- राजधानी में बिजली चोरी का महाजाल …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली चोरी कंपनी के लिए जी का जंजाल बन गई है। हर माह करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। जिसे कम करने और रोकने के लिए कंपनी ने हर मोर्चे पर तैयारी की है, लेकिन उसका कोई भी कदम काम नहीं आ रहा है। आलम यह है की शहर में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां 90 फीसदी तक बिजली की चोरी हो रही है। ऐसे में बेबस बिजली कंपनी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर बिजली चोरी की हकीकत बयां की है। गौरतलब है की प्रदेश में बिजली चोरी को रोकने के लिए पिछले एक दशक से प्रयास हो रहे हैं। इस दौरान करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। यही नहीं मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी ने शहर में बिजली चोरों से निपटने के लिए चौकीदार भी तैनात कर दिए हैं। ये दिन में तो बिजलकर्मियों के साथ चलते ही है, विशेष तौर पर रात में बिजली चोरी पकड़ने का काम कर रहे हैं। ये चौकीदार बिजली कंपनी के अधिकारियों को बिजली चोरी करने की घटनाओं के वीडियो बनाकर भेजते हैं, दूरभाष पर सूचना देते हैं। जिसके बाद मौके पर बिजली कर्मियों की टीम पहुंच रही है और बिजली के अवैध कनेक्शन काट रही है। जानकारी के अनुसार बिजली चोरी रोकने के लिए 10 साल में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद बिजली चोरी के आंकड़ों में कोई खास फर्क नहीं आया है।
बिजली चोरी से ईमानदार उपभोक्ता परेशान: बता दें कि शहर में 4.48 लाख उपभोक्ता है जो पांच बिजली संभाग और 26 जोनों में बंटे हैं। इनके लिए कंपनी द्वारा 15.50 करोड़ यूनिट बिजली हर माह खरीदी जाती है। खरीदी गई बिजली में से हर माह 106 करोड़ रुपये के बिल जारी किए जाते हैं। इसमें से 100 करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाती है बाकी के छह करोड़ रुपये समय पर नहीं जमा नहीं किए जा रहे हैं। इसके कारण बकायादारों पर 300 करोड़ से अधिक रुपये बकाया है। बिजली बिल जमा नहीं करने वाले करीब 65 फीसदी उपभोक्ताओं की वजह से हर माह बिल चुकाने वाले उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ता है। ऐसे उपभोक्ताओं से ज्यादा मुश्किलें चोरी करने वाले खड़ी करती हैं। चोरी करने के लिए ये तारों व उपकरणों से छेड़छाड़ करते हैं जिसकी वजह से कई बार फाल्ट की समस्या बन जाती है और उपभोक्ताओं के उपकरण तक खराब होते हैं।
सीएम को चिट्ठी लिख बताई हकीकत
अब बिजली कंपनी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखकर घाटे की खास वजह भी बिजली चोरी होना ही बताया है। यह चिट्ठी बिजली कंपनी ने सीएम को मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के ही एक रिटायर्ड अफसर राजेंद्र अग्रवाल द्वारा की गई उस शिकायत के जवाब में भेजी है, जिसमें उन्होंने बिजली कंपनी द्वारा बताए जाने वाले घाटे की असलियत उजागर की थी। इसमें बताया गया कि जिन क्षेत्रों में बिजली चोरी होती है, वहां वसूली 2.80 रुपए प्रति यूनिट से लेकर 4.50 रुपए प्रति यूनिट तक हो पाती है, जबकि एवरेज कॉस्ट 6.50 रुपए प्रति यूनिट पड़ती है। इस गणित के हिसाब से प्रति यूनिट 2 से लेकर 4 तक कंपनी को नुकसान होता है।
6 साल में 36812.37 करोड़ का घाटा
बिजली चोरी और बकाया बिल के कारण मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को 6 साल में 36812.37 करोड़ रूपए का घाटा हुआ है। इस घाटे की भरपाई के लिए सरकार बिजली की दरों में बढ़ोतरी करती है जिसका खामियाजा ईमानदार उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है। बिजली मामलों के जानकार डॉ. प्रेम नारायण सोनी के मुताबिक बिजली कंपनी घाटे के आंकड़ों में बिजली चोरी से होने वाले नुकसान को भी जोड़ती है। इस लिहाज से हर साल बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेज दिया जाता है। दरें बढ़ती हैं तो हमारा बिजली बिल भी बढ़ जाता है।
शहर में चोरी रोकने यह कर चुकी हैं कंपनी
– ज्यादा बिजली चोरी वाले इलाकों की पहचान कर वहां लगे ट्रांसफार्मरों को चिन्हित किया जा चुका है। इन्हें कुछ समय के लिए बंद कर चोरों में यह संदेश दिया जा चुका है कि चोरी की तो बिजली ही काट दी जाएगी।
– तारों को केबल युक्त किया गया है, आसानी से कनेक्शन नहीं ले सके, इसके प्रयास किए जा रहे हैं।
– मुखबिर तंत्र मजबूत किया है, चोरी की सूचना देने वाले लोगों को कंपनी प्रोत्साहित करती रही है।
– संबंधित इलाकों में आबादी का आकलन कर वहां खपत होने वाली बिजली के आधार पर वास्तविक खपत का आकलन किया जा रहा है।
– कनेक्शन लेकर बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को कहा जा रहा है कि अपने—अपने क्षेत्रों में चोरी करने वालों की सूचना कंपनी को दें, ताकि आपके क्षेत्र में लो वोल्टेज की समस्या न हो। फाल्ट की नौबत न बनें।
– 2012 में संवेदनशील इलाकों में एरियल बंच केबल और आर्मर्ड केबल बिछाई गई। 62014-15 में हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगाए।
– 2016 में कई जगहों पर मीटर भी लगाए गए थे। 10 साल में दो बार सिक्योरिटी एजेंसियों से सशस्त्र गार्ड्स भी हायर किए गए।