संगठन के चुनावी… टोटके नहीं आए काम

नगरीय निकाय चुनाव
  • कम मतदान ने उड़ाई भाजपा की नींद…

    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण में मात्र 61 फीसदी मतदान ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। पार्टी ने अधिक से अधिक मतदान के लिए जो फार्मूला अपनाया था वह फेल हो गया। यानी ‘त्रिदेव’ और ‘पन्ना प्रमुख’  जैसे टोटके  कोई काम नहीं आए। इस कारण 11 नगर निगमों सहित 133 नगरीय निकायों में पिछली बार की अपेक्षा कम मतदान हुआ है।  इससे आशंका जताई जा रही है की भाजपा को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
    गौरतलब है कि भाजपा ने अपने ‘त्रिदेव’ अभियान को लेकर खूब ढिंढोरा पीटा था और प्रत्येक बूथ पर बूथ अध्यक्ष, महामंत्री तथा बीएलए बनाकर उन्हें मतदाता सूची की जांच करने का काम सौंपा था। इसके साथ ही हर मतदाता सूची के ‘पन्ना प्रमुख’ बनाए गए थे और उनसे कहा था कि मतदाता सूची को ठीक तरह से जांच लें, ताकि मतदान के दौरान किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। इस अभियान के प्रचार की आड़ में कई नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र की मतदाता सूचियों को लेकर भाजपा संगठन को आश्वस्त किया था कि उनके यहां मतदाता सूची ठीक है, लेकिन 6 जुलाई को जब मतदान हुआ तो उसने त्रिदेव अभियान की पोल खोलकर रख दी। कई मतदाताओं के नाम सूची में नहीं मिले, जो त्रिदेव मतदाताओं की मदद के लिए मतदान केन्द्र के बाहर मौजूद थे, वे ही मतदाता सूची से उनके नाम नहीं निकाल पाए। अब भाजपा के बड़े नेता भी आरोप लगा रहे हैं कि कई नाम बिना बताए ही मतदाता सूची से डिलीट कर दिए गए।
    मतदाता-सूची पर अब दोनों दल नाखुश
    तमाम मुद्दों पर एक दूसरे के विरोधी रहने वाले दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस मतदाता सूची के मुद्दे पर एक होते नजर आ रहा है। नगर निगम निर्वाचन की मतदाता सूची में सरकार और भाजपा ने पहले उसकी शिकायतों को राजनीतिक स्वार्थ के चलते खारिज किया। नतीजा सामने है। कांग्रेस ने मतदाता सूची में धांधली का आरोप लगते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग रख दी है। कांग्रेस के प्रवक्ता और एडवोकेट रवि गुरनानी ने कहा कि मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग ने भी मतदान दिवस से तीन दिन पूर्व मतदाता सूची दुरुस्त करने के आदेश दिए थे जिसका भी पालन रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों ने नहीं किया ऐसे दोषी अधिकारियों पर तुरंत आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए।
    दूसरे चरण में घर-घर पहुंचाई जाएंगी पर्ची
     प्रदेश में 6 जुलाई को हुए नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में कम वोटिंग के बाद तमाम तरह के सवाल और आरोप लगे। उससे सतर्क हुए निर्वाचन आयोग ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने सभी कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि दूसरे चरण के मतदान के लिए शत प्रतिशत मतदाताओं को मतदाता पर्ची दी जाएं। प्रदेश में 13 जुलाई को नगरीय निकाय चुनाव में दूसरे चरण का मतदान है। पहले चरण में कम मतदान हुआ। राजनीतिक दलों ने इसके लिए निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहरा दिया था। आरोप लगा कि मतदाता सूची और मतदान पर्ची वितरण में गड़बड़ी की गयी।
    इस पर राज्य निर्वाचन आयोग ने नाखुशी जाहिर की। आयोग ने सख्त निर्देश दिए हैं कि हर मतदाता को पर्ची दी जाए। मतदाता पर्ची का वितरण कर जिलों को आयोग को सूचना देना होगी। 13 जुलाई को नगरीय निकाय चुनाव के दूसरे चरण में 214 नगरीय निकायों में चुनाव होना हैं इनमें से पांच नगर निगम, 40 नगर पालिका और 169 नगर परिषद हैं। मतदाता सूची और मतदाता पर्ची वितरण में गड़बड़ी की शिकायत बीजेपी ने राज्य निर्वाचन आयोग में दर्ज कराई थी। 6 जुलाई को हुए नगरीय निकाय चुनाव में भोपाल में 50 फीसदी समेत बाकी दूसरे शहरों में भी कम मतदान हुआ। इसके पीछे एक बड़ी वजह ये रही कि सभी मतदाताओं को मतदाता पर्ची नहीं दी गयी थी। अब राज्य निर्वाचन आयोग दूसरे और आखिरी चरण के नगरीय निकाय चुनाव में हर मतदाता को मतदाता पर्ची पहुंचाने के लिए सख्ती के मूड में है। इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा। साथ ही हर मतदाता मतदान कर सके इसके लिए अब घर घर मतदाता पर्ची पहुंचाई जाएंगी।
    10 फीसदी वोट बढ़ाने का टारगेट फेल
    नगरीय निकायों के प्रथम चरण के मतदान में पार्टी का बूथ मैनेजमेंट फॉर्मूला भी बेअसर साबित हुआ। मतदान के एक दिन पहले तक बूथ त्रिदेवों के भरोसे बनाई गई रणनीति भी सफल नहीं हो पाई। मतदान के दौरान त्रिदेव और पन्ना प्रमुख खुद ही चुनाव में व्यस्त होकर बिखरे-बिखरे रहे। इस वजह से पार्टी का मेरा बूथ सबसे मजबूत जैसा नारा महज जुमला ही साबित हुआ। भाजपा संगठन ने वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर जिले में विधायकों को भी तैनात किया था। सभी जिलों में हर बूथ पर पार्टी के पक्ष में 10 फीसदी वोट बढ़ाने का टारगेट रखा था। बड़े शहरों में चुनाव के दौरान सांसद-विधायक इसके लिए डटे भी रहे इसके बावजूद प्रदेश के सभी जिलों में औसत मतदान प्रतिशत कम ही रहा। बड़े शहरों में तमाम प्रयासों के बावजूद पोलिंग प्रतिशत नहीं बढ़ पाया। राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा, हुजूर, उत्तर और मध्य विधानसभा क्षेत्र के मतदान से पार्टी चिंतित है। संगठन इसके लिए अब पार्टी पदाधिकारियों और विधायकों से पूछताछ भी कर रहा है।
    अपनों के फेर में लगे रहे त्रिदेव
    भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिलों में कई बूथों के त्रिदेव स्वयं अथवा उनके परिजन भी पंचायत अथवा निकाय चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए वे अपने वोटरों को मनाने में व्यस्त रहे। पन्ना प्रमुख भी बिखरे-बिखरे रहे। इसके अलावा बारिश का मौसम, मतदान पर्चियां वितरित न होने और मतदान केंद्र बदल जाने से भी लोगों ने वोट डालने में रुचि नहीं दिखाई। भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने स्वयं इस मुद्दे पर जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारियों और बूथ त्रिदेवों के साथ रूबरू चर्चा कर पूरी रणनीति समझाई थी। लेकिन निकाय पंचायत चुनाव में पार्टी का यह फार्मूला विफल साबित हुआ। बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और पोलिंग एजेंट्स (त्रिदेव) ने गंभीरता से काम नहीं किया। भाजपा संगठन ने दूसरे चरण के जिलों और 5 नगर निगमों के लिए अभी से विशेष इंतजाम करने को कहा है। नगर निगमों में ग्वालियर, खंडवा, सिंगरौली, बुरहानपुर और छिंदवाड़ा के मतदाताओं ने इस बार चुनाव में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। कहीं-कहीं तो मतदान प्रतिशत 10 फीसदी तक गिर गया है।
    अब आयोग से शिकायत
    नगरीय निकाय चुनाव में मतदान की पर्चियां वितरित न होने और अन्य अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को शिकायती पत्र सौंपा है। भाजपा ने कहा कि पर्चियां न बंटने से हजारों लोग मतदान नहीं कर पाए। बिना सूचना के मतदान केंद्र बदल जाने से लोग भटकते रहे। भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह को ज्ञापन सौंपकर दूसरे चरण में व्यवस्थाएं सुधारने का आग्रह किया है। यह भी कहा गया है कि जिन जिलों में अभी मतदान होना है वहां जिला कलेक्टरों को निर्देश देकर युद्ध स्तर पर मतदान की पर्चियां बंटवाई जाएं ताकि मतदान का प्रतिशत बढ़ सके। यह कहा गया कि बीएलओ ने घर-घर जाकर मतदाता सूचियों का सर्वे नहीं किया है जिसके कारण कई मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों में छूट गए और मतदान के अधिकार से वंचित रहे गए। जिन मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में जिन मतदान केंद्रों पर वोट डाला था इस बार उनके मतदान केन्द्र बिना सूचना के बदल गए। इस कारण मतदान करने के लिये उन्हें भटकना पड़ा। प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी, पूर्व सांसद आलोक संजर, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेयी, एसएस उप्पल और सुरजीत सिंह चौहान शामिल थे।

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