भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नए वित्त वर्ष में सरकार लगभग औसतन हर माह अब तक तीन हजार करोड़ का कर्ज ले रही है। इसके साथ ही अगले तीन माह में भी दस हजार करोड़ का नया कर्ज लेने का प्लान तैयार है। इसकी वजह से अब हर माह प्रदेश के सरकारी चाजने पर खर्च बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में अब केन्द्र सरकार ने पिछले पांच साल से मिल रही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की क्षतिपूर्ति भी बंद कर दी गई है। इसकी वजह से पहले से ही खाली चल रहे प्रदेश के सरकारी खजाने की हालत और खराब होना तय है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्य सरकारों का अगली तिमाही का बॉन्ड के जरिए बाजार से पैसा उठाने का जो कैलेंडर जारी किया है, उसके अनुसार मप्र सरकार तीन माह में 5 बार बॉन्ड बाजार से 2-2 हजार करोड़ रुपए ले सकती है। इसके पहले भी पहली तिमाही में जो उधारी का कैलेंडर जारी किया गया था उसमें 9 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। दरअसल जानकारों की माने तो जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होन से मप्र सरकार को हर साल करीब 12 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हानो तो तय है। इसी तरह बिजली की जारी सब्सिडी इस साल बढ़कर 27 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को छू चुकी है। इसके अलावा कोरोना काल के समय के बिजली के बिल माफ करने से करीब 7 हजार करोड़ रुपए का बोझ आ गया है। दरअसल एफआरबीएम के तहत सरकार अपने जीएसडीपी का कुल साढ़े तीन फीसदी तक की सीमा तक बतौर कर्ज ले सकता है। मप्र सरकार का कुल जीएसडीपी पिछले वित्तीय वर्ष में 11,32,116 करोड़ रुपए रहा था।
यह अताया जाता है कारण
सरकार आरबीआई के माध्यम से कर्ज लेती है। इसमें सरकार को बताना होता है कि इस राशि को कहां और कैसे खर्च करना है। इसके लिए सरकार नोटिफिकेशन जारी करती है। इसमें कर्ज लेने के कारण की जानकारी दी जाती है। आरबीआई की अनुशंसा के बाद सरकार कर्ज लेती है। यह पैसा आरबीआई में रजिस्टर्ड वित्तीय संस्थाएं देती हैं।
सावधान रहने का अलर्ट
यह सरकार को अलर्ट रहने के लिए संकेत है कि ज्यादा कर्ज लेने से बचना चाहिए। जैसे-जैसे कर्ज बढ़ेगा, वैसे-वैसे बुनियादी ढांचे और विकास के संसाधन कम होते जाएंगे। हम कोरोना की चुनौतियों से निकल चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध का असर मप्र पर कम है। यहां से गेहूं का निर्यात बढ़ेगा। ऐसे में आमदनी बढ़ेगी लेकिन वित्तीय संसाधन जुटाने और कम से कम कर्ज लेने की नीति पर आगे बढ़ने की जरूरत है।
मप्र पर कितना है कर्ज
मध्यप्रदेश का बजट 2.79 लाख करोड़ है, तो वहीं कर्ज 3.31 लाख करोड़ रुपए है। राज्य सरकार ने 2020-21 में 52 हजार 413 करोड़ रुपए, 2021-22 में 40 हजार 82 करोड़ रुपएका कर्ज लिया। यानी हर महिने करीब 3 हजार 900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इस कर्ज के हिसाब से मप्र की जनसंख्या के अनुसार राज्य का हर व्यक्ति लगभग 40 हजार रुपए का कर्जदार है।
आगे कितना कर्ज लेगी मप्र सरकार
मध्यप्रदेश सरकार के अनुसार 2022-23 में 51 हजार 829 करोड़ का कर्ज लेगी। यानी अब हर महिने लगभग 4300 करोड़ रुपए कर्ज होने जा रहा है। अगर कर्ज बढ़ता है तो ब्याज भी बढ़ेगा ही। बता दें कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017-18 में 11045 करोड़ का ब्याज दिया, वर्ष 2020-21 में 15917 करोड़ रुपए का ब्याज दिया, वहीं वर्ष 2021-22 में 20040 करोड़ रुपए दिए, जो अब वर्ष 2022-23 में बढ़कर 22166 करोड़ हो जाएगा।
22 हजार करोड़ रुपए सिर्फ ब्याज पर खर्च
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो कर्ज लिए जाते हैं, उस पर प्रतिवर्ष ब्याज भी देना होता है। वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा लिए गए कर्ज पर 11,045 करोड़ रुपए ब्याज दिया था। 2020-21 में सरकार द्वारा 15,917 करोड़ व 2021-22 में 20,040 करोड़ रुपए ब्याज दिया जा रहा है। सरकार के अनुसार वर्ष 2022-23 में वह 22,166 करोड़ रुपए केवल ब्याज के भुगतान में खर्च करेगी।
हर साल बढ़ रहा है कर्ज: वित्तीय वर्ष 2018-19 में हर व्यक्ति पर औसतन 25 हजार रुपए का कर्ज था। इसके मुकाबले 2019-20 में हर व्यक्ति पर 4 हजार रुपए कर्ज बढ़ गया। 2019-2020 यानी 31 मार्च तक यह बढ़कर 29 हजार रुपए हो गया। अब हर महीने 400 करोड़ रु. ज्यादा कर्ज लेगी सरकार प्रदेश सरकार ने 2020-21 में 52 हजार 413 करोड़ रुपए, 2021-22 में 40 हजार 082 करोड़ रुपए का शुद्ध कर्ज लिया। यानी एवरेज हर महीने करीब 3 हजार 900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। सरकार के अनुसार 2022-23 में वह 51 हजार 829 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। यानी अब हर महीने लगभग 4,300 करोड़ रुपए कर्ज होने जा रहा है।
05/07/2022
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