मप्र के कुछ शहरों की हवा में तेजी से घुल रहा जहर

 वायु प्रदूषण
  • सिंगरौली और कटनी की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पिछले कुछ सालों से मप्र की हवा भी तेजी से प्रदूषित हो रही है, प्रदेश के कई शहरों की हवा भी बेहद खराब हो चली है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में  कटनी और सिंगरौली की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित बताई जा रही है।  जबकि राजधानी भोपाल सहित अन्य कुछ शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स अच्छा रहा। गौरतलब है कि प्रदेश की आबोहवा समृद्ध मानी जाती है, लेकिन कुछ जिले वायु प्रदूषण के दायरे में हैं। केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मुताबिक प्रदेश में पिछले साल यानी 2021 में सबसे अधिक प्रदूषण सिंगरौली में रहा। यहां 153 दिन एक्यूआई 200 से अधिक रहा। स्वच्छ हवा (अच्छे ) दिनों की संख्या 194 रही। इन दिनों में एक्यूआई शून्य से 200 के बीच रहा। कटनी के हिस्से 109 बुरे दिन तो 251 अच्छे दिन आए। वर्ष 2020 में भी सबसे अधिक 116 बुरे दिन के साथ सिंगरौली प्रदेश में पहले नंबर पर था। दूसरे नंबर पर ग्वालियर शहर था, जहां स्वच्छ वायु वाले 252 तो खराब आबोहवा वाले 78 दिन दर्ज हुए थे।
भोपाल की आबोहवा सबसे अच्छी
प्रदेश के चार बड़े शहरों में भोपाल में पिछले साल 316 दिन हवा साफ रही। 44 दिन ऐसे रहे, जब प्रदूषण का स्तर 200 एक्यूआइ से अधिक रहा। एक साल में 25 बुरे दिनों की कमी आई तो अच्छे दिनों में 8 का इजाफा हुआ। इंदौर में 45 बुरे दिन तो 311 अच्छे दिन दर्ज हुए। जबलपुर में बुरे दिनों की संख्या 53 रही। चार बड़े शहरों में ग्वालियर में सबसे अधिक 71 दिन हवा खराब रही। यहां 289 दिन स्थिति सामान्य रही। केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय ने देशभर के ऐसे 132 शहरों को सूची में शामिल किया है, जो वायु गुणवत्ता के तय मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इनमें मध्यप्रदेश के सात शहर भोपाल, इंदौर, देवास, ग्वालियर जबलपुर, सागर और उज्जैन शामिल हैं। वर्ष 2021-22 में भोपाल में पीएम 10 कणों की वार्षिक औसत मात्रा सबसे अधिक 116 दर्ज हुई। जबलपुर में आंकड़ा 115, उज्जैन में 114, ग्वालियर में 109, इंदौर में 103, देवास में 81 दर्ज हुआ था।
सिंगरौली की हवा सबसे ज्यादा खराब
प्रदेश के सिंगरौली शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे ज्यादा खराब है। एयर क्वालिटी की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड की कितनी मात्रा है। सल्फर वाहनों से धुएं से निकलता है। वहीं नाइट्रोजन  ऑक्साइड मानवीय क्रियाओं जैसे सीवेज आदि से बढ़ता है। दमा और फेफड़ों से संबंधित अन्य बीमारियों में यह वायु प्रदूषण बेहद गंभीर साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सिंगरौली में बिजली कंपनियों की चिमनियां धुआं फ्लाइऐश के उड़ने से प्रदूषण अधिक होता है। इसके उलट कटनी में धूल कण की अधिकता वायु प्रदूषण की प्रमुख वजह है। इधर, सतना में बुरे दिन की संख्या शून्य तो मैहर में चार औद्योगिक नगर मंडीदीप में रहे। यहां 352 दिन हवा साफ रही।

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