6 सीटों पर बनी भितरघात की संभावनाएं, मॉनिटरिंग शुरू

मॉनिटरिंग
  • समझाइश और मान मनौब्बल का दौर शुरू

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। 
    भाजपा-कांग्रेस में महापौर पद के टिकट तय होने के बाद करीब आधा दर्जन शहरों में दोनों दलों को भितरघात का खतरा दिखने लगा है। यही वजह है कि बीते रोज भाजपा ने तीन सदस्यीय राज्य स्तरीय अपील समिति भी बना दी। इधर, कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के जिले छिंदवाड़ा में हो रहे विरोध के लिए पार्टी ने अपने आदिवासी नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को जिम्मा सौंपा है। इस स्थिति को बनते देख भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों को निगरानी और मॉनीटरिंग का काम शुरू करना पड़ गया है। दोनों दलों में यह स्थिति तब बनी है, जब उनके नेताओं द्वारा सर्वानुमति से टिकट बितरण किए जाने के दावे सार्वजनिक रुप से किए जा चुके हैं। दरअसल दोनों ही दलों ने इस बार अधिकांश नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसकी वजह से वैसे भी सियासी तौर पर चुनौती अधिक मानी जा रही है। यही वजह है कि अब दोनों दलों द्वारा संगठन के लोगों को अलग-अलग सीटों पर समझाइश, समन्वय और संतुलन के लिए भेजे जाने की तैयारी की जा रही है। इस स्थिति की वजह से ही सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा चर्चा कर चुके हैं।
    कहां क्यों विरोध
    जबलपुर में भाजपा ने संघ की पसंद के चलते डॉ. जितेंद्र जामदार को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन भाजपा के बाकी नेता उन्हें पैराशूट प्रत्याशी मानकर उनका सोशल मीडिया पर खुलकर विरोध दर्ज करा चुके हैं। यही नहीं क्षेत्रीय सांसद राकेश सिंह के निवास पर भी कार्यकर्ता धरना दे चुके हैं। कांग्रेस से यहां पर जगत बहादुर सिंह प्रत्याशी हैं, लेकिन उनका भी पार्टी के स्थानीय नेताओं में विरोध बना हुआ है। आने वाले दिनों में यह विरोध और बढ़ सकता है। सागर में मंत्री भूपेंद्र सिंह के समर्थक कांग्रेस से भाजपा में आने वाले सुशील तिवारी की पत्नी संगीता को प्रत्याशी बनाया गया है। जिले के दूसरे मंत्री गोविंद राजपूत का समर्थन भी उनके साथ है, लेकिन तीसरे मंत्री गोपाल भार्गव इससे नाराज हैं। वे फिलहाल चुप हैं। यहां पर दूसरा दिलचस्प पहलू यह कि कांग्रेस प्रत्याशी निधि जैन के पति सुनील जैन भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन के छोटे भाई हैं। इसकी वजह से जैन परिवार के सामने धर्मसंकट बन गया है। यही वजह है कि  सुशील तिवारी पत्नि के प्रत्याशी बनते ही भार्गव व विधायक शैलेंद्र सहित कई लोगों के घरों पर दस्तक दे चुके हैं। ग्वालियर में   केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की समर्थक सुमन शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है। इसकी वजह से श्रीमंत खेमा खुश नही है। यहां सुमन का सामना कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार, की पत्नी शोभा सिकरवार से है। सतीश पहले भाजपा में रहे हैं ,जिसकी वजह से उनकी भाजपा कार्यकर्ताओं में भी पकड़ बनी हुई है। इसकी वजह से ग्वालियर को भितरघात के खतरे वाली सीटों में शामिल माना जा रहा है। उधर, कांग्रेस को खतरा इसलिए है कि शोभा का विरोध पहले ही स्थानीय दावेदार खुलकर कर चुके हैं।
    मोर्चे पर दोनों पार्टियां की इस तरह तैयारी
    भाजपा में महापौर टिकट के अलावा पार्षदों के टिकट को लेकर सबसे ज्यादा अंतर्कलह की स्थिति है। अभी पार्षदों के टिकट नहीं बंटे हैं, लेकिन सिंधिया खेमे के नेताओं को टिकट देने का  विरोध है। ग्वालियर-चंबल के अलावा भोपाल और इंदौर संभाग से सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। वहीं कांग्रेस में भी पार्षद के टिकट पर भारी अंदरूनी विरोध है। यहां पर क्षेत्रीय खेमे बंट गए हैं। यही वजह है कि भाजपा का पूरा संगठन डैमेज कंट्रोल के लिए अलर्ट है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सीएम शिवराज सिंह खुद मोर्चा संभालेंगे। संगठन द्वारा समन्वय-समझाइश का दौर शुरू किया जा चुका है। उधर, कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल का जिम्मा मुख्य रूप से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर है। खुद कमलनाथ नाराज लोगों से बात कर रहे हैं। संगठन के स्तर पर भी जिम्मेदारी दी जा रही है।
    भोपाल में यह हैं हालात
    मंत्री विश्वास सारंग ने अन्य दो भाजपा विधायक कृष्णा गौर और रामेश्वर शर्मा को मनाकर मालती राय को टिकट दिलाया है। हालांकि तीनों विधायक मालती राय के साथ हैं, पर समीकरण इस बार उनके लिए आसान नहीं हैं। उनका मुकाबला यहां पर कांग्रेस की विभा पटेल से है। पटेल को पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह खेमा का समर्थन है, जिसकी वजह से दूसरे खेमे के लोग पूरी तरह से शांत बने हुए हैं। राजधानी होने के कारण यह सीट भाजपा संगठन और सरकार दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। यहां असंतोष को लेकर भी अलर्ट है।

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