बीयू के लिए कई कोर्स बने मुसीबत, नहीं मिल रहे छात्र

बीयू
  • फेकल्टी के अभाव में छात्रों द्वारा बनाई जा रही दूरी, 70 फीसद सीटें रिक्त  …

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। एक समय प्रदेश में शिक्षा के नाम पर डंका बजाने वाला बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) इन दिनों छात्रों की बेहद कमी से जूझ रहा है। दरअसल इसके लिए खुद ही विवि प्रबंधन ही जिम्मेदार है। इस विवि में हालात इतने खराब हो चुके हैं की दर्जनों  विभागों में  फैकल्टी तक की सुविधा नही  है।
इसकी वजह से छात्रों का इस विवि से मोह लगभग समाप्त होता जा रहा है। इसकी वजह से इस साल इस विवि में महज तीस फीसदी ही सीटें भर सकीं हैं। विवि के दो दर्जन विभागों के 71 कोर्स में प्रवेश की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद जो स्थिति सामने आयी है, वो बेहद चौकाने वाली है। बीते रोज तक की स्थिति में डिग्री और डिप्लोमा के 20 कोर्स में किसी भी छात्र -छात्रा ने प्रवेश तक नहीं लिया है। इसके अलावा 17 कोर्स ऐसे हैं, जिनमें 1 से लेकर अधिकतम 6 एडमिशन ही हुए हैं। कुल मिलाकर पीजी की कुल 1,795 सीटों के लिए करीब 11 सौ आवेदन आए थे, जिनमें से भी महज 556 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। इन आंकड़ों के हिसाब से महज तय सीटों में से महज करीब 30 फीसदी सीटें हीं भर पायी हैं। यह हाल तब हैं जबकि बीयू में बीते चार साल से रेगुलर कुलपति भी हैं, लेकिन उनका फोकस फैकल्टी पर नही होने से  नियमित तो दूर संविदा फैकल्टी तक की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इस वजह से छात्र बीयू की जगह अन्य महाविद्यालयों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसकी वजह से राजधानी के कॉलेजों में पीजी में प्रवेश की स्थिति बेहद अच्छी है। इधर, बीयू के एमए एक्सटेंशन एजुकेशन एंड सोशल वर्क सहित कई कोर्स ऐसे हैं, जिनमें तीन साल में एक भी आवेदन तक नही आया है। इसके बाद भी बीयू में नए कुछ कोर्स शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन उनमें भी प्रवेश लेने कोई छात्र आगे ही नहीं  आ रहा है।  इस मामले में बीयू प्रबंधन का कहना है की अभी प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। कुछ कोर्स में सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश कराए जा रहे हैं। लैंग्वेज के कोर्स में ही कुछ कम एडमिशन हुए हैं, उन्हें बंद नहीं किया जा सकता है। इनमें से कुछ कोर्स को डिग्री के बजाय डिप्लोमा में बदलने पर विचार किया जा रहा है।
इन कोर्स के यह हैं हाल
बीयू में  मेडिकल लैब, प्लांट टिश्यू कल्चर, वर्मी कम्पोस्ट टेक्नोलॉजी, मशरूम, रूरल डेवलपमेंट, वेब एंड ग्राफिक्स, मोबाइल ऐप डेवलपमेंट, बिगडाटा, बिजनेस इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, एनर्जी आॅडिट मैनेजमेंट और आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग में 25-25 सीटें हैं, लेकिन इनमें एक भी विद्यार्थियों ने प्रवेश ही नहीं लिया है। दरअसल बीयू में कई ऐसे कोर्स सेल्फ फाइनेंस पर चल रहे हैं, जिन्हें कॉलेजों में उच्च शिक्षा विभाग रेगुलर कोर्स के रूप चला रहा है। ऐसे में उसी कोर्स को करने के लिए छात्र अधिक फीस देकर क्यों पढ़ाई करेगा। इस वजह से बीयू में सिर्फ उन्हीं कोर्स में एडमिशन हो रहे हैं, जो कॉलेजों में नहीं हैं।
लॉ डिपार्टमेंट में प्रवेश के लिए मारी मारी
बीयू की बीएएलएलबी की 60 सीटों पर प्रवेश के लिए देशभर से दो हजार से ज्यादा आवेदन जमा हुए हैं। वहीं एलएलएम की 42 सीटों पर प्रवेश के लिए 112 विद्यार्थियों ने आवेदन किए थे। इसमें से सभी सीटों पर एडमिशन हो चुके हैं।
इस तरह की है स्थिति
इस मामले के विशेषज्ञों का कहना है की बीयू में कई कोर्स शुरू तो कर दिए गए हैं, लेकिन न तो रेगुलर फैकल्टी है और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर। ऐसे में स्टूडेंट लगातार कम हो रहे हैं। किसी एक विभाग में कोर्स शुरू करने के लिए एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार असिस्टेंट प्रोफेसर होना जरूरी है। बीयू में 102 पदों में से 40 भरे हैं। जहां 6 से 7 टीचर होना चाहिए, वहां एक टीचर है। ऐसे में क्वालिटी कैसे आएगी। जो गिने चुने रेगुलर प्रोफेसर हैं, वे कमेटियों की बैठक या फिर डिपार्टमेंट के कार्यों में उलझे रहते हैं। प्रत्येक प्रोफेसर को कम से कम 6 घंटे टीचिंग कराना चाहिए। टीचर्स को रिसर्च पेपर पब्लिस करने, पीएचडी कराने, स्टूडेंट संख्या बढ़ाने के साथ पढ़ाई, परीक्षा और रिजल्ट का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। 

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