डिजिटल इंडिया… के दौर में प्यासे मध्यप्रदेश के गांव

डिजिटल इंडिया
  • सड़क, बिजली, पानी के लिए तरस रहे प्रदेश के हजारों गांव

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान प्रदेश में गांवों की बदहाली की ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जो डिजिटल इंडिया के इस दौर में हैरान करने वाली हैं। एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार गांव-गांव तक सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन, नलजल योजना के तहत पानी, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत मार्ग प्रदान करने का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में हजारों ऐसे गांव हैं जहां की आबादी सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रही है। हैरानी की बात यह है की डिजिटल इंडिया के इस दौर में आज भी प्रदेश के गांवों की आधी आबादी शुद्ध पानी के लिए तरस रही है। वहीं 2081 गांव अब तक अंधेरे में हैं, वहीं 2200 गांवों तक सड़क भी नहीं पहुंच पाई है।
पंचायत चुनावों में सीधे तौर पर कोई राजनीतिक दल सामने नहीं है पर उम्मीदवारों की राजनीतिक आस्थाएं जरूर हैं। चुनाव के बाद दावे होंगे कि हमारे इतने पंच-सरपंच या जनपद और जिला पंचायत सदस्य जीतकर आए हैं। लेकिन, जीत के बाद जनप्रतिनिधि इन गांवों का कितना भला कर पा रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। गांवों में लोग आज भी पानी, बिजली, सड़क आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं।
आधी आबादी अभी भी प्यासी
प्रदेश में हजारों गांवों में वर्षों से ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।  गांव की पुरुष और महिलाएं कई किलोमीटर दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। ये हालत तब है जबकि प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार पेयजल आपूर्ति के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनके प्रचार पर ही हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,62,736 हैंडपंप अब तक लगे हैं। इनमें से 32,994 खराब हैं। जलस्तर कम होने से 24,285 हैंडपंप बंद हो गए। गर्मी में 22 गांवों में पेयजल बाहर से लाया गया। घरों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए 17,177 गांवों में नल-जल योजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें से 16008 में चालू है, जबकि 1169 गांवों में बंद पड़ी हैं। जल जीवन मिशन में ग्रामीण क्षेत्रों में 90.27 लाख घरेलू कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था। इस योजना में 29,180 गांव कवर किए गए हैं। इनमें से 4612 गांवों में ही सभी घरों में कनेक्शन लग पाए हैं। अब तक कुल 50.63 लाख कनेक्शन लगाने का दावा किया जा रहा है। फिर भी आधी आबादी प्यासी है। इस महीने डेढ़ लाख कनेक्शन का लक्ष्य था, 46500 ही लग सके।
2081 गांव अभी भी अंधेरे में
पंचायत चुनाव के इस दौर में कई गांवों ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है कि जब तक उनके गांव में बिजली नहीं आएगी, वे वोट नहीं डालेंगे। दरअसल प्रदेश में हजारों गांव ऐसे हैं जहां अभी तक बिजली नहीं पहंची है। प्रदेश में कुल 1.66 करोड़ बिजली कनेक्शन हैं, इनमें से 1.12 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में और 54 लाख शहरी क्षेत्रों में हैं। ग्रामीणों और किसानों के लिए ऊर्जा विभाग ने इंदिरा गृह ज्योति, अटल किसान ज्योति, उदय और सौभाग्य जैसी कई योजनाएं बनाई। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद 2081 गांव अभी भी अंधेरे में हैं।
2200 गांव में सड़क ही नहीं
मप्र में सरकारी दावों के अनुसार सड़कों का जाल गांव से लेकर शहर तक बिछा हुआ है। लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी लगभग 2200 गांव में सड़क नहीं पहुंच सकी है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 90,577 किलोमीटर लंबी सड़कें बनना थी। अभी 5 हजार किमी सड़कें बाकी हैं। हालांकि योजना में लगभग 17 हजार करोड़ रुपए खर्च  हो चुके हैं। राज्य सरकार ने इस साल बजट में 3 हजार किमी लंबी नई सड़कें बनाने और 1250 किमी सड़कों के नवीनीकरण का प्रावधान किया है। इनमें गांवों की 709 सड़कों को लिया गया है। जिलों से जुड़ऩे वाली 111 सड़कों का अपग्रेडेशन और 31 सड़कों की मरम्मत का वादा किया है। सड़कों के लिए राज्य सरकार को केंद्रीय सड़क निधि से भी पैसा मिला है। इस साल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 4584 किमी और मुख्यमंत्री ग्रांम सड़क योजना में 1200 किमी सड़कें बनाने का लक्ष्य है।

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