बा खबर असरदार/पदस्थापना को लेकर नहीं बैठ रही पटरी

  • हरीश फतेह चंदानी
पदस्थापना

पदस्थापना को लेकर नहीं बैठ रही पटरी
वन विभाग में अफसरों की पदस्थापना को लेकर विभाग के मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच पटरी नहीं बैठने की वजह से अफसरों के तबादले नहीं हो पा रहे हैं। इसकी वजह से मैदानी स्तर पर पद रिक्त बने हुए  हैं। दरअसल इन रिक्त पदों पर दोनों ही अपने-अपने पसंद के अफसरों को पदस्थ करना चाहते हैं। इस विवाद की प्रमुख वजह है छतरपुर में डीएफओ और इंदौर वन मंडल में सीसीएफ का पद। यह बात अलग है कि छतरपुर और बैतूल में भी सीसीएफ का पद रिक्त बना हुआ है। दरअसल शाजापुर डीएफओ मयंक चाडीवाल और नीमच डीएफओ विजय सिंह की नए सिरे से पदस्थापना को लेकर अधिक खींचतान बनी हुई है। इसकी वजह से बीते छह माह से एक आदिवासी आईएफएस अफसर को कनिष्ठ पद पर काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

दो सिंहों की जुगलबंदी
प्रदेश के एक आदिवासी जिले में गत दिनों दो सिंहों की जुगलबंदी देखने को मिली। इनकी यह जुगलबंदी लीक से हटकर एक कार्यक्रम के दौरान दिखी। दरअसल, यहां बात कर रहे हैं जिले के कलेक्टर और एसपी महोदय की। ये दोनों साहब जिस जिले में पदस्थ हैं, वह जिला एक प्रख्यात पार्श्व गायक की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। उक्त स्व. पार्श्व गायक के जन्मदिवस पर जिले में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शहर के सम्माननीय लोग शामिल हुए। मौके की नजाकत को देखते हुए लोगों ने कलेक्टर और एसपी साहब को भी माइक थमा दिया। फिर क्या था, दोनों ने पार्श्व गायक के मशहूर गीत पल-पल दिल के पास… गुनगुनाया। दोनों साहब की लय-ताल से जुगलबंदी देखकर हर कोई अचंभित रह गया। हालांकि इन दोनों ने कहा कि हम लोग बाथरूम सिंगर ही हैं। बस मौका ही ऐसा है, कि हमारे सुर सटीक बैठ गए।

कुछ घंटे में आदेश वापस
रातोंरात 2009 बैच के एक प्रमोटी आईपीएस प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में चर्चा का विषय बन गए हैं। दरअसल, साहब ने काम ही कुछ ऐसा किया है। सत्तारूढ़ पार्टी का गढ़ रहे जिले में एसपी की कमान संभालने वाले साहब ने कुछ घंटे के अंदर ही अपना एक आदेश वापस क्या लिया, उनकी चर्चा मंत्रालय से लेकर पुलिस मुख्यालय तक में होने लगी। गौरतलब है कि साहब जिस जिले में एसपी हैं, वहां सत्तारूढ़ पार्टी को पिछले कुछ चुनावों से लगातार हार मिल रही है। ऐसे में पुलिस प्रशासन पर भारी दबाव है। इस दबाव के बीच साहब ने गत दिनों कोतवाली का थाना प्रभारी एक निरीक्षक को सौंप दिया। इससे जिले की राजनीति में हंगामा मच गया। साहब के पास नेताओं के फोन पहुंचने लगे, जिसके बाद साहब को अपना आदेश कुछ घंटे में ही निरस्त करना पड़ा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी परिस्थितियां निर्मित हुई कि पुलिस अधीक्षक को अपने ही आदेश को कुछ ही घंटों पश्चात निरस्त करना पड़ा। इस मामले में विश्वत सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि राजनीतिक दबाव में जिस तरह कोतवाली थाना प्रभारी की नियुक्ति की गई थी, उसी तरह राजनीतिक दबाव में ही उसे निरस्त करना पड़ा।

ब्यूटी विद ब्रेन
कोरोना संक्रमण काल में अपनी कर्मठता से फिल्म अभिनेता सोनू सूद का मन जीतने वालीं 2018 बैच की प्रशासनिक अधिकारी ने अब बिग बी का मन जीता है। दरअसल, मैडम जल्द ही बिग-बी अमिताभ बच्चन के साथ केबीसी की हॉट सीट पर नजर आएंगी। केबीसी में बिग-बी के सवालों का उन्होंने इतने बेहतरीन तरीके से जवाब दिए हैं कि उन्होंने इन्हें ब्यूटी विथ ब्रेन का तमगा दिया। यही नहीं इस दौरान शहंशाह कई बार मैडम का हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए नजर आएंगे। बता दें कि मैडम इन दिनों ऊर्जाधानी में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। मैडम की कर्तव्यनिष्ठा से ऊर्जाधानी का हर व्यक्ति प्रभावित है। मैडम की प्रशासनिक क्षमता से उनके वरिष्ठ अधिकारी तो कायल हैं ही, अब अपनी बौद्धिक क्षमता से उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति की हॉटसीट तक पहुंचने का मुकाम हासिल किया है। आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित केबीसी के शो में मैडम 11 अगस्त को नजर आएंगी।

सेटर-डे अब मेडिटेशन-डे
जिलों में पदस्थापना के दौरान हर प्रशासनिक अधिकारी की कोशिश रहती है कि वह कुछ ऐसा नवाचार करें, ताकि उसे मिसाल के तौर पर याद रखा जाए। इसी कड़ी में बुंदेलखंड के एक जिले के कलेक्टर साहब ने भी नवाचार की दिशा में पहल की है और सेंटर-डे को मेडिटेशन-डे के रूप में घोषित किया है। यानी अब जिले में कलेक्ट्रेट कार्यालय में पदस्थ विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी कर्मचारी ध्यान का प्रशिक्षण लेंगे। 2012 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी की इस पहल को राज्य मंत्रालय में भी सराहा जा रहा है। साहब का मानना है कि लगातार काम करने से कर्मचारियों पर मानसिक और शारीरिक थकान हावी होने लगती है। ऐसे में तनाव से मुक्ति के लिए ध्यान करना जरूरी है। भागमभाग के इस दौर में अधिकारी और कर्मचारी को मेडिटेशन का वक्त नहीं मिल पाता है। ऐसे में कलेक्ट्रेट कार्यालय में ही कुछ वक्त निकालकर सेटर-डे को मेडिटेशन करने की परंपरा शुरू की जा रही है।

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