प्रदेश में दिव्यांगों की शिक्षा पर… संकट के बादल

दिव्यांगों
  • अनुदान के अभाव में पांच दर्जन हॉस्टलों में डला ताला

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के दिव्यांगों की शिक्षा पर संकट के बादल छा गए हैं। हालात यह है की प्रदेश में दिव्यांगों के पांच दर्जन से अधिक हॉस्टलों में तो ताले तक डाल दिए गए हैं , जबकि उन्हें पढ़ाने के लिए स्कूलों में कोई भी स्पेशल टीचर तक नही है। यह हाल तब है जबकि उन्हें भी सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई का अधिकार मिला हुआ है।  प्रदेश में नए सत्र में सभी स्कूल खुल गए है, लेकिन तीन लाख से अधिक दिव्यांग छात्रों को शिक्षा के अधिकार का पूरा फायदा नही मिल पा रहा है। इसकी वजह है उनके लिए खोले जाने वाले आवासीय स्कूलों के  आदेश पर अमल नहीं किया जाना और उन्हें पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं करना। इस मामले में समाजसेवियों का कहना है कि ऐसी लापरवाही के लिए स्कूल शिक्षा विभाग पूरी तरह से जवाबदेह है।
    इसकी वजह है विभाग के पास इस संवेदनशील मुद्दे के लिए न तो कोई सकारात्मक सोच है और न ही इच्छाशक्ति। बताया जा रहा है की इसको  लेकर आयुक्त निशक्तजन द्वारा तीन बार स्कूल शिक्षा और सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यही नहीं 14 साल पहले मुख्यमंत्री ने 29 अप्रैल 2008 को नि:शक्त महापंचायत बुलाकर उसमें कई तरह की घोषणाएं की थीं, जिसमें से अधिकांश पर अब तक अमल ही नहीं किया गया है। हद तो यह हो गई कि प्रदेश के किसी भी स्कूल में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के एक भी विशेष शिक्षक तक नहीं है। यह हाल तब है जबकि ऐसे बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी सभी राज्यों को स्कूलों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति करने का आदेश दे चुका है। अब नया शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद विशेष शिक्षक नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।  

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