उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
भोपाल/गणेश पाण्डेय/ /बिच्छू डॉट कॉम। आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में बीते कुछ सालों से एक के बाद एक घोटालों को अंजाम दिया गया है। इस विव में हुए फर्जीवाड़े की जांच के लिए हाई कोर्ट जबलपुर के निर्देश पर गठित उच्च स्तरीय जांच समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के बाद से एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। यही वजह है की बीते साल अनियमितताओं की लगातार सामने आने और छात्र-छात्राओं की बढ़ती समस्या से कुलपति पर दबाव बढ़ने पर उन्हें बीते साल इस्तीफा देना पड़ गया था। इस विवि में बीते एक साल के अंदर एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। अब हाल ही में ताजा मामला परीक्षा शाखा के अनुमोदन के बिना मार्कशीट प्रिंटिंग कराने का कारनामा उजागर हुआ है। उच्च स्तरीय जांच समिति ने विश्वविद्यालय रजिस्टर पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है। उच्च स्तरीय जांच समिति ने परीक्षा शाखा के अधिकारियों महाविद्यालयों के संचालकों और आईटी एजेंसी की मिलीभगत से विश्वविद्यालय के नामांकन रिकार्ड में दर्ज छात्रों के नाम के स्थान पर अन्य छात्रों के नाम अवैध रूप से दर्ज कर परीक्षा में शामिल करने पर आपत्ति दर्ज कराई है। यानी अवैध रूप से छात्रों को परीक्षा में शामिल करके उसकी मार्कशीट बनवाने का खेल चल रहा है। विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार बिना परीक्षा शाखा के अनुमोदन के सहायक कुलसचिव डॉ पंकज बुधौलिया द्वारा मार्कशीट और डिग्री प्रिंटिंग का कार्य करने वाली एजेंसी जीएस सॉफ्टवेयर के कर्मचारी विक्रम कुमार को पेन ड्राइव डाटा देकर मार्कशीट प्रिंटिंग की अनियमितता के लिए दबाव बनाया जा रहा है। यह खुलासा भी कंपनी के मैनेजर द्वारा तत्कालीन कुलपति डॉ टीएन दुबे को 12 जुलाई 21 को भेजे गए पत्र से हुआ। इससे पहले कंपनी मैनेजर द्वारा 24 जून 21 एवं 30 जून 21 को डॉक्टर दुबे को भेजे गए पत्र में विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा परीक्षा शाखा के अनुमोदन एवं सत्यापन के बिना प्रिंटिंग के लिए डाटा भेजने पर आपत्ति जताते हुए केवल ईमेल से डाटा भेजने का अनुरोध किया गया था।
डॉक्टर दुबे भी आ गए थे विवादों में
मार्कशीट प्रिंटिंग घोटाले तत्कालीन कुलपति पीएन दुबे भी विवादों में आ गए थे। दरअसल, परीक्षा नियंत्रक द्वारा जांच समिति के समक्ष बयान दिया गया कि डॉक्टर दुबे ने भी 5 छात्रों के नाम पास करने हेतु दिया था। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 278 छात्रों के नाम का मिलान नामांकन के रिकॉर्ड से नहीं हो रहा है। इसी आधार पर जांच समिति ने मार्कशीट में जालसाजी और अनियमितता होने की पुष्टि की है।