अब बागियों पर गिरी संगठन की गाज, प्रत्याशियों को नहीं मिली राहत

 प्रत्याशियों

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। निकाय चुनाव भाजपा व कांग्रेस के लिए बागियों की वजह से मुसीबत बने हुए हैं। तमाम समझाइश और मान मनौव्वल के बाद भी बगाबत करने वाले पार्टी के प्रभावशाली कार्यकर्ता मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से अब संगठन द्वारा सख्ती दिखाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया गया है। इसके तहत पहले ही दौर में भाजपा व कांग्रेस ने मिलकर कई दर्जन  बागी नेताओं और उनके समर्थकों को पार्टी से बाहर का रज्ञतस दिखा दिया है। दरअसल भाजपा के लिए महापौर पद के लिए तीन अलग-अलग शहरों में बागी परेशानी की बड़ी वजह बने हुए थे। इनमें से कटनी में विद्रोही उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतरीं प्रीति संजीव सूरी को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। उनकी वजह से भाजपा की उम्मीदवार ज्योति दीक्षित को मुश्किल बनी हुई है। इसी तरह से रतलाम में पार्टी के लिए मुसीबत बने  बागी अरूण राव को भी शोकॉज नोटिस थमा दिया गया है। यहां पर प्रहलाद पटेल भाजपा के प्रत्याशी हैं। इसी तरह से छिंदवाड़ा में पार्टी ने नगर निगम के उपायुक्त रहे अनंत धुर्वे को टिकट दिया है। उन्हें जितेंद्र शाह की अनदेखी कर टिकट दिया गया है। शाह भी मैदान में उतर कर उन्हें चुनौती दे रहे थे, लेकिन अब बड़े नेताओं द्वारा उन्हें मैदान से हटने के लिए आखिरकार मना लिया है। हालांकि शाह चुनाव प्रचार में पूरी सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं।
भोपाल में दो दर्जन बाहर
राजधानी भोपाल में भी पार्षद पद का टिकट न मिलने से नाराज कई दावेदार मैदान में उतर कर भाजपा प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। इनमें से दो दर्जन बागियों को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें श्रीमंत समर्थक विलास घाडगे का भी नाम है। वे निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं।  वे श्रीमंत समर्थक कृष्णा घाडगे के चाचा है।  कहा जा रहा है कि उन्हें वार्ड 34 से टिकट दिलाने के लिए श्रीमंत ने भी सिफारिश की थी। पहले उन्हें पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का समर्थक माना जाता था। उनके अलावा बेनी प्रसाद मीना, हरीश कुमार, कन्हैयालाल असनानी, संतोष यादव, राहुल सिंह गुर्जर, विनोद चौरसिया, साधना प्रदीप जैन, संदल मियां, संजय यादव, नंदा परिहार, सरिता कुशवाह, शशि सोनी, मोहन कुशवाह, सतीश विश्वकर्मा, रेखा परिहार, शिखा गोहल, गीतांजलि गजभिये, नेहा राय, इंदल कुमार बिंद, हीरालाल सोलंकी, जयपाल, राकेश सिंह और चंद्रभान तिवारी को भी भाजपा संगठन ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
कांग्रेस ने भी 33 को दिखाया बाहर का रास्ता
कांग्रेस असंतुष्टों से बातचीत कर उन्हें मनाने का काम कर रही है। इसके बाद भी जो नहीं मान रहे हैं, उन पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया गया है। अब तक 34 बागियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। इनमे धार के 12, जबलपुर में 3, उमरिया में 3, सिंगरौली और कटनी में 4-4, सागर में 2 और रीवा के तीन कार्यकर्ता शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह असंतुष्टों से सीधी बात कर रहे हैं। कई लोगों को उन्होंने मना कर अधिकृत प्रत्याशी के पक्ष में बिठा भ्ी लिया है। मुरैना में कांग्रेस से महापौर पद का टिकट न मिलने पर अनिता चौधरी बागी हो गई हैं, उन्होंने निर्दलीय ताल ठोक रखी है , जिससे कांग्रेस की अधिकृत महापौर पद की प्रत्याशी शारदा सोलंकी को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह से छिंदवाड़ा में कांग्रेस से बागी हुए बालाराम परतेती मैदान से हटने को तैयार नही हैं , लेकिन उन्हें मनाने के  प्रयास लगतार किए जा रहे हैं। इसी तरह देवास में प्रदेश कांग्रेस महासचिव शिवा चौधरी की बहू मनीषा चौधरी निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं।
कई पदाधिकारी निष्कासित, तो कई के इस्तीफे
रीवा में कांग्रेस के एक दर्जन नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर वार्डों में नामांकन कर रखा है। पीसीसी से जिन नेताओं को निष्कासित किया गया है, उनमें प्रमुख रूप से सुलभ पांडे, ओमप्रकाश मिश्रा, रोहणी कुशवाहा, श्यामबाबू लोनिया, लक्ष्मण यादव, राजकुमार सर्राफ, अशोक कटारिया, शहफूज खान, माजिद खान, गुल मोहम्मद शामिल हैं, इनमें कई प्रकोष्ठों के पदाधिकारी भी शामिल हैं। अल्पसंख्यक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रफीक अंसारी ने भी टिकट नहीं मिलने के कारण इस्तीफा दे दिया है।

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