- राज्य आनंद संस्थान अब हैप्पीनेस इंडेक्स निकालने के लिए पूरी तरह तैयार
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र को विकसित और खुशहाल बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने योजनाओं की भरमार लगा रखी है। इन योजनाओं का प्रदेश की जनता पर कितना प्रभाव पड़ा है और वे कितने खुशहाल है इसका पता लगाने के लिए हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार करवाया जा रहा है। मप्र के लोग कितने खुशहाल हैं इसका आंकड़ा जल्द ही सामने आएगा। आंकड़े सामने आने के बाद पता चलेगा की प्रदेश में सरकार की योजनाओं का जनता पर कितना प्रभाव पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार मप्र के लोग कितने खुश हैं, इसका पता लगाने के लिए अगले महीने से कवायद शुरू होगी। साल के अंत तक राज्य का हैप्पीनेस इंडेक्स सामने आ जाएगा। हैप्पीनेस इंडेक्स का पता लगाने के लिए पिछले 5 साल से तैयारी चल रही थी। इस पर लगभग 50 लाख खर्च भी हो चुके हैं। लगभग ढाई साल कोरोना के कारण काम ठप हो गया था। राज्य आनंद संस्थान अब हैप्पीनेस इंडेक्स निकालने के लिए पूरी तरह तैयार है। दो साल पहले (मार्च से जुलाई 2020) आईआईटी के प्रोफेसर राजेश पिलानिया और उनकी टीम ने देशभर के 16950 लोगों के बीच सर्वे कर हैप्पीनेस इंडेक्स का पता लगाया था। इस सर्वे में 36 राज्यों की रैंकिंग में मप्र का 28 वां नंबर था।
जल्द शुरू होगी ट्रेनिंग और मैदानी सर्वे
मिली जानकारी के अनुसार पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के बाद कभी भी ट्रेनिंग और मैदानी सर्वे शुरू हो सकता है। सरकार ने पांच साल पहले आनंद संस्थान बनाकर प्रदेश के लोगों की खुशी का पता लगाने के लिए हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार करने का ऐलान किया था। आईआईटी खड़गपुर से डोमेन तैयार करने के लिए एमओयू हुआ। सरकार ने 40 लाख रुपए मंजूर किए, लेकिन शुरू के दो साल में डोमेन नहीं बन पाया। अब डोमेन तैयार है। आईआईटी की टीम ने कई यूरोपीय देशों के हैप्पीनेस इंडेक्स की स्टडी की। लोगों से क्या पूछा जाएगा, प्रक्रिया क्या होगी, डेटा कैसे कलेकर होंगे और उनका कंपाइलेशन कैसे होगा यह सब तय हो चुका है।
इन पैमानों पर तय होगा हैप्पीनेस इंडेक्स
मिली जानकारी के अनुसार राज्य आनंद संस्थान कई पैमानों पर हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार कर रहा है। इनमें संयुक्त परिवार में रहने बाले ज्यादा संतुष्ट हैं या अलग-अलग रहने वाले? शिक्षा के स्तर को लेकर खुश हैं या नहीं? स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कितने संतुष्ट हैं? वैवाहिक स्थिति और उसके बाद संतुष्टि का स्तर? आर्थिक स्थिति का खुशी पर क्या असर हो रहा है? घर में ज्यादा खुश रहते हैं, नौकरी से खुश हैं या नहीं? खुशी के लिए कहां जाते हैं? खुशी और संतुष्टि का क्या लेवल है? आपकी खुशी में दूसरों का योगदान क्या है? क्या सिर्फ आमदनी ही खुशी का पैमाना है? उम्र, जेंडर, शहरी, ग्रामीण, आदिवासी, अमीर, गरीब, नौकरीपेशा, मजदूर, बेरोजगार जैसे विभिन्न वर्गों और समूहों का इस सर्वे में प्रतिनिधित्व होगा।
सिर्फ सैंपलिंग साइज तय होना बाकी
राज्य आनंद संस्थान के प्रभारी सीईओ प्रवीण गंगराड़े के अनुसार अब सिर्फ सैंपलिंग साइज तय होना बाकी है। साइंटिफिक प्रोसेस तय है। सर्वे के लिए टेबल वर्क पूरा हो चुका है। प्रश्नावली तैयार है। कुछ लोगों की ट्रेनिंग ईशा फाउंडेशन, कोयंबटूर और आर्ट ऑफ लिविंग, बेंगलुरु में हो चुकी है। प्रदेश के सवा लाख लोग वालंटियर बन चुके हैं।
05/07/2022
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