राजधानी क्षेत्र बनाने का प्लान नहीं चढ़ पा रहा परवान

राजधानी क्षेत्र
  • एनसीआर की तरह किया जाना था छह जिलों का विकास

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विकास को लेकर सूबे के अफसर व जनप्रतिनिधि कितने संजीदा रहते हैं, इसका पता इससे ही लग जाता है की दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर भोपाल और उसके आसपास के छह जिलों के विकास के प्रस्ताव पर बीते छह सालों में भी मुहर नहीं लग सकी है। कैपिटल रीजनल प्लान नामक प्रस्ताव पर मुहर लगना तो ठीक इस पर चर्चा तक करने में कोई रुचि नही ले रहा है। इसकी वजह से यह प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ पा रहा है। खास बात यह है की कुछ साल पहले जिला योजना समिति की बैठक में इसे दो बार चर्चा के लिए पेश भी किया गया , लेकिन फिर भी इस पर चर्चा तक नहीं की गई। इसके बाद तो अफसरों ने इस प्रस्ताव को  चर्चा के लिए बैठकों में ही नहीं रखा। नगर तथा ग्राम निवेष (टीएंडसीपी) संचालनालय द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव में भोपाल के अलावा आसपास के रायसेन, सीहोर, राजगढ़, शाजापुर और आगर मालवा जिलों को शामिल कर उनके विकास के लिए प्रस्ताव तैयार किया  था। दरअसल एक से अधिक जिलों का मामला होने की वजह से इस प्रस्ताव पर संबधित जिला योजना समिति की स्वीकृति बेहद जरुरी है। यही वजह है की संचालनालय द्वारा तैयार किया गया मसौदा जिला योजना समिति भोपाल को छह साल पहले वर्ष 2016 में भेजा गया था। इसके बाद ही इस प्रस्ताव को जिला योजना समिति की बैठक में भेजा गया था , लेकिन इस प्रस्ताव की लिखावट ऐसी थी की उसे सदस्य पढ़ ही नहीं पा रहे थे। इस पर सदस्यों ने अपनी नाराजगी भी दर्ज कराई थी। इसके बाद प्रस्ताव अगली बैठक में साफ सुथरी लिखाई में पेश किया गया था। इसके बाद भी उस पर चर्चा करने की जगह अगली बैठक के लिए टाल दिया गया था। इसके बाद हर तीन माह होने वाली यह बैठक ही अनियमित होने लगीं। इसके बाद भी इस प्रस्ताव पर चर्चा करने में किसी ने कोई रुचि ही नहीं ली। अब तो हालात यह हैं की बैठकें होती भी हैं तो उसमें यह प्रस्ताव तक पेश नहीं किया जाता है। इसकी वजह से अब कैपिटल रीजनल प्लान की प्रक्रिया का काम ही शुरू नहीं हो सका है।
राजधानी में आबादी को कम करने की कवायद
कैपिटल रीजनल प्लान में एनसीआर की तर्ज पर भोपाल में शहरीकरण और आबादी पर रोक लगाने के लिए आसपास के शहरों सीहोर, रायसेन मंडीदीप और ओबेदुल्लागंज का विकास किया जाना प्रस्तावति किया गया था। इसके पीछे मंशा थी की इन शहरों को आदर्श नगरों की तरह विकसित करने से राजधानी पर व्यावसायिक दबाव कम होने से आबादी का दबाव भी कम होगा। अनुमान के मुताबिक भोपाल की आबादी में तेजी से वृद्वि हागी। इसमें अनुमान लगायागया है की जनसंख्या का फैलाव सीहोर, शाजापुर, रायसेन और बैरसिया तरफ तेजी से होगा। इसके मद्देनजर पहले चरण में इनका विकास करने की जरूरत बताई गईथी। इसी तरह से कहा गया था की हुजूर, बैरसिया , रायसेन, मंडीदीप, ओबेदुल्लागंज, बरेली, बेगमगंज, उदयपुर, सीहोर, आष्टा, रेहटी, नसरूल्लागंज, ब्यावरा, पचोर, आगर, नलखेड़ा, सुसनेर आदि नगरों और इनसे सटे गांवों में मकानों के लिए जमीन  की जरूरत बताई गई थी।

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