारी तो रिटायर्ड हो रहे हैं, लेकिन विभागों में नई भर्ती नहीं की जा रही है, जिसकी वजह से प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या में हर साल कमी होती जा रही है।
इसकी वजह से हालात यह हो गए हैं की साढ़े सात लाख कर्मचारियों की संख्या वाले प्रदेश में अब लगभग सवा चार लाख कर्मचारी ही रह गए हैं। इनमें से भी 50 हजार के करीब तो इसी साल रिटायर्ड हो जाएंगे। इतनी बड़ी संख्या में रिटायरमेंट से सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। उधर, बार बार सेवानिवृत्ति की आयु में वृद्धि किए जानें से बेरोजगारों के लिए समस्या बढ़ती ही जा रही है। प्रदेश में स्कूल शिक्षा और पुलिस विभाग को छोड़कर बीते कई सालों से किसी भी विभाग में उतनी भर्तियां नहीं की गई हैं, जितने कर्मचारी रिटायर होते हैं। प्रदेश के सरकारी विभागों में कार्यरत 2 लाख 63 हजार अधिकारी-कर्मचारी दो साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस साल अब तक 25 हजार सेवानिवृत्त हो गए हैं , जबकि इसी साल इतने ही और रिटायर्ड हो जाएंगे। इस समय जो भी कर्मचारी है उनमें से अधिकांश अब सेवानिवृत्ति की कगार पर हंै ,जो अगले कुछ सालों में रिाटायर्ड हो जाएंगे।
भुगतान का अनुमान
इस साल को मिलकार अगले तीन सालों में सरकार पर 78 हजार 900 करोड़ का भार आना तय है। इसकी वजह है इस अवधि में करीब 2 लाख 63 हजार कर्मचारियों का  सेवानिवृत्त होना। सेवानिवृत्ति पर एक कर्मचारी को ग्रेच्युटी समेत अन्य लाभ तीस लाख रुपए तक औसतन मिलते है। इस औसत से सरकार को तीन साल में करीब 78 हजार 900 करोड़ का सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों को भुगतान करना होगा। यही वजह है की सरकार इस भुगतान से बचने के लिए कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
मतदान केन्द्रों पर हो जाएगा अभाव
अगले दो साल में होने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव के समय बनाए जाने वाले करीब 65 हजार मतदान केंदों पर तैनाती के लिए कर्मचारियों का संकट खड़ा हो जाएगा। इसकी वजह है हर मतदान केन्द्र पर चार कर्मचारी तौन किए जाते हैं। इसकी वजह से चुनाव के लिए करीब चार लाख कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाई जाती है। ऐसे में सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त होते रहे, तो लोकसभा व विधानसभा चुनाव के लिए नियमित कर्मचारी ही नहीं मिल सकेंगे, जिसकी वजह से यह चुनाव संविदा या दैवेभो कर्मचारियों के भरोसे ही कराने होंगे।
अब आउटसोर्स के भरोसे सरकारी कामकाज  
प्रदेश में पहले नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती थी , जिसके बाद संविदा भर्ती शुरू की गई थी और अब तो हद यह हो गई की आउटसोर्सिंग की प्रथा को लागू कर दिया गया। इसकी वजह से हालात यह हो चुकी है की सरकारी दफ्तरों में संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की संख्या लगभग ढाई लाख के आंकड़ों को छूने जा रही है। इसकी वजह से कामकाज भ्ी प्रभावित होने लगा है। अब तो कई विभागों में ऐसा लगने लगा है की उन्हें ठेके पर संचालित किया जा रहा हो।

Related Articles