लापरवाही भारी पड़ रही पचास स्कूलों के गरीब छात्रों पर

गरीब छात्र
  • निजी स्कूलों ने पढ़ाई कराने से किया इंकार, मचा हड़कंप

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही अब गरीब बच्चों पर भारी पड़ रही है। हालात यह है की शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के चलते राजधानी के करीब आधा सैकड़ा निजी स्कूलों ने तो गरीब बच्चों को पढ़ाई  कराने से ही अब इंकार कर दिया है।
यह वे बच्चे हैं जो  नि:शुल्क अनिवार्य एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत इन स्कूलों में पढ़ रहे थे। इसकी वजह से अब इन स्कूलों के ऐसे सैकड़ा बच्चों का एक साल बर्बाद होने का खतरा पैदा हो गया है।  इस मामले में जब बच्चों के अभिभावकों ने राज्य शिक्षा केंद्र में शिकायत की तब कहीं जाकर डीपीसी कार्यालय में हलचल शुरू हुई। अब इस मामले में राज्य शिक्षा केंद्र ने कड़ा रुख अपनाया है। केन्द्र ने बच्चों है को निकालने की धमकी देने वाले स्कूलों को मान्यता समाप्त करने के निर्देश देते हुए इस मामले में लापरवाही बरतने पर डीपीसी राजेश बाथम को जमकर फटकार लगाई है। दरअसल निःशुल्क अनिवार्य एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को कई सालों से राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा आवेदन करने वाले बच्चों को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से प्रवेश दिलाया जाता है। इसके बाद बच्चों के अभिभावकों के मोबाइल पर एक ओटीपी दिया जाता है। यह ओटीपी स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षा विभाग को दिया जाता है, जिसके आधार पर ही माना जाता है कि संबंधित स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिया है। इसके बाद विभाग द्वारा उन सीटों को लॉक किया जाता है। इसके आधार पर ही स्कूलों को बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति की जाती है। इस बीच शिक्षा विभाग के अफसरों ने कई सालों से सीटें लॉक ही नहीं की जिससे स्कूलों को आरटीई के तहत सरकार की तरफ से मिलने वाली फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की गई। खास बात यह है की इस मामले को लेकर कई बार निजी स्कूल संचालक जिला शिक्षा कार्यालय में भी लिखित आवेदन देकर गलती सुधारने का आग्रह किया ,  लेकिन जिला शिक्षा कार्याल के अफसर व कर्मचारियों के कानों पर जू तक नहीं रेंगी। लिहाजा परेशान होकर निजी स्कूलों के प्रबंधन ने बच्चों को बीच सत्र में पढ़ाने से इंकार कर दिया। मामले की अभिभावको द्वारा किशयत किए जाने के बाद संचालक राज्य शिक्षा केंद्र धनराजू एस ने फीस प्रतिपूर्ति की समस्या का परीक्षण कराकर प्रपोजल डीपीसी कार्यालय में भेजने के निर्देश दिए हैं।
भोपाल बना हुआ है फिसड्डी  
जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय में सालों से जमे कर्मचारियों की कई बार शिकायतें मिलने के बाद कोई कार्यवाही नहीं होती, जिसकी वजह से यह कर्मचारी पूरी तरह से लापरवाह बने हुए हैं। यही वजह है की भोपाल जिला पहली से आठवीं तक की रैंकिंग में सी ग्रेड के साथ 35वें स्थान है। यह ग्रेडिंग राज्य शिक्षा केंद्र ने बीती 21 मई को जारी की थी। राजधानी में आरटीई को लेकर सबसे ज्यादा खराब स्थिति है। यहां आरटीई की फीस को लेकर निजी स्कूल संचालक परेशान होते रहते है। साथ ही अभिभावकों की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं कर उन्हें राज्य शिक्षा केंद्र मुख्यालय में जाने की सलाह दे दी जाती है।

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