प्रदेश की 58 फीसद आबादी अब भी साफ पेयजल से महरुम

पेयजल

भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। देश में भले ही हर घर में नल से पानी मिलने के मामले में प्रदेश के बुरहानपुर जिले की वाहवाही हो रही है, लेकिन वास्तविकता यह है की अब भी प्रदेश की आधे से अधिक घरों में साफ पीने के पानी का संकट बना हुआ है। हालात यह हैं की कई जिलों में तो महज दस फीसदी घरों में ही पानी की सप्लाई नलों से हो पा रही है। इनमें सर्वाधिक पानी संकट से जूझने वाला पन्ना जिले में तो महज हर घर नल से 10 फीसदी ही घरों में जल उपलब्ध हो पा रहा है। हालात यह हैं की प्रदेश में वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से तीन सालों में महज 42 फीसदी ग्रामीण आबादी को ही हर घर नल से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सका है। सबसे बदहाल स्थिति पन्ना और सतना जिलों में बनी हुई है। इन जिलों में क्रमश: 16 और 19 फीसदी आबादी को ही नल से जल उपलब्ध हो पा रहा है। इसी तरह की स्थिति लगभग उन जिलों में बनी हुई है, जिन जिलों में गंभीर पेयजल संकट बना रहता है। इनमें छतरपुर, सिंगरौली, अलीराजपुर, भिंड और टीकमगढ़ जैसे जिले शामिल हैं। इन जिलों में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महज 20 से 30 फीसदी आबादी ही जलजीवन मिशन के दायरे में अब तक आ सकी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सार्वजनिक किए गए हर घर नल से जल्द योजना के आंकड़ों के मुताबिक मप्र में कुल ग्रामीण परिवारों की संख्या 1 करोड़ 22 लाख 9 हजार 394 है।  जिसमें से जुलाई 2022 तक 51 लाख 13 हजार 461 परिवारों को नल जल कनेक्शन दिए गए हैं। जबकि 70 लाख 95 हजार
933 परिवारों के घर तक पानी अभी नहीं पहुंच सका है।
यह है देरी होने की वजह
मध्यप्रदेश के 12 से 13 हजार गांव ऐसे हैं जहां जमीन भूमिगत जल की अनुपलब्धता के कारण बंजर सी हो गई है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आयरन व एचडीपी पाइप के रॉ मटेरियल के दामों में तेजी से वृद्धि होने से काम करने वाले ठेकेदारों ने काम की गति कम कर दी है। इसके अलावा सबसे बड़ी परेशानी उप्र-गुजरात से आने वाली स्किल्ड लेबर व टेक्निकल टीम की है। जो पानी की टंकी, इंटकवेल व ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करती है। देशभर में मिशन एक साथ शुरू होने से ये टीम अपने अपने राज्यों में ही काम करने लगी। पीएचई व जल निगम के पास विषय से संबंधित तकनीकी इंजीनियर्स की भी कमी है,जिसके चलते एक-एक इंजीनियर पर कई स्थानों का बोझ है।  
भोपाल जिले की 53% आबादी को ही मिली सुविधा
भोपाल जिले में तीन साल में 35 हजार 682 (34.70 फीसदी) परिवारों को नल-जल से जोड़ा गया है। जबकि 11 हजार 897 (11.55 फीसदी) परिवार जल जीवन मिशन के पूर्व से ही नल जल योजना में कवर हो चुके थे। जिले में कुल ग्रामीण परिवारों की संख्या 1 लाख 2 हजार 833 है, जिसमें से अभी तक कुल 47,561(46.25 फीसदी) परिवारों को अब नल से शुद्ध पेयजल उपलब्ध होने लगा है। जबकि 53 फीसदी आबादी अभी इससे छूटी हुई है।
20 लाख परिवारों को इस साल अंत तक जल पहुंचाया जाएगा
जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल द्वारा लोकसभा में दिए जवाब के मुताबिक अप्रैल 2022 की स्थिति में मप्र के 73.46 लाख ग्रामीण परिवारों नल जल कवरेज से छूटे हुए थे, राज्य सरकार ने इनमें से 20 लाख परिवारों को इसी साल 2022-23 के अंत तक नल से जल पहुंचाने की योजना बना ली है। जबकि 31.46 लाख परिवारों के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बन सकी है।

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