रसूखदारों के अवैध कब्जों की जानकारी तलब

 एनजीटी

-केरवा-कलियासोत में बाघ भ्रमण क्षेत्र को संरक्षित करने की कवायद

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
कलियासोत और केरवा क्षेत्र के बाघ भ्रमण क्षेत्र में अवैध कब्जों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने अवैध कब्जों की रिपोर्ट तलब की है। माना जा रहा है की एनजीटी की इस कवायद से रसूखदारों की काली करतूत सामने आएगी। गौरतलब है कि शहर किनारे बाघभ्रमण क्षेत्र में हर साल 27 हेक्टेयर की घुसपैठ हो रही है। बीते सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह स्थित साफ नजर आती है। पिछले 36 साल बाद यहां दस बड़े कॉलेज, 40 से अधिक बड़े फार्म हाउस, 70 के करीब बड़े बंगले, 90 से अधिक व्यवसायिक गतिविधियां शुरू हो गईं। इतना ही नहीं, इन सालों में जंगल के अंदर अपनी जमीन की दावेदारी करने वालों की संख्या भी बढ़ गई।
गौरतलब है कि डॉ. सुभाष सी पांडे ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बेंच में याचिका दायर कर शिकायत की है। कलियासोत और केरवा डैम के संरक्षण संबंधी याचिका पर एनजीटी ने सख्त रूख दिखाते हुए शासन से दोनों डैम के पूरे क्षेत्र का सीमांकन कराकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ इनके ग्रीनबेल्ट क्षेत्र में अवैध कब्जों और ग्रीनबेल्ट की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी गई है। यही नहीं बाघ भ्रमण क्षेत्र की पहचान और उसके संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों का ब्यौरा भी मांगा गया है।
 इन बिंदुओं पर मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने कलियासोत और केरवा डैम के अधिकार और वर्तमान कब्जे का पूरा रिकॉर्ड खसरा, खतौनी सहित दें। जलाशयों का कुल क्षेत्रफल और जलाशयों के आसपास के क्षेत्र की भूखंडवार और क्षेत्रवार जानकारी दें। पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए हैं। जलाशयों में अनुपचारित सीवेज और पानी को मिलने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। जलाशयों का सीमांकन कर उसकी सीमाओं की स्थिति बताएं। जलाशयों के आसपास पौधरोपण वाले क्षेत्र को चिन्हित कर सुरक्षित करने के लिए क्या खंभे या बाड़ लगाई गई है उसकी स्थिति पर रिपोर्ट। जलाशयों के आसपास कितने अतिक्रमणों की पहचान की गई और उन्हें हटाने के लिए अब तक क्या किया गया। जलाशयों के आसपास ग्रीनबेल्ट के क्या प्रावधान हैं और उसके संरक्षण की क्या स्थिति है। बाघों की आवाजाही के लिए गलियारे की पहचान, सीमांकन और संरक्षण की क्या स्थिति है। केरवा कलियासोत क्षेत्र में अक्सर घूमने वाले बाघों और अन्य वन्य जीवों से मानव जीवन की सुरक्षा के लिए क्या कार्रवाई की गई है।
आवासीय क्षेत्र में पहुंच रहे हैं बाघ
चंदनपुरा नगर वन से बाहर निकला एक बाघ हाल ही में  चंदनपुरा सीपीए प्लांटेशन क्षेत्र में पहुंच गया । इसी रास्ते से नीलबड़ और कोलार की ओर आवाजाही होती है। यहां पांच बड़ी कॉलोनियों का निर्माण कर लिया गया। इसी तरह से   कोलार की ओर दो बड़ी पहाडिय़ो पर बिल्डर्स ने बड़े प्रोजेक्ट बना रखे हैं।  अमरनाथ कॉलोनी से लेकर दानिश हिल्स, साईं हिल्स, वाल्मी समेत पांच बड़ी कॉलोनियां सीपीए प्लांटेशन तक है और लोग धड़ल्ले से आवाजाही के लिए इस रास्ते का उपयोग करते हैं। पूर्व कंजरवेटर सीपीए फॉरेस्ट केसी मल्ल का कहना है कि  वन क्षेत्र में जिस तरह से बड़े निर्माण, सडकें, व्यवसायिक गतिविधियां हो गई, उससे मन चिंतित हो जाता है। यहां वन्य प्राणियों की भरमार है।  ईश्वर न करे, यदि वन्य प्राणियों ने एक बार जंगल की इस घुसपैठ वाले क्षेत्र में आवाजाही शुरू की तो फिर बहुत दिक्कत बढ़ेगी।
तीन सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
एनजीटी ने प्रमुख सचिव, पर्यावरण को निर्देश दिए गए हैं कि तय बिन्दुओं पर आगामी कार्रवाई और प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों की एक समिति गठित करें और तीन सप्ताह में रिपोर्ट दें। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बेंच ने डॉ सुभाष सी पांडे की याचिका पर आॅनलाइन सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं। याचिका में शिकायत की गई है कि केरवा और कलियासोत डैम के किनारे लगातार अतिक्रमण होने से इन जलाशयों, जंगल और बायोडायवर्सिटी को नुकसान हो रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने भी रिपोर्ट में अतिक्रमण और सीवेज मिलाए जाने की पुष्टि की थी। सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पक्षकार बनाए गए मुख्य सचिव का नाम हटाए जाने की मांग की गई। शासन के अधिवक्ता सचिन वर्मा ने तर्क दिया कि इसमें अलग अलग विभाग पक्षकार हैं वे अपने स्तर पर कार्रवाई भी कर रहे हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा कि मुख्य सचिव प्रशासनिक मुखिया हैं विभागों में समन्वय बनाने का काम उनका है। उनका नाम नहीं हटा सकते।

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