निकाय चुनाव में इस बार 3 दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

निकाय चुनाव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। निकाय चुनावों में वैसे तो भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन इसमें भी खासतौर पर तीन नेता ऐसे हैं, जिनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दांव पर मानी जा रही है। इन तीनों ही नेताओं की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा ग्वालियर-चंबल संभाग की नगरीय निकायों की सीटों पर दांव पर रहने वाली है। इन नेताओं में भाजपा के श्रीमंत तो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का नाम शामिल है। दरअसल श्रीमंत अब कांग्रेसी से भाजपाई हो चुके हैं और गोंविद सिंह अब नेता प्रतिपक्ष के पद पर आ चुके हैं। वहीं दिग्विजय सिंह और श्रीमंत के बीच के बीच पुरानी राजनैतिक अदावत के बाद अब व्यक्तिगत हो चुकी है।
कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को इस अंचल का जिम्मा सौंप रखा है। यही वजह है कि उपचुनाव के बाद प्रदेश में यह पहला मौका है जब कांग्रेस व श्रीमंत दोनों की पहली चुनावी परीक्षा होने जा रही है। यह बात अलग है कि इस बार माना जा रहा है कि चुनाव परिणामों में कई तरह के चौकाने वाले परिणाम देखने को मिल सकते हैं। हालांकि इस अंचल के दोनों संभागों की बात की जाए तो इसके पहले तक कांग्रेस का प्रभाव रहा है। हालांकि तब श्रीमंत भी कांग्रेस में थे, लेकिन अब उनके भाजपाई हो जाने की वजह से कांग्रेस को इस अंचल में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर सबकी निगाहें गुना और राजगढ़ जिलों की निकायों पर बनी हुई है। इसकी वजह है दोनों जिले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अजेय गढ़ माने जाते हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने राघौगढ़ निकाय को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिल पायी थी। ग्वालियर चंबल संभाग में इस बार मुरैना नगर निगम सहित 51 नगरीय निकायों में चुनाव कराए जा रहे हैं। इनमें आठ निकायों में पहली बार चुनाव हो रहे हैं। लहार को नगर परिषद से नगर पालिका में अपग्रेड किया गया है। यहीं से नेता प्रतिपक्ष और श्रीमंत के मुखर विरोधी गोविंद सिंह आते हैं। यहां पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। बीते चुनाव परिणामों पर नजर डाली जाए तो 49 निकायों में भाजपा को 17 और कांग्रेस को 20 निकायों में सफलता मिली थी। जबकि निर्दलीय 9 और बसपा तीन निकायों पर कब्जा करने में सफल रही थी में आई थी। उस समय निकायों के अध्यक्ष पद का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया गया था, लेकिन इस बार पार्षदों के माध्यम से होना है। यह बात अलग है कि अंचल के अधिकांश निकायों में अब तक पार्षद पद के टिकट घोषित नहीं हुए हैं। दरअसल यह पहला मौका है जब कांग्रेस इस अंचल में बगैर श्रीमंत के चुनाव मैदान में है और श्रीमंत उनके सामने चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
आसान नहीं है राघोगढ़
गुना जिले के राघौगढ़ नगर पालिका के लिए बीते चुनाव में दिग्विजय के अजेय किले को ढहाने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहते प्रभात झा ने मोर्चा संभाला था। इसके बावजूद, 20 वार्डों में से चार पर ही भाजपा को सफलता मिल सकी थी और अध्यक्ष का चुनाव भी भाजपा नहीं जीत सकी थी। उस समय राघौगढ़ की किलेबंदी को काम जयवर्द्धन सिंह ने किया था। इसके बाद लक्ष्मण सिंह ने मोर्चा संभाला था।
नेता प्रतिपक्ष के सामने भी चुनौती
बदली हुई परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए नगर पालिका लहार को बचाने के लिए नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को कड़ी चुनौती मिलेगी। यह चुनाव उनके लिए विधानसभा चुनाव आने के पहले का सेमीफाइनल होगा। नगर पालिका गुना, नगर परिषद पिछौर, मिहोना, दबोह, फूफ, आलमपुर, भांडेर, शिवपुरी, खनियाधाना, बदरबास, चंदेरी, मुंगावली में कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। यही नहीं इस बार इस अंचल में सात नव गठित नगर परिषदों में भी चुनाव हो रहे हैं। यह वे नगर परिषद हैं जिनमें पहली बार मतदान हो रहा है। इनमें गुना जिले की मधुसूदनगढ़ , शिवपुरी जिले की रन्नौद, पोहरी और मगरौनी, ग्वालियर जिला जिले की मोहना और भिंड जिले की रौन और मालनपुर शामिल है।

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