- निकाय चुनाव में भटकने के बाद भी लाखों मतदाता नहीं डाल सके वोट
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही पहले चरण में 11 नगर निगमों सहित सैकड़ों निकायों में मतदान शांतिपूर्वक हो गया , लेकिन मतदान के दिन मतदाताओं के साथ की गई गंभीर लापरवाही पर अब हायतौबा मची हुई है। इसकी वजह रही है मतदाता सूची। इन सूचियों में इतनी गंभीर लापरवाही बरती गई की एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों के न केवल मतदान केन्द्र बदल दिए गए , बल्कि कई के तो वार्ड भी बदल दिए गए। हालत यह रही की कई मतदाताओं के नाम मनमाने तरीके से तक काट दिए गए। अब इसको लेकर मचमच की स्थिति बनी हुई है। इस बीच राजनैतिक दलों के निशाने पर राज्य निर्वाचन आयोग आ गया है। उधर, इस पूरे मामले में आयोग पल्ला झाड़ रहा है। नाम कटने और मतदान केन्द्र से लेकर वार्ड तक बदलने की वजह से इस बार एक भी नगर निगम ऐसा नही है, जिसमें बीते चुनाव की तुलना में कम मतदान न हुआ हो। मतदान कम होने की वजह से न केवल प्रत्याशियों के गुणा भाग गड़बड़ा गए हैं , बल्कि राजनीतिक पंडित भी सकते में बने हुए हैं। इस मामले में प्रत्याशियों का कहना है कि निर्वाचन आयोग, जिला प्रशासन और नगर निगम के जेडओ के बीच घर-घर बंटने वाली आधी पर्चियां ही मतदाताओं तक को नहीं दी गईं। दरअसल बीएलओ ने महिनों का काम कुछ दिन में ही कर डाला तो, उधर इस तरह की गंभीर खामी का ठीकरा आयोग केन्द्रीय कर्मचारियों के अचानक बदलाव करने पर फोड़ रहा है।
दरअसल बीते एक दशक से भोपाल में ही मतदाता सूची को अपडेट नहीं किया गया है। इस बीच नाम जोड़ने और घटाने के लिए चलाए गए अधिकांश अभियान महज कागजी ही साबित हुए हैं। ऐनवक्त पर चुनाव घोषित हुए तो सभी बीएलओ ने बिना सत्यापन ही सूची को अपडेट बता दिया। जिसका खामियाजा मतदाताओं को भुगतना पड़ा। दरअसल निर्वाचन आयोग के आदेशानुसार 10 मई तक अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन करना था। इसके लिए 85 वार्ड में 81,951 नामों का सत्यापन होना था। इनमें कई वार्ड में तीन हजार तक नाम जांचने थे। सत्यापन 15 अप्रैल के बाद शुरू हुआ और 6 दिन बाद रोकना पड़ा, क्योंकि 25 अप्रैल तक सूची अपडेट कर मई के पहले सप्ताह में मतदाताओं को देखने के लिए रखना थी। एक निर्वाचन सुपरवाइजर का दावा है, 50 हजार नाम हटाए हैं, लेकिन हकीकत में इससे दो गुना नाम काट दिए गए। हद तो यह रही आला अफसरों ने महज 255 कर्मियों को 18 लाख वोटर को चेक करने का जिम्मा दे कर इति श्री कर ली। सत्यापन के लिए मतदाता का घर ढूंढकर उसकी जानकारी वैरीफाई करना थी। सत्यापन का पंचनामा बनाने के लिए आसपास के 5 लोगों के साइन लेना जरूरी था। मतदाता की डिटेल वाला फॉर्म निवास पर चस्पा करना था। एक वोटर के सत्यापन में कम से कम 15 मिनट लगते। यदि रोज 8 घंटे भी काम करते तो एक दिन में 15 मतदाताओं का सत्यापन भी मुश्किल था। जिस वार्ड में 3000 मतदाताओं का सत्यापन करना था, वहां 200 दिन यानी 6 महीने से ज्यादा लग जाते।
पोस्टल बैलेट तक समय पर जारी नहीं कर पाए
28, 29, 30 जून एवं 1 जुलाई को पोस्टल बैलेट की तारीख थी। इंदौर के होलकर कॉलेज में दो-दो हजार कर्मचारियों की ट्रेनिंग चल रही थी। ट्रेनिंग के बाद वोट डालने थे। भीड़ के कारण सैकड़ों कर्मचारी वोट नहीं डाल सके। विरोध के बाद 3 जुलाई को मौका दिया, लेकिन शाम तक बैलेट जारी नहीं किए। हालांकि प्रशिक्षण के प्रभारी एसडीएम का दावा है की 9000 में से 5337 कर्मचारियों ने ही वोट डाले। 2000 कर्मचारी अन्य क्षेत्र व जिलों के थे। ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद कर्मचारी बारी का इंतजार किए बिना घर चले गए।
तमाम महापौर प्रत्याशियों की एक जैसे आरोप
भोपाल से भाजपा की महापौर उम्मीदवार मालती राय का आरोप है कि उम्मीदवारों को ही सूची देर से मिली, जिसे ठीक ढंग से देख भी नहीं पाए। मतदान के दिन 300 बूथों पर संपर्क में हर जगह मतदाता परेशान दिखे। सूची में नाम नहीं थे। परिवार में भी बूथ बदल गए। भोपाल में करीब 20 हजार वोटर्स प्रभावित हुए। उधर, ग्वालियर की प्रत्याशी सुमन शर्मा का कहना है की वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ हुई। कहीं पर पर्ची नहीं बंटी। सेंटर पर बूथ का पता नहीं था। प्रबुद्ध वर्ग बड़ी संख्या में परेशान होकर वापस घर जाने को मजबूर हो गया। 30 से 35 हजार वोटर्स वोट डालने से वंचित रह गए। इसी तरह से उज्जैन के प्रत्याशी मुकेश टटवाल का आरोप है की एक -एक वार्ड में 500 से 800 मतदाता के नाम कटे हुए थे। भाजपा समर्थित इलाकों में ज्यादा मतदाता सूची में गड़बड़ हुई है। कई परिवार में आधे नाम गायब थे। पार्टी की बैठक में ये फीडबैक आया है कि 20 हजार मतदाता वोट नहीं डाल पाए हैं।
बुरहानपुर की प्रत्याशी माधुरी पटेल का कहना है की देखकर हमें रोना आने लगा था कि हमारे सामने पार्टी के मतदाता दुखी होकर लौट रहे थे। पूरे शहर में गड़बड़ हुई है। प्रशासनिक गलती के कारण 20 हजार मतदाता वोट डालने से वंचित रह गए हैं। इसी तरह से सागर की प्रत्याशी संगीता तिवारी का कहना है की मतदाता सूची पुरानी दे दी। दस से बीस हजार मतदाता पर असर पड़ा है। वोटर लिस्ट सुधारी नहीं गई। हर वार्ड में तीन सौ से चार सौ मतदाता वोट डालने से रह गए।
भाजपा ने उठाए ये सवाल
इस बार वोटरों को जागरूक नहीं किया गया। अधिकांश लोगों को पर्चियां नहीं मिलीं, जिससे हजारों लोग वोट नहीं डाल पाए। बिना सूचना मतदान केंद्र बदल दिए गए, जिसकी वजह से लोगों को भटकना पड़ा। बीएलओ के ऊपर कोई नियंत्रण नहीं था। उन्होंने लापरवाही की। कार्रवाई होनी चाहिए।
आयोग का तर्क
इस मामले में आयोग का तर्क है की मतदाता पर्चियों के नहीं बांटने और बूथ बदले जाने की जानकारी वोटरों तक नहीं पहुंचने के पीछे बड़ी वजह केंद्रीय कर्मचारी हैं। भोपाल में बहुत सी जगहों पर केंद्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 1600 कर्मचारियों की ड्यूटी हटानी पड़ी। उनकी जगह नए आदमी लाने पड़े, जिससे काफी कंफ्यूजन की स्थिति बनी। इसमें समय लगा। आखिरी वक्त पर उनके हटने से कुछ भूल-चूक हुई होगी, जो नहीं होनी चाहिए थे। इसे चैक करा रहे हैं। इंदौर के मामले में कहना है की ऐन वक्त पर केंद्रीय कर्मचारियों के जाने के बाद आनन-फानन में झाबुआ-धार व दूसरे जिलों से 1500 से 2000 कर्मचारी इंदौर भेजे गए। तब चुनाव हुआ। वहां लोग ही नहीं थे।
कांग्रेस भी नाराज
कांग्रेस की भोपाल माहापौर प्रत्याशी विभाग पटेल का कहना है की वोटर लिस्ट में बड़ी चूक हुई है। इसकी जिम्मेदारी सुनिश्चित होना ही चाहिए। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जिन्होंने वोट डाले, उनके नाम सूची से गायब थे। वार्ड 38 के मतदाता वार्ड 71 में डाल दिए। सूची में पति का नाम है तो पत्नी का गायब था। बुरहानपुर की प्रत्याशी शहनाज अंसारी का आरोप है कि अधिकांश वार्डों के परिवारों के पास कई-कई सदस्यों की पर्चियां नहीं पहुंची। जो मतदाता वार्ड में मौजूद हैं, उनके सूची में नाम तक नहीं आए। सागर की प्रत्याशी निधि जैन का आरोप है की कांग्रेस के मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटने का षड्यंत्र लंबे समय से चल रहा था। सूबेदार, पंत नगर जैसे वार्डों में लोग मतदान केंद्र ढूंढते मिले। वोटर लिस्ट में काफी गड़बड़ी हुई है। खंडवा प्रत्याशी आशा मिश्रा का कहना है की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की समस्या शहर के 50 वार्डों में सामने आई। आधी-अधूरी मतदाता पर्ची ही बीएलओ बांट पाए। इस कारण बड़े पैमाने पर मतदान प्रभावित हुआ। इसकी लिखित शिकायत की है। इसी तरह से छिंदवाड़ा के प्रत्याशी विक्रम अहाके का आरोप है की हर वार्ड में मतदाता सूची में गड़बड़ी मिली है। बल्क में नाम हटा दिए गए। मतदान केंद्र बदल दिए गए। गड़बड़ी क्यों और कैसे हुई, इसकी जांच व कार्रवाई की जानी चाहिए।