मध्यप्रदेश में एनसीआरबी के आंकड़ों को लेकर मची रार

एनसीआरबी
  • जारी किए आंकड़ों से बढ़ा विवाद, विपक्ष हुआ हमलावर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में चुनावी साल के ठीक पहले अपराधों को लेकर भाजपा व कांग्रेस के बीच रार मच गई है। इसकी वजह है एनसीआरबी ने द्वारा हाल ही में जारी किए गए  आंकड़ें। इन आंकड़ों में कई तरह के अपराधों के मामले में प्रदेश में बेहद खराब स्थिति बताते हुए देश में पहले नंबर पर बताया गया है। इसके बाद से की विपक्षी दल कांग्रेस सरकार पर हमलावर की मुद्रा में आ गई है, तो वहीं सत्तारुढ़ दल भाजपा औश्र प्रदेश सरकार की ओर से मोर्चा सम्हालने के लिए पुलिस अफसरों को लगाया गया है। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद पूर्व मंत्री व विधायक पीसी शर्मा ने  आरोप लगाया कि शिवराज सरकार कानून व्यवस्था के मामले में हर मोर्चे पर विफल हो गई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने वर्ष 2021 के लिए जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें आदिवासियों पर अत्याचार में मप्र पहले स्थान पर है।
प्रदेश में आदिवासियों पर 2627 अत्याचार के मामले दर्ज किए गए। बलात्कार के मामले में मप्र का रिकॉर्ड अत्यंत शर्मनाक रहा, प्रदेश में बलात्कार के 6462 मामले दर्ज हुए, इनमें से 3515 मामले नाबालिग से दुष्कर्म के हैं। नाबालिग से दुष्कर्म में मप्र देश में शीर्ष पर है। महिलाओं के साथ रेप के बाद हत्या के मामले में मप्र देश में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में मप्र में कुल 4,75,918 अपराध दर्ज हुए है, जबकि इससे पूर्व 2020 में 4,28,046 अपराध दर्ज हुए थे। उधर, सरकार की ओर से इस मामलें में सफाई देते हुए एडीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव का कहना है कि मध्यप्रदेश महिलाओं से जुड़े अपराधों के मामले में पहले नंबर पर नहीं, छठे स्थान पर है। चालान पेश करने के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। एमपी पुलिस ने 86 फीसदी अपराधों में चालान पेश किए हैं। उन्होंने कहा, एमपी में महिला अपराधों में लगभग तीन फीसदी की कमी आई है। हत्या और गंभीर अपराधों में तो 50 फीसदी तक की कमी आई है। प्रदेश में पीड़ित महिलाओं को 16.05 करोड़ रुपए राहत राशि के तौर पर वितरित किए गए हैं। इसी तरह से अजा-जजा पर दर्ज मामलों को लेकर एडीजी अजाक राजेश गुप्ता ने सफाई दी है। उनका कहना है कि चूंकि आदिवासी आबादी के मामले में भी मध्यप्रदेश देश में नंबर एक पर है, इसलिए अपराध बढ़ना स्वाभाविक है। जिन जगहों पर आदिवासी आबादी कम है, वहां अपराध कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि अजा-जजा पर होने वाले अपराधों पर लगाम कसने के मामले में हमारा ढांचा काफी मजबूत है। लागू किए गए कानूनों का क्रियान्वयन भी राज्य में बेहतर तरीके से हो रहा है। क्रियान्वयन के मुद्दे पर भारत सरकार की ओर से भी सराहना की गई है। उसके बाद उत्तर प्रदेश के डीजी स्तर के अधिकारी, कर्नाटक के एडीजी स्तर के अधिकारी और तेलंगाना के पुलिस अफसरों का एक दल एमपी में लागू की गई व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए आया था। एमपी में दर्ज अपराधों के मामले में 92 प्रतिशत अपराध अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित हैं। प्रदेश पुलिस ने 99 प्रतिशत अपराधों में चालान पेश किया है।
 एक साल में 42 हजार से अधिक अपराध बढ़े
पूर्व मंत्री  पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि महिलाओं के साथ रेप के बाद हत्या के मामले में मप्र देश में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में मप्र में कुल 4,75,918 अपराध दर्ज हुए है, जबकि इससे पूर्व 2020 में 4,28,046 अपराध दर्ज हुए थे। इस तरह प्रदेश में 42 हजार से अधिक अपराध एक साल में बढ़े हैं। प्रदेश में वर्ष 2021 में 2034 लोगों की हत्या हुई, यानी प्रदेश में प्रतिदिन 5 से 6 लोगों की हत्या की जा रही है। शर्मा ने कहा कि अप्राकृतिक यौन अत्याचार के मामले में मप्र देश में दूसरे नंबर पर है। इसी तरह अश्लीलता के मामलों में मप्र देश में पहले पायदान पर पहुंच गया है। प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार के 30,673 मामले दर्ज किए गए, जो वर्ष 2020 की तुलना में 5 हजार अधिक हैं। शर्मा ने कहा कि प्रदेश में अपहरण के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में अपहरण के 7320 मामले दर्ज वहीं वर्ष 2021 में 9511 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं बच्चों से अत्याचार के मामले में मप्र देश में नंबर एक पर है। वर्ष 2021 में बच्चों से अत्याचार के 19173 मामले सामने आये हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति पर अत्याचार के मामले में भी मप्र देश में तीसरे नंबर पर हैं। वरिष्ठ नागरिकों पर अपराध के मामले में मप्र देश में दूसरे पायदान पर है। प्रदेश स्तर के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी अपराध में वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में यह कहा गया
एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में कहा गया है की वर्ष 2021 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत 2627 अपराध दर्ज हुए हैं और 2020 में 2401 अपराध दर्ज हुए थे। वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में दर्ज अपराधों में 9.38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरबी ने वर्ष 2021 में दर्ज अपराधों का डाटा जारी किया है। यह आंकड़ा एक साल में पूरे देश में दर्ज किए गए अपराधों का है। पूरा आंकड़ा राज्य वार जारी किया गया है। अजा-जजा के मामलों में एमपी में कुल 7214 मामले दर्ज हुए हैं।
आज मप्र में कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट को लेकर शिवराज सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से एक बार फिर शिवराज सरकार के तमाम दावों व सुशासन की पोल खोलकर रख दी है। मध्य प्रदेश जो मासूम बच्चियों से दुष्कर्म में वर्षों से देश में अव्वल है, उस पर लगा यह दाग अभी भी बरकरार है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में औसतन हर 3 घंटे में एक मासूम बच्ची से दुष्कर्म की घटना घटती है, जो खुद को मामा कहलवाते हैं, यह उनकी सरकार की हुए थे, शर्मनाक वास्तविकता है। वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासी वर्ग और दलितों के खिलाफ अत्याचार में भी मप्र एक बार फिर देश में शीर्ष पर आया है। वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ मामलों में 9.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आत्महत्या के मामले में भी मप्र देश में तीसरे स्थान पर है। यह शिवराज सरकार के पिछले 16 वर्षों के विकास, सुशासन के दावों की हकीकत है। आज मध्य प्रदेश में कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है। मैं प्रारंभ से ही कहता रहा हूं कि आज प्रदेश में बहन-बेटियों को सबसे ज्यादा सुरक्षा व सम्मान की आवश्यकता है।

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