मप्र में आएगी विकास की बहार

मप्र
  • अब पूरी तरह मिशन मोड में सरकार

पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव निपटते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पूरी तरह मिशन मोड में आ गई है। अब प्रदेश में विकास की बहार आएगी। मुख्यमंत्री ने सभी विभाग प्रमुखों और कलेक्टरों को निर्देशित कर दिया है कि विकास कार्यों का गति दी जाए। विकास में बजट की कमी नहीं आएगी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री से मिले निर्देश के बाद अधिकारी विकास योजनाओं और परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र में 17 साल के शासनकाल में विकास के कीर्तिमान स्थापित करने के बाद शिवराज सिंह चौहान की विकास की ललक कम नहीं हुई है। उनकी कोशिश है कि प्रदेश में राजधानी से लेकर दूर-दराज के गांवों तक एक समान विकास हो। इसलिए उन्होंने चौथी पारी में मुख्यमंत्री बनने के साथ ही अपना सबसे अधिक फोकस विकास कार्यों पर किया। इसी का परिणाम है कि कोरोना महामारी के संकट के बाद भी प्रदेश अर्थव्यवस्था की पटरी से नीचे नहीं उतरा। अब कोरोना का संक्रमण लगभग समाप्त हो गया है। ऐसे में शासन और प्रशासन के पास विकास के लिए पर्याप्त समय है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव समाप्त होते ही पूरा फोकस विकास पर केंद्रित कर दिया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में सजग और सतर्क नजर आ रहे हैं। इसलिए उन्होंने मिशन 2023 को देखते हुए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने अपने मंत्रियों को जनता की कसौटी पर कसने की तैयारी कर दी है। उन्होंने मंत्रियों से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि अब बैठने से नहीं काम चलेगा। सरकार अब हर माह मंत्रियों के कार्यों का आकलन करेगी। मुख्यमंत्री मप्र में सुशासन के सहारे 2023 का विधानसभा चुनाव जीतना चाहते हैं। इसके लिए प्रशासन के साथ ही शासन को भी चुस्त और दुरूस्त होना पड़ेगा। इसके लिए उन्होंने मंत्रियों को अधिक से अधिक समय जनता के बीच रहने और अपने विभागों के माध्यम से विकास कार्य कराने का निर्देश दिया है। मंत्री उनके निर्देश का पूरी तन्मयता से पालन करे इसके लिए उन्होंने रेटिंग प्रणाली की व्यवस्था की है।

इंडस्ट्री को बूस्टर डोज
कोरोना वायरस की महामारी के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में जिस तरह अडिग होकर फैसले लिए उसका असर यह हुआ है कि प्रदेश में तेजी से औद्योगिक विकास हुआ है और मप्र की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। दरअसल, महामारी के बीच भी मुख्यमंत्री ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जिस तरह का वातावरण उपलब्ध कराया है उससे हमें एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रदेश में उद्योगों के लिए इज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ रहा है। कोरोना वायरस की घातक दो लहर के बावजूद प्रदेश के उद्योग जगत ने में आत्मनिर्भर मप्र अभियान को बल दिया। रॉ मटेरियल की आसमान छूती कीमतें, वर्किंग कैपिटल की कमी, स्कील्ड मैन पॉवर का अभाव और मांग की कमी ने उद्योग जगत को जरूर कुछ परेशान किया, लेकिन क्लस्टर्स के बूस्टर डोज ने 2022 के लिए आत्मविश्वास बढ़ा दिया है। शासकीय के साथ निजी औद्योगिक क्षेत्र की आधारशिला ने भी सुनहरे भविष्य की तरफ इशारा किया है। आजादी से अब तक मप्र ने बदहाल अर्थ-व्यवस्था से लेकर विकास की नई उंचाईयां तक देखी है। लंबे समय से प्रदेश का औद्योगिक विकास तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन कोरोना काल के पहले झटके ने इसे हिला दिया। बावजूद इसके शुरूआती तौर पर भले ही उद्योगों को लॉकडाउन के समय तगड़ा झटका लगा हो, लेकिन मप्र का उद्योग जगत इससे हारा नहीं। न थका और न रूका, बल्कि कोरोना काल के बीच भी मप में औद्योगिक विकास ने नई राह निकाल ली। बम्पर निवेश हुआ, नौकरियां गई, लेकिन नया रोजगार भी खूब बढ़ा। केवल कोरोना काल में ही पंद्रह हजार लोगों को नया रोजगार मिला। उस पर अब तीन हजार उद्योग और खोले जाना है। यह भी रोजगार की नई राह रहेगी।
प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास पर फोकस किया जा रहा है। सरकार नए औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रीन एनर्जी, आर्गेनिक खाद से लेकर लॉजिस्टिक इंडस्ट्री बनाने की तैयारी कर रही है। भोपाल-राजगढ़ में 250 करोड़ से ग्रीन एनर्जी पार्क बनना है। इसमें 15 टन प्रतिदिन क्षमता का बायोगैस प्लांट, ऑर्गेनिक खाद, 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का कार्बन-डाई-ऑक्साइड कैप्चर प्लांट और 10 मेगावाट क्षमता का केप्टिव सोलर पॉवर प्लांट बनेंगे। हाइड्रोजन व अमोनिया गैस भी बनेगी। भोपाल-इंदौर-जबलपुर-ग्वालियर-कटनी सहित 7 प्रमुख क्षेत्रों में एयरपोर्ट व सडक़ कनेक्टिविटी वाले बड़े लॉजिस्टिक पार्क लाने की तैयारी। भोपाल-इंदौर कॉरिडोर में आष्टा के समीप बड़े क्षेत्र पर एआइ व आईटी हब के लिए प्लान है। पांच नए औद्योगिक क्षेत्रों को 714.56 करोड़ से बनना है। बैरसिया-भोपाल में 25.88 करोड़, आष्टा-सीहोर में 99.43 करोड़, धार में 79.43 करोड़, रतलाम में 462 करोड़ और नरसिंहपुर में 47.82 करोड़ की परियोजना है। इनमें 32 हजार करोड़ का निवेश संभावित है। 38 हजार रोजगार मिलेंगे। देवास में इंडस्ट्रियल एरिया बनेगा। यहां इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क, कमर्शियल, रेसीडेंशियल, लॉजिस्टिक इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट की प्लानिंग है। देवास, सोनकच्छ, आष्टा व सीहोर तक इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने की योजना है। पुणे के पिनेकेल उद्योग समूह ने 2000 करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव दे रखे हैं। यह समूह पीथमपुर में 2000 करोड़ के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल प्लांट लगाना चाहता है। इससे 7 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसमें बस और छोटी लाइट कमर्शियल व्हीकल का उत्पादन होगा। जेएसडब्ल्यू पेंट समूह ने 1500 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया। अल्ट्राटेक सीमेंट व फोर्स मोटर्स समूह ने भी निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। जेके टायर समूह ने मुरैना में प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया। 750 करोड़ से प्लांट लगेगा। हाइड्राइज समूह एथेनॉल प्लांट लगाने की तैयारी में है। यह प्लांट सिवनी में लगना है। यह कंपनी लंदन की एथेना कैपिटल्स के साथ प्रदेश में बड़ा निवेश करेगी। इसी तरह एथेनॉल प्लांट के लिए तीन और कंपनियों से प्रारंभिक बातचीत हुई है। जल्द ही प्रस्ताव आगे बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है। चिरीपाल समूह ने रतलाम में 250 एकड में 4600 करोड़ निवेश का प्रस्ताव दिया। समूह सोलर सेल, सोलर ग्लास, पीव्ही मॉड्यूल की इकाई लगाएगा। टैक्सटाइल यूनिट भी लगेगी। इसमें 800 करोड़ निवेश का प्रस्ताव दिया है।

52,557 गांवों में नल से जल देने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता प्रदेश के सभी घरों में नल से जल पहुंचाने की है। जल जीवन मिशन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने 11 हजार 100 करोड़ 72 लाख की पुनरीक्षित 25 समूह जलप्रदाय योजनाएं मंजूर की हैं। मध्यप्रदेश जल निगम इन जलप्रदाय योजनाओं के निर्माण का कार्य प्रारंभ कर रहा है। इन योजनाओं से भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, इंदौर, नर्मदापुरम, सागर और ग्वालियर संभाग के 18 जिलों की ग्रामीण आबादी को हर घर नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जायेगी। मिशन की जलप्रदाय योजनाओं से 6 हजार 261 ग्रामों के 9 लाख 34 हजार से अधिक परिवारों को पेयजल की सुविधा मुहैया होगी। यह योजनाएँ भोपाल, विदिशा, रायसेन, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, छिंदवाड़ा, मंडला, खरगोन, खंडवा, बैतूल, सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया और शिवपुरी जिले की 71 लाख से अधिक ग्रामीण आबादी की पेयजल की जरूरत को पूरा करेंगी। प्रदेश में जल जीवन मिशन में हो रहे कार्यों से अब तक 51 लाख 15 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों को उनके घर पर नल से जल उपलब्ध करवाया जा चुका है। करीब 5 हजार 300 गांव ऐसे हैं, जिनमें प्रत्येक परिवार तक नल से जल की सुविधा दी जा चुकी है। मिशन में प्रदेश की ग्रामीण आबादी को उनके घर पर ही नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने के लिए जलप्रदाय योजनाओं के कार्य वृहद स्तर पर चल रहे हैं। इनमें 8 हजार से अधिक गांवों में 70 से 90 प्रतिशत और 16 हजार 300 गांवों के कार्य 70 प्रतिशत तक पूर्णता की ओर हैं। इसी माह से 6 हजार से अधिक गांवों की पेयजल व्यवस्था के कार्य प्रारंभ किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पूर्ववर्ती शासनकाल में प्रदेश के शहरी आबादी को जरूरत का पानी मुहैया कराने के बाद अपनी चौथी पारी में ग्रामीण आबादी को नल से जल उपलब्ध कराने का प्लान बनाया है। मप्र के 52,557 गांवों में से अधिकांश गांवों में लोग नदी, तालाब, कुंआ अथवा बावड़ी से पानी भरते हैं। लेकिन सरकार ग्रामीण आबादी को नल से जल मुहैय्या करवाने की योजना पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले से घोषणा की थी कि देश की समूची ग्रामीण आबादी को शुद्ध पेयजल उनके घर पर ही नल कनेक्शन के जरिए दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने च्राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की गाइड लाइन जारी की। मिशन के मुताबिक गांव के हर परिवार को नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने पर होने वाले व्यय की 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी तथा 50 प्रतिशत व्यय राज्य सरकार को वहन करना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की करीब सवा 5 करोड़ ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन के जरिये गुणवत्तापूर्ण जल उपलब्ध करवाने के लिए जल जीवन मिशन के अन्तर्गत कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इससे प्रदेश में ग्रामीण पेयजल व्यवस्था को जल जीवन मिशन से मिली गति और ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन।

रोजगार पर फोकस
मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराना भी शामिल है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण कमजोर पड़ते ही मुख्यमंत्री ने युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए प्रदेशभर में रोजगार मेलों का आयोजन शुरू करवा दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार देने में मप्र देशभर में अव्वल है। रोजगार यानी सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत युवाओं को टेक्निकल रूप से ट्रेंड किया और फिर उन्हें प्राइवेट सेक्टर में जॉब मिली। इसी तरह स्वरोजगार, यानी सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत लोन उपलब्ध कराया। प्रदेश में मेलों का आयोजन कर युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। प्रदेश में कई छोटी कंपनियां भी निवेश करने जा रही हैं। इनसे बड़ी संया में युवाओं को रोजगार मिलेगा। इनमें रॉयल यूनिफोर्स 41 करोड़, जेके लाइफ केयर 24 करोड़, कुमार प्रिंटर्स 15 करोड़, मेकसन हेल्थ केयर, 20 करोड़, राज रीसाइलिंग 18 करोड़, सिद्धायु लाइफ साइंसेस 28 करोड़, जिल ऑर्गेनिस 21 करोड़, एसटीआई फैब्रिक्राट 25 करोड़ का निवेश करने जा रही हैं। यह कंपनियां भी 12 से लेकर 200 लोगों तक को रोजगार मुहैया कराएगी। वहीं प्रदेश में कई बड़ी कंपनियों से निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। इनमें एंडुराफैब प्राइवेट 600 करोड़ रुपए का निवेश करना चाहती है। कंपनी 2,000 लोगों को रोजगार भी देगी। इसी तरह पीसीआर टायर्स ने 766 करोड़ , हिंदुस्तान ग्रीन एनर्जी ने 780 करोड़, गुलशन पॉली ओल्स ने 800 करोड़, अल्ट्राटेक सीमेंट ने 500 करोड़, महिमा फाइबर ने 450 करोड़, स्टार एग्रोनॉमिस ने 139 करोड़, डाबर इंडिया लिमि ने 570 करोड़, गोकलदास एसपोट्र्स ने 200 करोड़, नोविया फार्मास्युटिकल ने 700 करोड़, स्वराज शूटिंग लिमि ने 203 करोड़, डेनिम यूनिट ने 250 करोड़, डालमिया सीमेंट ने 3,000 करोड़ रुपए का प्रस्ताव शामिल किया गया है। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला का कहना है कि निवेश आने से मप्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मप्र में दो साल के दौरान 328 कंपनियों ने निवेश के लिए प्रस्ताव दिए हैं। इनमें से अधिकांश कंपनियों को जमीन आवंटित की जा चुकी हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सूझ-बूझ, नवाचारी वित्तीय सुशासन और अनुशासन अपनाने से कोविड-19 के बाद आर्थिक चुनौतियों से जूझता मध्यप्रदेश अब अन्य राज्यों से आगे हो गया है। विकास के चार महत्वपूर्ण क्षेत्र – खाद्य, उद्योग, नगरीय प्रशासन और ऊर्जा में तेज गति से आवश्यक सुधार लाने से अब मप्र को 18 हजार 134 करोड़ रूपए के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन लेने की सहूलियत मिल गई है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों के लिये अपनी जीएसडीपी के दो प्रतिशत राशि के बराबर अतिरिक्त बाजार ऋण लेने की अनुमति दी है, इसमें से 1 प्रतिशत बिना शर्त अनुमति दी गई है। शेष 1 प्रतिशत बाजार ऋण प्राप्त करने के लिये राज्यों को चार क्षेत्रों में सुधार करने है। मप्र देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने विकास के चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार के कार्य कर 1 प्रतिशत अतिरिक्त वित्तीय संसाधन लेने की सहूलियत प्राप्त की है। मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में लगातार कोशिशें कर सुशासन और वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए मप्र को आत्म-निर्भर बनाने के लिये खाद्य, उद्योग, नगरीय प्रशासन और ऊर्जा क्षेत्रों में लोगों को राहत देने वाले सुधार किये। देश में मप्र पहला राज्य हैं जिसने इन चारों क्षेत्रों में केन्द्र सरकार की अपेक्षा के अनुसार सुधार किये हैं। इसके फलस्वरूप अब मप्र तेज गति से विकास योजनाओं को पूरा करने के लिये अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की पात्रता का लाभ ले सकता है। खाद्य क्षेत्र में प्रदेश में वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना में सभी उचित मूल्य की दुकानों का आटोमेशन करने और 95 प्रतिशत दुकानों का डाटाबेस तैयार कर इसे आधार कार्ड के साथ जोडऩे की महत्वपूर्ण पहल हुई है। लाखों हितग्राहियों को इसका लाभ मिला है, जो पहले इससे वंचित रह गये थे। प्रदेश के इस सुधार की पूरे देश में व्यापक सराहना हुई है। प्रदेश में व्यापार को बढ़ावा देने में व्यापार करने की औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को ज्यादा से ज्यादा सरल बनाने के लिये जो 213 सिफारिशें की गई थी उन्हें उदयोग विभाग ने लागू किया। इसके साथ ही नवीनीकरण की व्यवस्था में जबर्दस्त सुधार हुआ और केन्द्रीकृत निरीक्षण प्रणाली की शुरूआत हुई।

खेती किसानी के लिए खुला खजाना
मप्र में अधिकांश आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। इसको भांपते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हमेशा खेती को प्राथमिकता में रखा है। इसी का परिणाम है कि आज मप्र देश का सबसे बड़ा अनाज उत्पादक राज्य बना हुआ है। प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सहकारिता की शक्ति को पहचान कर तेजी से नए क्षेत्रों में कार्य करना प्रारंभ किया है जिसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे हैं। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अंतर्गत प्रदेश की प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों को पोस्ट हार्वेस्टिंग इकाईयों एवं मल्टी सर्विस सेंटर के रूप में परिवर्तित करने की योजना क्रियान्वित की गई है। इस योजना अंतर्गत प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों को एक प्रतिशत न्यूनतम ब्याज की दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे प्रदेश की प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों एवं बहुउद्देशीय सहकारी समितियों द्वारा कृषि-आधारित उद्योगों की स्थापना की जा सकेगी। सरकार इन संस्थाओं को रियायती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराएगी।
इन उद्योगों की स्थापना से सहकारी संस्थाओं को होने वाले लाभ का विभाजन किसानों की हिस्सेदारी के आधार पर किया जाएगा। इस तरह योजना के क्रियान्वयन से किसान अब उद्यमी बन सकेंगे। इसके लिए 202 सहकारी संस्थाओं में पोस्ट हार्वेस्टिंग कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना शुरू की गई है। इसे एक वर्ष में 1200 संस्थाओं तक बढ़ाने का लक्ष्य है। सहकारिता के माध्यम से कृषक ई-मार्केटिंग मंडी तथा समितियां कृषक सुविधा केन्द्र भी संचालित करेंगी। आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश अंतर्गत 800 नवीन दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है। इससे 40000 दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा। प्रदेश में प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में कृषक सुविधा केंद्र्र बनाए जाएंगे, जहां किसानों को उनकी आवश्यकता की समस्त जानकारियां एवं सुविधाएं उपलब्ध होंगी। राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभान्वित सभी पात्र हितग्राहियों को क्रेडिट कार्ड जारी करने का अभियान प्रदेश के सभी सहकारी बैंकों के माध्यम से चलाया है। इस अभियान के तहत 63000 किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड बांटकर 335 करोड़ की साख-सीमा स्वीकृत की गई है।

मातृत्व वंदना योजना में शीर्ष पर
प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में मप्र का मुकाबला दूसरे पड़ोसी राज्य नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते बीते तीन सालों में मप्र जहां इस योजना के क्रियांवयन में देश भर में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। करीब साढ़े सात करोड आबादी के अनुसार 24.61 लाख लाभार्थियों के बीच बांटी गई करीब 1100 करोड़ की राशि इसका ताजा उदाहरण है। यह इसलिये भी कि पंजीयन के मुकाबले यहां 95 प्रतिशत महिलाओं को योजना का लाभ दिया गया है। जबकि देश के दूसरे राज्यों में इस अनुपात में बहुत अंतर है। बीते 22 अक्टूबर की स्थिति में पड़ोसी राज्यों की ही बात करें तो उत्तरप्रदेश इसमें सबसे फिसड्डी है। क्योंकि पंजीकृत महिलाओं के मुकाबले इसने सिर्फ 87.90 प्रतिशत महिलाओं को ही योजना का लाभ दे पाया है। गुजरात व महाराष्ट्र जैसे संपन्न राज्य हालांकि बहुत बढिय़ा स्थिति में नहीं है। बावजूद इसके उत्तरप्रदेश की तुलना में यह भारी है। यहां लाभार्थियों का प्रतिशत क्रमश: 93.60 और 92.79 है। यदि इनसे इतर कांग्रेस शासित राज्यों में सुमार राजस्थान और छत्तीसगढ़ लभगभ बराबरी माने जा सकते हैं। पर ध्यान देने वाली बात यह है कि 0.58 अंक कम रह जाने के कारण राजस्थान 91.37 प्रतिशत पर रहने वाले छत्तीसगढ़ से पीछे रह गया है। बता दें कि देश भर में 2.17 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत लाभ मिला है। इनके बीच 9420.58 करोड़ की राशि वितरित की गई है।
पंजीकृत महिलाओं के मुकाबले करीब 5 से 10 प्रतिशत महिलाओं को मौजूदा समय में लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं। जिसमें स्वयं हितग्राही द्वारा लाभ के लिये निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं करना शामिल है। चूंकि योजना का लाभ सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है। इसलिये बैंक खाते का निष्कृय रहना व इसका बंद रहना भी इस अंतर को बढ़ाता है। योजना में पहले बच्चे के जन्म पर सुरक्षित मातृत्व के लिए 5 हजार रूपये की सहायता राशि तीन किश्तों में दी जाती है। एक हजार रूपये की पहली किश्त आंगनबाड़ी केंद्र पर गर्भावस्था का पंजीयन कराने पर, दो हजार रूपये की दूसरी किश्त कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच कराने और गर्भावस्था के 6 माह पूर्ण होने पर तथा दो हजार रूपये की तीसरी किश्त बच्चे के जन्म के पंजीकरण और बच्चे के प्रथम चक्र के टीकाकरण पूर्ण होने पर दी जाती है। गौरतलब है कि मातृ वंदना योजना का मुख्य उद्देश्य कार्य करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिये आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में प्रोत्साहन राशि देना और उनके उचित आराम और पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित करना है। गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं के स्वास्थ्य में सुधार लाना योजना के उद्देश्य में शामिल है।

‘माननीयों’ के विकास प्रस्तावों की दौड़ेंगी फाइलें
मप्र में सत्ता और संगठन ने सांसदों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय रहने और विकास कार्य करवाने का निर्देश दिया है, ताकि मिशन 2023 और 2024 को आसानी से फतह किया जा सके। अब चुनाव से निपटने के बाद माननीयों के विकास प्रस्तावों की फाइलें तेजी से दौड़ेंगी। लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि विभाग द्वारा केन्द्र को भेजे गए सभी प्रपोजल मंजूर कर लिए गए हैं तथा एक माह पहले राशि भी मिल गई है। केन्द्रीय सडक़ विकास निधि योजना में सभी प्रस्ताव शामिल नहीं हो सकते हैं। विधायकों के कामों को शासन स्तर पर प्राथमिकता में लिया जाता है।
गौरतलब है कि 107 करोड़ लागत का सीहोर जिले में बकतारा, सियागेहन, सागपुर, रिछोड़ा, क्वाड़ा, सतरामऊ, बोदरा, गडिय़ा, नीमटोन और डूंगरिया रोड के उन्नयन कार्य। सागर जिले में शाहपुर दरारिया, चनौआ जामघाट पाटई संगी, ज्वाप मार्ग लागत 126.50 करोड़, भोपाल जिले में बैरागढ़-भोपाल मार्ग पर एलीवेटेड कॉरीडोर निर्माण के लिए 234 करोड़ का प्रस्ताव लंबित है। मुलताई विधायक सुखदेव पांसे का कहना है कि केन्द्रीय सडक़ निधि योजना में प्रपोजल शामिल नहीं किया। पिछले डेढ़ साल से सडक़ विकास के मामले में बैतूल और मप्र की लगातार उपेक्षा की जा रही है। मेरे द्वारा मांगी गई सडक़ सीआरआईएफ योजना में शामिल किया जाना था। अब सरकार ने विधायकों से मिले तमाम प्रस्तावों को हरी झंडी देकर विकास कार्य कराने का निर्णय लिया है। यानी आने वाले दिनों में प्रदेश में विकास की बहार आएगी।

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