निकाय चुनाव…बागियों के…मानमनोव्वल में छूट रहे पसीने

निकाय चुनाव
  • भाजपा ने विधानसभावार तैनात किए नेता, तो कांग्रेस में दिग्विजय ने संम्हाला मोर्चा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों द्वारा तमाम कवायदों के बाद जैसे-तैसे अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जा सकी, लेकिन इसके बाद उनके सामने टिकट न मिलने से नाराज उन बागियों के मनाने की बड़ी मुश्किल खड़ी है, जो नाराज होकर नमाकंन फार्म जमा कर चुके हैं। अब दोनों दलों के नेता ऐसे कार्यकर्ताओं को नाम वापसी के लिए मनाने में लगे हुए हैं।
नाम वापसी कल दोपहर बाद तक की जा सकेगी। यही वजह है कि भाजपा ने जहां अपने सभी बड़े और प्रभावशाली नेताओं को इस काम में लगा दिया है तो, वहीं कांगे्रस की ओर से स्वयं दिग्विजय सिंह ने भोपाल में तो कई पूर्व मंत्रियों को अलग -अलग जिलों में मोर्चा सम्हालने में लगा दिया है। कांग्रेस में पार्षदों के टिकट वितरण के लिए बनाए प्रभारियों के खिलाफ प्रदेश के सभी 10 संभागों में जमकर गुस्सा फूट रहा है। टिकट वितरण का काम पूरा होने के बाद टिकटों की दावेदारी कर रहे युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता मैदान में आ गए हैं।  नाराजगी की बड़ी वजह टिकट वितरण में प्रभारियों और विधायकों के बीच तालमेल का अभाव होना है। कांग्रेसियों के मैदान में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मोर्चा संभालने के लिए बीते रोज दिल्ली से भोपाल आना पड़ा है। उनके बंगले पर मिलने वालों को तांता लगा हुआ है। बीते रोज युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जहां दिग्विजय के बंगले पर दो घंटे के इंतजार के बाद मुलाकात हो सकी। इसके बाद वे पीसीसी चीफ कमलनाथ के बंगले पहुंचे , पर वहां पर उन्हें बंगले में ही नहीं घुसने दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल में मध्य और उत्तर विधानसभा में टिकट न मिलने से नाराज पूर्व पार्षद और बड़े नेताओं से बात कर उन्हें मनाने के प्रयासों में लगे  हुए हैं। उनके द्वारा इस मामले में कमलनाथ से भी चर्चा की गई है। उधर, इंदौर में संजय शुक्ला को खुद नाराज लोगों से वन-टू-वन चर्चा करनी पड़ रही है , जबकि  ग्वालियर में अशोक सिंह और जबलपुर में डैमेज कंट्रोल करने की जिम्मेदारी तरुण भानोत और लखन घनघोरिया के पास दी गई है।
एक सैकड़ा को मनाने का बड़ा टारगेट
राजधानी भोपाल में ही भाजपा से पार्षद के टिकट की आस में 141 बागियों ने पर्चा भर दिया था, जिसमें से करीब एक दर्जन दावेदारों के नमाकंन फार्म निरस्त हो चुके हैं, लेकिन अभी भी एक सैकड़ा से अधिक दावेदार  मैदान में ही माने जा रहे हैं। इस वजह से परचा भर चुके दावेदारों को बैठाने की कवायद की जा रही है। परचा भर चुके टिकट न मिलने वाले दावेदारों के बागी होने का डर संगठन को बना हुआ है। इसकी वजह से पार्टी को अब संभाग स्तर पर संघ के प्रचारक रह चुके नेताओं को तक मैदान में उतारना पड़ा है। इसके अलावा पार्टी ने जिला प्रभारी मंत्रियों को उनके प्रभार वाले जिलों के अलावा गृहजिलों का जिम्मा सौंपा है। इसमें सबसे अधिक परेशानी भाजपा को बड़े शहरों में आ रही है। भोपाल, ग्वालियर और सागर में तो हालात बेहद खराब बताए जा रहे हैं। इन हालातों के लिए पार्टी कार्यकर्ता और बागी विधायकों की मनमानी को बता रहे हैं। दरअसल संगठन ने इस बार कार्यकर्ताओं  की मंशा को दरकिनार कर विधायकों के दबाब में आकर उनकी मंशा के अनुसार पार्षद पद के उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं। इस मामले में नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि नाम तय करने से पहले अगर वार्डवार बैठकें बुलाकर कार्यकर्ताओं के साथ किसी एक नाम पर सहमति बना ली जाती तो यह स्थिति ही नहीं बनती। ग्वालियर में नगर निगम चुनाव में पार्षद प्रत्याशी के टिकट वितरण का लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी दूर करने के लिए दो -दो केन्द्रीय मंत्रियों को मोर्चा सम्हालना पड़ रहा है। इसके लिए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर पहले ही कार्यकर्ताओं से बात कर चुके हैं, तो अब सिंधिया कार्यकर्ताओं की बैठक ले कर उन्हें मनाने का प्रयास करने जा रहे हैं। हालांकि सिंधिया ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर कुछ भी कहने से मना कर दिया है। सिंधिया दो दिवसीय प्रवास पर बीती शाम भोपाल पहुंच गए हैं। उधर, इंदौर में भी कुछ इसी तरह की कवायद भाजपा नेताओं द्वारा की जा रही है। वहां पर खुद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मनाने के काम में सक्रिय हैं।

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