किसान को मूंग… पर लग रहा एक क्विंटल पर ढाई से तीन हजार का घाटा

मूंग

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ सरकार स्वयं को किसानों की हितैषी सरकार होने के साथ ही खेती को लाभ का धंधा बनाने के प्रयासों के लिए उठाए जाने वाले कदमों का दावा करने में पीछे नहीं रहती है, तो वहीं किसानों की फसल तक नहीं खरीद रही है। दरअसल, सरकार सूबे में चल रहे निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में व्यस्त है तो अफसर भी अपने आप में मदमस्त हैं। इसकी वजह से किसान जरुर बेहद परेशान हैं। इसकी वजह है अब तक सरकार द्वारा मंूग की खरीददारी शुरू नहीं किया जाना। इसकी वजह से किसानों को समर्थन मूल्य से बेहद कम दामों पर अपनी मंूग की फसल बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हर साल जून-जुलाई में मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस साल अब तक रजिस्ट्रेशन तक शुरू नहीं किए गए हैं, जिसकी वजह से सरकार खरीदी न होना तय माना जा रहा है। ऐसे में अपनी जरुरत के लिए पैसों के लिए मंडी पहुंच रहा किसान घाटे में मूंग बेचने को मजबूर बना हुआ है। इसकी वजह है व्यापारियों द्वारा मंूग की फसल को बेहद कम दामों पर खरीदा जाना।
उल्लेखनीय है कि किसानों को आगामी फसल की तैयारी शुरू करनी है। खरीफ की बोवनी के लिए बीज, खाद खरीद और अन्य संसाधन जुटाने के लिए किसान को पैसे की आवश्यकता है और अधिक समय तक फस्ल को वह घर पर रख भी नहीं सकता। किसान की इसी मजबूरी का फायदा दलाल और व्यापारियों द्वारा जमकर उठाया जा रहा है। मंडियों में आवक अधिक बनी हुई हैं, जिसकी वजह से दामों में लगातार गिरावट जारी है। इसकी वजह से इन दिनों व्यापारियों से किसानों को एक क्विंटल की कीमत महज पांच हजार रुपए के आसपास मिल रही है।  जबकि अगर बीते साल का भाव देखें तो सरकार द्वारा इस फसल को 7725 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा गया था।
बाुश्किल निकल पा रही लागत
किसानों के मुताबिक भाव गिरने और सरकार द्वारा खरीदी नहीं किए जाने की वजह से इस बार फसल की लागत निकलना तक मुश्किल हो गया है। उनका कहना है की इस साल खाद, बीज, सिंचाई आदि के दाम बढ़ने से कृषि लागत बढ़ चुकी है। ऐसे में सही भाव भी नहीं मिल रहे हैं, जिसकी वजह से मुनाफा नहीं हो रहा है। उनका कहना है की  बीते साल मूंग के अच्छे दाम मिले थे। वहीं सरकारी खरीदी केन्द्रों में मध्य मई माह में ही रजिस्ट्रेशन हो गया था । इस वजह से इस वर्ष के में किसानों का मूंग के उत्पादन में आकर्षण ज्यादा रहा लेकिन इस वर्ष अभी तक सरकारी रेट्स जारी होने के बावजूद सरकारी मूल्य पर खरीदी के लिए न तो रजिस्ट्रेशन हुआ है और न ही उन्हें सरकारी रेट्स का भुगतान मिल पा रहा है।

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